Current Affairs Archives - NITIN BHARAT https://nitinbharat.com/category/current-affairs/ India's Fastest Growing Educational Website Sat, 27 May 2023 14:51:24 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5 210562443 भारतीय संसद के बारे में ये तथ्य आप शायद ही जानते होंगे https://nitinbharat.com/key-facts-about-new-parliament-house-of-india/ https://nitinbharat.com/key-facts-about-new-parliament-house-of-india/#respond Sat, 27 May 2023 14:51:24 +0000 https://nitinbharat.com/?p=710 भारतीय संसद में चोल काल के राजसत्ता के प्रतीक सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। अधिकतम 1272 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था, 30% तक बिजली की बचत, कांस्टीट्यूशनल...

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भारतीय संसद में चोल काल के राजसत्ता के प्रतीक सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। अधिकतम 1272 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था, 30% तक बिजली की बचत, कांस्टीट्यूशनल हाल और कमल एवं मयूर से प्रभावित नवीन संसद भवन की विशेषताओं के बारे में आइए जानते है। key facts new parliament house

1. त्रिभुजाकर संरचना: पूर्व ब्रिटिश काल निर्मित संसद वृत्ताकार थी। वर्तमान संसद भवन को कम जगह में बनाकर अधिक प्रभावशाली उपयोगी बनाया जा सके इसलिए त्रिभुजाकार बनाया गया है। ज्ञात हो कि पूर्व संसद भवन के अंदर छोटे चेंबर, छोटे हाल जैसी कई समस्याएं थी। नई संसद भवन चार मंजिला इमारत है। जिसका कुल क्षेत्रफल 64,500 स्क्वायर मीटर है।

2. मयूर से प्रभावित लोकसभा हाल: भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर से प्रेरणा लेकर लोकसभा की अदरूनी सीटिंग व्यवस्था बनाई गई है। इसमें 888 सदस्यों के लिए बैठक व्यवस्था एवं संयुक्त सत्र के स्थिति में 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।

3. राज्यसभा कमल पुष्प से प्रेरित: भारतीय संसद (key facts new parliament house) का उच्च सदन कमल के पुष्प से प्रेरित संरचना है। कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। इसमें कुल 348 सदस्यों के लिए बैठने की व्यवस्था है। आगमी सालों में परिसीमन के बाद बढ़ने वाले सीटों के मद्देनजर इसे पहले से बड़ा बनाया गया है।

4. सेंट्रल हॉल नही है: पूर्व संसद भवन की तरह इसमें सेंट्रल हॉल नही है। इस संसद भवन में लोकसभा में पांच कुर्सियां आसंदी लगाने की व्यवस्था है जिसमे संयुक्त सदन आहूत की जा सकती है। लोकसभा हाल में कुल 1272 सदस्यों की बैठने की व्यस्था है।

5. संविधान हाल: भारत की संवैधानिक उपलब्धियों और विरासत को प्रदर्शित करने के लिए भवन के मध्य में संविधान हाल बनाया गया है जो कि एक महत्वपूर्ण भूमिका होगा। पूर्व संसद भवन में इस प्रकार के किसी भी भवन की व्यवस्था नहीं थी।

6. इकोफ्रेंडली भवन: ऊर्जा की बजत और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए यहां निर्माण कार्य किया गया है। ग्रीन डिवाइसेज और यंत्रों के द्वारा 30% तक बिजली की बचत यहां होगी।

संघीय व्यवस्था की विशेषताएं features of federal system

7. भूकंप रोधी संरचना: पूरे भवन को भूकंप जोन 5 के पत्थरों से इस प्रकार किलाबद्ध किया गया है कि इसमें भूकंप की संभावना न के बराबर हैं। पूरी दिल्ली जहां भूकंप जोन 4 में आती है वही संसद भवन परिसर भूकंप जोन 5 में आयेगा।

8. अत्याधुनिक सुविधाएं: सदस्यों के लिए उन्नत मल्टीमीडिया, डिजिटल पैड और हाईटेक तकनीकों से पूरे भवन को सुविधा युक्त बनाया गया है।

9. बड़ी दर्शकदीर्घा एवं समिति भवन: संसद भवन में जनता के आवाजाही के लिए अलग से गेट बनाए गए है। इसके अलावा कार्रवाई देखने जाने वाले विजीटर्स के लिए बड़ा विजीटर्स चेंबर बनाया गया है।

10. नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया गया है। टाटा ने बोली में इस प्रोजेक्ट को जीता था। संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विष्टा प्रोजेक्ट के एक भाग के रूप में किया गया हैं। इसके निर्माण में कुल 970CR (2022 का अनुमान) खर्च आया।

संसद भवन की मुख्य विशेषताओं (key facts new parliament house) के बारे में हमने जाना। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा जाता है। कोरोना वैश्विक महामारी के बीच इसका निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ, उद्घाटन में राष्ट्रपति को नही बुलाया जाना, सेंगोल की स्थापना, विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार करना, संसद की औसतन कार्य दिवसों में लगातार हो रही गिरावट, वीर सावरकर के जन्म दिवस के अवसर पर इसका उद्घाटन जैसे कई पहलुओं के चलते यह हमेशा याद रखा जाएगा।

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भारत में बाघों की संख्या कितनी है? जाने ख़ास बातें https://nitinbharat.com/tiger-census-in-india-2023/ https://nitinbharat.com/tiger-census-in-india-2023/#respond Sun, 09 Apr 2023 11:19:56 +0000 https://nitinbharat.com/?p=682 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल 2023 को पांचवी बाघ जनगणना जारी की जिसके अनुसार भारत में बाघों की संख्या बढ़कर अब 3167 हो गई है. जनगणना...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल 2023 को पांचवी बाघ जनगणना जारी की जिसके अनुसार भारत में बाघों की संख्या बढ़कर अब 3167 हो गई है. जनगणना 2022 में प्रारंभ की गई थी ज्ञात हो कि 2018 की जनगणना जो कि 2019 में प्रकाशित हुई थी उसके अनुसार भारत में कुल 2967 बाघ वन में पाए गए थे जिसमें 200 की बढ़ोतरी हुई है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए भारत के अफसरों, मंत्रालय को बधाई दी। Tiger census in India 2023 (भारत में बाघों की गणना 2023)

सर्वाधिक बाघ आबादी वाले राज्यों को याद करने की ट्रिक

भारत में बाघों की पांचवी गणना

आपको बता दें कि भारत में बाघों की गणना (Tiger census in India 2023) प्रत्येक 4 वर्ष में होती है इससे पूर्व 2006 2010 और 2014 मे भी बाघों की गणना की गई थी जिसके अनुसार बाघों की संख्या क्रमशः 1411, 1706 और 2226 थी। इस लिहाज से 2018 से 22 के मध्य की गई गणना में सबसे कम बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

केंद्र शासित राज्यों को याद रखने की आसान ट्रिक कभी नही भूलेंगे

इंटरनेशनल बिग कैट एलाइंस

9 अप्रैल को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल बिग कैट एलाइंस कभी शुभारंभ, कर्नाटक के मैसूर में किया। यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है जिसमें 7 प्रमुख वृहद बाघ प्रजाति के आवास वाले देश मिलकर बाघ संरक्षण और सुरक्षा के लिए प्रयास करेंगे। 7 बिग कैट में जगुआर, प्यूमा, हिम तेंदुआ, तेंदुआ, शेर, चीता और बाघ शामिल है। इस पहल को बाघ परियोजना के 50 वर्ष पूरे होने पर प्रारंभ किया गया है। गौरतलब है बाघ परियोजना 1973 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा प्रारंभ की गई थी।

क्या आप जानते हैं? भारत में करीब 75,000 स्क्वायर किलोमीटर बाघ संरक्षण क्षेत्र है। जिसमें दुनिया की करीब तीन चौथाई (75%) बाघ निवास करते हैं। सबसे ज्यादा बाघों की संख्या कर्नाटक में है। दुनिया की 2.4% भूभाग रखने के बौजूद भारत जैव विविधता में करीब 8% का योगदान करता है। टाइगर के अलावा हाथी क्षेत्र सर्वाधिक भारत में और एक सिंगी गेंडे भी सर्वाधिक मात्रा में भारत में पाया जाता है।

भारत में शेरों की संख्या कितनी है?

भारत में सर्वाधिक संख्या में से गुजरात में शेरों की आबादी पाई जाती है। जिसमें गिर राष्ट्रीय उद्यान प्रमुख है 2015 में बाघों की गणना की गई थी। जिसमें संख्या 525 बताई गई जबकि 2020 में जनगणना की गई जिसमें 675 शेरों की संख्या भारत में बताई गई है। Tiger census in India 2023

भारत में बाघों की गणना कौन करता है?

पूरे भारत में बाघों की गणना ऑल इंडिया टाइगर्स एस्टीमेट (AITE) भारत की एक वैधानिक प्राधिकरण है एनटीसीए (NTCA नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) द्वारा किया जाता है। यह राज्य वन और पर्यावरण बोर्ड के साथ मिलकर देश भर में बाघों की गणना करती है।

NTCA (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) क्या है?

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना 2005 में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत किया गया है। इसके अध्यक्ष केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री होते हैं जबकि इसके उपाध्यक्ष केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री होते हैं।

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क्या मोदी सरकार इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है? https://nitinbharat.com/ncert-history-chapter-removed-disputes-rises/ https://nitinbharat.com/ncert-history-chapter-removed-disputes-rises/#respond Thu, 06 Apr 2023 16:55:54 +0000 https://nitinbharat.com/?p=661 “गूगल के दौर में ‘मुग़ल का चैप्टर’ हटा देने से इतिहास नहीं बदल जाता है।” यह कहना है भारत के मशहूर पत्रकार रविश कुमार का। वहीं कुछ...

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“गूगल के दौर में ‘मुग़ल का चैप्टर’ हटा देने से इतिहास नहीं बदल जाता है।” यह कहना है भारत के मशहूर पत्रकार रविश कुमार का। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मुगल को इतिहास से हटाना नही चाहिए बल्कि उनकी निर्दयिता, अत्याचार, हैवानियत और बर्बरता को विस्तार पूर्वक भावी पीढ़ी को पढ़ाना चाहिए। NCERT History Chapter Removed

सब का अपना अपना पक्ष:

लेकिन मुस्लिम विरोधी और दक्षिणपंथी विचारधारा को समर्थन देने वाले लगातार यह मांग कर रहे थे कि मुगलों का पाठ्यक्रम में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आइए समझने की कोशिश करते है। आखिर मुगलों को पाठ्यक्रम से हटाने के क्या नफे नुकसान है। हालांकि उससे पहले यह अवश्य जान ले पूरी मुगल इतिहास नही हटाया गया है बल्कि कुछ विवादित हिस्सो को NCERT की अनुशंसा पर हटाया (NCERT History Chapter Removed) गया है।

आपको बता दें कि भारत में NCERT और राज्य बोर्डों के पाठ्यक्रमों में बदलाव पहली बार नहीं हुआ है। ये बदलाव सरकार और समय बदलने के साथ साथ होते रहे है और जब भी बदलाव होते है हो हल्ला मचाया ही जाता है। बहरहाल आइए अब समझने की कोशिश करते है पाठ्यक्रम बदलने के पक्ष और विपक्ष में क्या बातें कही जा रही है?

पक्ष:

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए कोर्स में कुछ बदलाव किए गए थे। यह कोई बड़ी बात नहीं है। ग्यारहवीं कक्षा के सिलेबस से सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स, संस्कृतियों का टकराव और औद्योगिक क्रांति जैसे चैप्टर को हटा दिया गया, बारहवीं कक्षा की नागरिक शास्त्र की किताब से ‘लोकप्रिय आंदोलनों का उदय’ और ‘एक दलीय प्रभुत्व का युग’ जैसे चैप्टर्स को हटा दिया गया। 10वीं क्लास की ‘डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स’ किताब से ‘डेमोक्रेसी एंड डायवर्सिटी’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’, ‘लोकतंत्र की चुनौतियां’ जैसे चैप्टर हटा दिए गए हैं। एनसीईआरटी निदेशक ने इस पूरी बहस को गैर-जरूरी करार दिया। NCERT History Chapter Removed

पत्रकार रजत शर्मा कहते है फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, ज्योग्राफी और कॉमर्स जैसे विषयों में भी बदलाव किए गए है और आधुनिकता और नवीन जानकारियों का समावेश पाठ्यक्रमों में किया गया है। लेकिन विरोध सिर्फ इतिहास का क्यों? वे आगे कहते है “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार इस पर संजीदगी से काम किया। पूरी शिक्षा नीति बदल दी और जब शिक्षा नीति बदलती है तो कुछ पुरानी चीज़ें हटती हैं और कुछ नई चीजें जुड़ती हैं। सिलेबस में जो बदलाव हुए हैं वो अस्थायी हैं। इन्हें फिर से बदला जा सकता है।”

विपक्ष:

पत्रकार रविश कुमार इसे इतिहास बदलने की साजिश मानते हुए कहते है “गूगल के दौर में ‘मुग़ल का चैप्टर’ हटा देने से इतिहास नहीं बदल जाता है।”

वहीं असदउद्दीन ओवेशी ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा सिलेबस में बदलाव कर अपनी विचारधारा बच्चों पर थोपना चाहती है। लेकिन सच बदल नही सकते।

वही कांग्रेस पार्टी ने ट्विट कर लिखा कि

• गोडसे की सच्चाई
• RSS बैन
• गुजरात दंगे

NCERT की किताबों से इन्हें हटा दिया गया है, अब बच्चों को ये नहीं पढ़ाया जाएगा। मोदी जी, इतिहास बदला नहीं बनाया जाता है… और इतिहास आपको अडानी के काले कारनामों के लिए याद करेगा।

शिक्षाविदों ने दुख जाहिर करते हुए लिखा कि मध्यकालीन मुगल इतिहास भारतीय वास्तुकला और साहित्य के स्वर्णिम काल के रूप में जाना जाता है कक्षा 12वीं के पुस्तक से कुछ पाठ्यक्रम को हटाना दुर्भाग्यजनक है।

वही कुछ लोगों को द्वारा तंज कसते हुए लिखा गया है कि जो लोग इतिहास बदल नही सकतें इतिहास मिटाने की कोशिश करते है।

दौर सोशल मीडिया का है यहां छोटी बात बड़ी बन जाती है और सोशल मीडिया और गूगल के AI आप तक आपके पसंदीदा विचारधारा को सामने लाकर रख देता है। और विषय गंभीर और बड़ा लगने लगता है। सिर्फ विरोध के नामपर विरोध नही और विचारधार के नाम पर समर्थन नहीं किया जाना चाहिए बल्कि अपने विरोध के पीछे मजबूत तर्क रखने चाहिए।

क्षेत्रफल के अनुसार विश्व के 7 सबसे बड़े देशों की सूची व ट्रिक

एनसीईआरटी के पीछे भारत सरकार खड़ी होकर पाठ्यक्रम में संशोधन कर रही है ऐसा कुछ लोगों का मानना है। मेरा मानना है सरकार इसी लिए चुनी जाती है कि वह आपके भौतिक और मानसिक विकास कर सके। यदि NDA सरकार प्रचंड बहुमत लेकर आई है तो वो आपका वैचारिक विकास किसी दूसरी पार्टी के विचारधारा अनुरूप करेगी इसकी अपेक्षा आपको नही रखनी चाहिए।
हालांकि एक आदर्श लोकतांत्रिक सरकार सभी विचारों को बराबर स्थान देती है।

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क्या आदिवासी हिंदू नही है? Does Tribals Are Not Hindu https://nitinbharat.com/does-tribals-are-hindu/ https://nitinbharat.com/does-tribals-are-hindu/#comments Fri, 31 Mar 2023 18:19:27 +0000 https://nitinbharat.com/?p=641 does tribals are hindu: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र सरकार से विधानसभा में पृथक आदिवासी कोड जारी करने के लिए आग्रह बिल ला चुकी है...

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does tribals are hindu: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र सरकार से विधानसभा में पृथक आदिवासी कोड जारी करने के लिए आग्रह बिल ला चुकी है मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी इसी तरीके की मांग की जाती है रही है। जबकि पूर्णोत्तर भारत में यह मांग कई गुना मुखर तरीके से उठती रही है।

हाल ही में छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने भी यह बयान दिया कि आदिवासी हिंदू नहीं है। एक तरफ जहां कई लोगों, साधु संतो द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की जा रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के आदिवासी बहुल राज्य के मंत्री द्वारा आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग भारत में हिंदुत्व के बहस को नया मोड़ देने वाला है। आइए समझने की कोशिश करते हैं क्या आदिवासी सच में हिंदू नहीं है?does tribals are hindu

आदिवासी आदिवासियों को वनवासी, जनजाति और आदिम जाति आदि नामों से जाना जाता है। विदेशी आक्रांता काल में में इन्हे आदिवासी का नाम दिया गया। इसके पीछे की मान्यता थी कि ये भारत के सबसे पुराने लोग है। इतिहासकारों ने आदिवासियों को अनार्य की श्रेणी रखा और कहा कि आर्य भारत के बाहर से आकर बसे वैदिक उत्तर वैदिक धर्म की स्थापना की जो आज हिंदुत्व या हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है (Does tribals are hindu)। इसपर भी अलग अलग इतिहासकारों के अलग अलग मत है।

पहले पक्ष का तर्क:

आदिवासियों को हिंदुओं की श्रेणियों में न मानने वालों का तर्क:

 

1. ये मानते है कि आदिवासियों की पूजा पद्धति, विवाह संस्कार, देवी-देवता, बोली-भाषा हिंदुओ से अलग है।

2. आदिवासी विचारक मानते है हिंदू धर्म की उत्त्पति वैदिक और उत्तरवैदिक काल लगभग (1750 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व) से हजारों वर्ष पुराना है। इसलिए यह हिंदू धर्म से अलग है।

3. आजादी के पूर्व अंग्रेजो द्वारा जनजातीय समाज का पृथक जनसंख्यिकीय आंकड़ा जारी किया जाता था। 1961 में आदिवासियों का पृथक धर्म कोड समाप्त कर दिया गया।

4. आदिवासी स्वयं को ब्राम्हणवादी वर्चस्व के मनुवादी ढांचे और कर्मकांड में विश्वास नहीं करने वाले मानते है।

5. आदिवासियों की पूजन पद्धति प्रकृति आधारित है जैसे साल, सागौन, बरगद वृक्षों की पूजा करना, पशु पूजा, नदी पूजा आदि।

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ज्ञात हो कि भारत में लगभग 705 जनजातीय समूह (Does tribals are hindu) निवासरत हैं। जिनमें लगभग 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) हैं। भारत की 1961 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 3.1 करोड़ ( कुल जनसंख्या का 6.9 %) थी. 2011 के अनुसार अब देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 10.45 करोड़ हो चुकी है, जो कुल आबादी का लगभग 8.6% है। भारतीय संविधान में जनजातीय समुदाय के लिए 7.5 प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नियुक्तियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पर दिया गया है।

दूसरे पक्ष का तर्क (does tribals are hindu?)

आदिवासियों को हिंदू मानने वाले तर्क देते है कि:

 

1. आदिवासी हिंदू धर्म के अभिन्न अंग है और अंग्रेजो द्वारा हिंदू धर्म को बांटने के लिया आर्य और गैर आर्य सिद्धांत प्रतिपादित किया गया था। चूंकि अंग्रेजो को जंगलों के आदिवासियों से कड़ी चुनौती मिलती थी इसलिए वैचारिक तौर पर उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन से भटकाने, उन्हे अपने धर्म में जोड़ने के लिए ईसाई मिशनरियों के माध्यम से दुष्प्रचार किया। जिसे राजनीतिक लाभ के लिए आज भी कुछ नेताओं द्वारा छेड़ा जाता है।

2. आदिवासी समाज और धार्मिक रीति रिवाजों में काफी समानता है जैसे आदिवासी समाज भी प्रकृति पूजा करता है। और हिंदू समाज भी प्रकृति पूजा करता है। जैसे नदी कि पूजा, वृक्ष की पूजा, पर्वत की पूजा और पशुओं की पूजा। आदिवासी भी गंगाजी को पवित्र मानकर स्नान करते है। गौ माता की पूजा आदिवासी भी करते है। आदिवासियों की काष्ट कला में गणेश जी की प्रतिमा, शिव जी की प्रतिमा आदिवासी समाज सैकड़ों वर्षों से बनाते आ रहे है। इसके अलावा आदिवासी समाज हिंदू त्योहारों को चाहे वह फसल कटने से लेकर, फसल बोवाई तक के हो या देशव्यापी त्योहार दिवाली, दशहरा, तीज, नवरात्र और होली सभी को समान रूप से मनाते आ रहे हैं। मजेदार बात तो ये है कि आदिवासियों के कई त्योहार हिंदू लोग मानते है।

 

3. तीसरी मुख्य बात जी आदिवासियों और हिंदू धर्म को धार्मिक रूप से एक बताते है वह है आदिवासियों का जन्म संस्कार, विवाह संस्कार, श्राद्ध संस्कार में समानता होना। आदिवासियो को भी मरने के जलाया जाता है। आदिवासी समाज देवी देवताओं के अवतारों में विश्वास करता और अवतारवाद भी हिंदू धर्म का एक प्रमुख लक्षण है।

 

4. चौथी बात जो आदिवासियों को हिंदू धर्म से अलग बताते है उन्हे समझना चाहिए जो देश की अवधारणा पश्चिम है वह भारत में फिट नहीं बैठता। भारत में समुदायों के बीच इतनी विविधता है जिसे अगर पश्चिम विचारकों के चश्मे से देखा जाए तो करीब 1000 से अधिक देश भारत वर्ष में समाहित है। भारत में दक्षिण के हिंदुओ का रंगरूप बोली भाषा उत्तर के हिंदुओ से अलग है। वहीं पश्चिम के हिंदुओ का खानपान पूर्व के हिंदुओ से अलग है। ठीक उसी प्रकार दक्षिण के आदिवासियों से मध्य के आदिवासियों की बोलचाल रंगरूप अलग है। वही कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के आदिवासियों के संस्कृति में और पश्चिम के गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासियों के में पर्याप्त अंतर है। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में आदिवासियो विविधता अपने आप में भिन्न है। यदि प्रत्येक आदिवासी और गैर आदिवासी समाज अपना पृथक धार्मिक कोड मांगने लग गए तो हर 100 किलोमीटर में अलग धर्म देखने मिलेगा। छत्तीसगढ़ में ही बस्तर के देवता और सरगुजा के देवता में बहुत अंतर आ जाता है।

5. पांचवी बार जो आदिवासियों को हिंदू मानते हुए कही जाती है वह है हिंदुत्व का स्वरूप! भारत में 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना है कि हिंदुत्व जीवन जीने की शैली है। हिंदुत्व या हिंदू धर्म के मुख्य लक्षण मूर्तिपूजा, अवतारवाद, पुनर्जन्म, बहुदेववाद, वर्ण और जाति व्यवस्था है। जो कि आदिवासियों द्वारा भी अनुसरण किया जाता है।

 

तो ये थे आदिवासियों को हिंदुओ का अभिन्न हिस्सा मानने वालों का तर्क।

 

वर्तमान भारत में हिंदुत्व के पुनरुत्थान का दौर माना जा रहा है। भारत के आधे से अधिक राज्यों में दक्षिणपंथी विचारधारा समर्थक भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे में अलग आदिवासी धर्म कोड की मांग और आदिवासियों को हिंदू धर्म से अलग करने की कोशिशें कहां तक दम भर पाती है देखना रोचक होगा।

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BBC दफ्तर में इनकम टैक्स का छापा के क्या मायने है? https://nitinbharat.com/it-raids-on-bbc-office-india/ https://nitinbharat.com/it-raids-on-bbc-office-india/#respond Tue, 14 Feb 2023 12:05:42 +0000 https://nitinbharat.com/?p=588 बीबीसी के मुंबई दफ्तर में 14 फरवरी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का छापा (IT Raids On BBC) पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे विनाशकाले...

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बीबीसी के मुंबई दफ्तर में 14 फरवरी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का छापा (IT Raids On BBC) पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे विनाशकाले विपरीत बुद्धि कहा जबकि भाजपा ने BBC को दुनिया का सबसे भ्रष्ट कॉर्पोरेशन बताया। आइए समझते है इसके मायने।

BBC की विचारधारा एवं सरकार से गतिरोध

BBC समूह लंदन की बहुत पुरानी और दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित समाचार नेटवर्क है। दुनियाभर में इसकी शाखाएं है। BBC India भारत भी उन्ही में से एक है। BBC की विचारधारा वामपंथी और मध्यपंथी के मध्य मानी जाती है।

चूंकि भारत में 2014 से एक मध्य दक्षिणपंथी विचारधारा समर्थक पार्टी की सरकार है इसलिए दोनो के मध्य गतिरोध कई मौकों पर देखा जाता है। पूर्व में मुस्लिमों पर अत्याचार, कश्मीर पर दुष्प्रचार और आदिवासियों के दमन की गलत खबरें चलाने जैसे आरोप BBC पर लगते रहे है।

हालांकि ताजा घटनाक्रम में सरकार और BBC के बीच उस “डॉक्यूमेंट्री” को लेकर गतिरोध उत्पन्न हुआ जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में तथाकथित आपत्तिजनक और गलत छवि बनाने की कोशिश की गई है। यह छापा (IT Raids On BBC) इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

भारत के 15वें राष्ट्रपति : राष्ट्रपति चुनाव, indian president list trick

प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग

भारत प्रेस फीडम इंडेक्स जो कि रिपोर्टर्स विथआउट बॉर्डर द्वारा जारी की जाती है। 180 देशों के सूची में 150वें और आस पास ही रैंक हासिल करती है। इस बीच सरकार द्वारा एक प्रतिष्ठित और अंतराष्ट्रीय समाचार समूह पर छापा और घटा सकता है।

हालांकि इनकम टैक्स छापा (IT Raids On BBC) किसी कंपनी का या व्यक्ति का मनोबल कम करने से अधिक कुछ नहीं होता। यदि BBC ने विधिवत और आयकर नियमतः कार्य किया है तो उसे जांच में हर संभव मदद करनी चाहिए।

सरकार की इस कार्रवाई का केवल इसलिए ही विरोध नहीं करना चाहिए कि दफ्तर में छापा (IT Raids On BBC) पड़ा है। बल्कि यह एक स्वस्थ संदेश भी है कि BBC जैसे बड़े समूह भी टैक्स नियमो से ऊपर नहीं है।

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छत्तीसगढ़ के 7वें राज्यपाल होंगे बिस्वा भूषण हरिश्चंदन जाने कौन है? https://nitinbharat.com/new-governor-of-chhattisgarh-know-all-about/ https://nitinbharat.com/new-governor-of-chhattisgarh-know-all-about/#respond Mon, 13 Feb 2023 12:46:48 +0000 https://nitinbharat.com/?p=584 छत्तीसगढ़ की 6वीं राज्यपाल अनुसुइया उइके को रविवार 12 फरवरी को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा मणिपुर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त कर दिया गया। साथ ही...

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छत्तीसगढ़ की 6वीं राज्यपाल अनुसुइया उइके को रविवार 12 फरवरी को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा मणिपुर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त कर दिया गया। साथ ही कर्नाटक के वर्तमान राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया। New Governor Of Chhattisgarh

आइए जानते है छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल कौन है?

पेशे से वकील और लेखक रहे हरिचंदन जी उड़ीसा राज्य के मूल निवासी है। 2019 से 23 के बीच वे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल रहे है। पूर्वी उड़ीसा की राजनीति में उनका काफी दबदबा था। वे पूर्व में मंत्री भी रह चुके है।

हालांकि उनकी उम्र 88 साल हो गई है। इस लिहाज से वे छत्तीसगढ़ के सबसे उम्रदराज राज्यपाल बन गए है। आने वाले समय में उड़ीसा, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में चुनाव है। जिसे देखते हुए उनकी नियुक्ति को महत्वपूर्ण नजर से देखा जा रहा है। New Governor Of Chhattisgarh

अनुसुइया उइके को क्यों हटाया गया?

भारत सरकार ने केवल उन्हें नही बल्कि 13 राज्यो में नए राज्यपाल भी नियुक्त किए है। लंबे कार्यकाल के बाद एवं नए चेहरों को राज्यपाल बनाने के लिए केंद्र सरकार यह फैसला लेती है।

बस्तर भाजपा नेताओं की हत्या का मामला गूंजा संसद में

हालांकि विशेषज्ञ यह मानते है कि आरक्षण विधेयक पर BJP बैकफुट पर थी। ज्ञात हो कि 3 दिसंबर से सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक राजभवन में लंबित है। New Governor Of Chhattisgarh

और राजभवन का नाम काफी उछाला जा रहा था। अब नए राज्यपाल के संज्ञान में जब तक पूरा मामला आयेगा तब तक चुनाव बहुत नजदीक आ चुका होगा। बीजेपी आरक्षण को बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकती है।

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भानुप्रतापपुर उपचुनाव की कुछ रोचक और हैरान कर देने वाले पहलु  https://nitinbharat.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%89%e0%a4%aa%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b5-%e0%a4%95%e0%a5%80/ https://nitinbharat.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%89%e0%a4%aa%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b5-%e0%a4%95%e0%a5%80/#respond Thu, 08 Dec 2022 10:25:06 +0000 https://nitinbharat.com/?p=422 भानुप्रतापपुर उपचुनाव को बीजेपी और कांग्रेस आगामी 2023 विधानसभा के पूर्व सेमीफाइनल मुकाबले की तरह देख रही थी। इस चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ने...

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भानुप्रतापपुर उपचुनाव को बीजेपी और कांग्रेस आगामी 2023 विधानसभा के पूर्व सेमीफाइनल मुकाबले की तरह देख रही थी। इस चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों का खेल बिगाड़ने की कोशिश की लेकिन बाजी कांग्रेस मार ले गई। आइए इस चुनाव की कुछ हैरान कर देने वाले पहलुओं पर नजर डालते है। Bhanupratappur by election 2022

मतगणना के सभी राउंड में आगे रही सावित्री मंडावी

Bhanupratappur by election 2022: यह बड़े बड़े चुनावी रणनीतिकारों के लिए हैरान कर देने वाली बात थी कि मतगणना के सभी 19 राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी दोनो ही अन्य प्रतिद्वंदियों से 20 रहीं। नही तो कोई खास क्षेत्र ऐसा जरूर होता है जहां किसी पार्टी या प्रतिनिधि का गढ़ होता है परंतु एक तरफा बढ़त सभी को हैरान करने वाला था।

सर्व आदिवासी समाज ने काटा भाजपा का वोट

भाजपा के नेता और कार्यकर्ता यहां तक दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित प्रिंट मीडिया और IBC 24 जैसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया समेत हर जगह यही चर्चा की जा रही थी कि सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर कोर्राम कांग्रेस का वोट काटेंगे। लेकिन सभी विश्लेषक यह भूल गए कि आदिवासियों के असंतोष का जो लाभ भाजपा को वोट के रूप मिल सकता था वह अकबर कोर्राम को मिला इस प्रकार सर्व आदिवासी समाज ने भाजपा का वोट जबरदस्त काटा है। वहीं कांग्रेस का परंपरागत वोट जो स्व. मनोज मंडावी के काम, भूपेश बघेल के काम और गांधी परिवार नाम प्रारंभ से वोट देते आ रहें है उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया ही। साथ ही मनोज सिंह मंडावी के निधन के बाद उनकी पत्नी को सहानुभूति वोट भी मिले। Bhanupratappur by election 2022

झारखंड पुलिस और कांग्रेस की कूटनीति

इस उपचुनाव (Bhanupratappur by election 2022) में भाजपा प्रत्याशी पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर कांग्रेस वॉकओवर ले चुकी है प्रतीत हो रहा था। लेकिन भाजपा के रणनीतिकार और प्रत्याशी द्वारा दमदारी से चुनाव लड़ा गया। जिसके बाद झारखंड पुलिस की हुई एंट्री ने भाजपा के पूरे कैंपेन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। इसके साथ ही जगह-जगह पर भाजपा प्रत्याशी को बलात्कारी के रूप में प्रस्तुत करना जबकि प्रत्याशी पर दर्ज मामले की सूचना प्रत्याशी तक को नहीं थी बताया जा रहा। इसके बाद पोस्टरों बैनरों में प्रत्याशी को अर्थात आरोपी को अपराधी बताना एक प्रकार की आक्रामक कूटनीति का ही उदाहरण रहा।

भानूप्रतापपुर उपचुनाव: किन मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

स्टार प्रचारकों की भूमिका

भानुप्रतापपुर उपचुनाव (Bhanupratappur by election 2022) एक खास तरह का चुनाव था जिसमे हर शहर के होटल फुल थे। करीब 200 VVIP दोनों ही दल के विधानसभा क्षेत्र में डेरा डाले हुए थे। कार्यालयों में कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ के तमाम दिग्गज नेता को अपने सामने देख पा रहे थे। वहीं जनता तक पहुंचने के लिए भाजपा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत सभी स्टार प्रचारकों ने डोर टू डोर जाकर भी लोगों से वोट मांगे। पैदल भी चले।

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य

सावित्री मंडावी ने लिया पति के हार का बदला?

कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा यह कहा जा रहा है कि जिस ब्रम्हानंद नेताम ने 2008 में स्व मनोज मंडावी को हराया था। उसका सावित्री मंडावी ने बदला लिया है। हालांकि तब मनोज मंडावी कांग्रेस से नही बल्कि निर्दलीय चुनाव लड़े थे।

बहरहाल, राजनीतिक विश्लेषक और विशेषज्ञ पत्रकार यदि स्टूडियो पर बैठकर सभी नतीजें भांप लेते तो जनता और लोकतंत्र में लोकमत का कोई महत्व नहीं रह जाता। सावित्री मंडावी ने 21171 वोटों के बड़े अंतर से उपचुनाव (Bhanupratappur by election 2022) जीत लिया है। लोकतंत्र में लोकमत सर्वोपरि है जनता जो फैसला लेती है वह श्रेष्ठ है।

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छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य https://nitinbharat.com/reservation-dispute-in-chhattisgarh-history-prensent-and-future/ https://nitinbharat.com/reservation-dispute-in-chhattisgarh-history-prensent-and-future/#comments Sun, 20 Nov 2022 15:56:02 +0000 https://nitinbharat.com/?p=403 32% आरक्षण छीने जाने के बाद से आदिवासी समाज उबल रहा है सत्ता के गलियारों में घमासान मचा हुआ है आरोपों की बौछार हो रही है हर...

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32% आरक्षण छीने जाने के बाद से आदिवासी समाज उबल रहा है सत्ता के गलियारों में घमासान मचा हुआ है आरोपों की बौछार हो रही है हर पार्टी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है जबरदस्त बैकफुट पर गई कांग्रेस अब आरक्षण पर विधेयक लाने का मूड बना रही है।reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद

भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसके लिए बकायदा 1-2 दिसंबर का दिन निर्धारित किया है सूचना है कि इस दिन कांग्रेस सरकार जनजातीय समेत अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति तथा आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए आरक्षण के नए प्रावधान लाने जा रही है। आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते है पूरा विवाद और आने वाले दिनों में संभावनाएं और जटिलताएं। reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ ने जनसंख्या प्रतिशत के आधार पर आरक्षण:

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे जनगणना के हिसाब से छत्तीसगढ़ में जातियों की प्रतिशत के आधार पर आरक्षण देना चाहते हैं इस संदर्भ में कोई पहले भी अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% का आरक्षण दे चुके थे लेकिन इंदिरा साहनी वाद को मद्देनजर रखते हुए (जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है नौकरियों में आरक्षण 50% से अधिक कोई भी सरकार नहीं दे सकती) निरस्त घोषित कर दिया था।

हालिया में मराठा आरक्षण को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने पांच जज वाले संवैधानिक पीठ के माध्यम से इंदिरा साहनी वाद में दिए गए निर्णय को उचित ठहराया था।

Bhanupratappur भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद की पृष्ठभूमि:

नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर सन 2000 को मध्य प्रदेश से विभाजित होकर अस्तित्व में आया। जिसके बाद राज्य को अपना पृथक आरक्षण कानून लाना था। साथ ही भारतीयों पर नया रोस्टर भी जारी करना था जो राज्य के जातीय समीकरण सामुदायों की स्थिति परिस्थिति के अनुकूल हो। लेकिन इतने जटिल विषय को छेड़ना कौन चाहेगा। उस समय अजीत जोगी सरकार ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर कोई भी फैसला ना करते हुए यथावत रखा। reservation dispute in chhattisgarh

2012 के पूर्व राज्य में आरक्षण की स्थिति:

2012 के पूर्व मध्यप्रदेश सरकार ने इंदिरा साहनी वाद के फैसले के मद्देनजर 1994 में आरक्षण विधेयक जारी किया जिसके अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग को 16% का आरक्षण, अनुसूचित जनजाति वर्ग को 20% का आरक्षण तथा पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण दिया जा रहा था।

2008 में आदिवासी बहुल इलाकों में यह वादा किया था कि उन्हें 32% आरक्षण देंगे। इसी के चलते जनसंख्या के नवीन आंकड़ों के 2011 में प्रकाशित होते ही उन्होंने आरक्षण संशोधन विधेयक लाया। और महत्वपूर्ण बदलाव किए।

रमन सिंह सरकार का फैसला:

डॉ रमन सिंह की कैबिनेट में 2012 ने एक विधेयक लाकर जिसे राज्यपाल की विशेष स्वीकृति प्राप्त थी के बाद आरक्षण को 58% तक ले जाया गया जिसमें ओबीसी समुदाय को 14% आरक्षण अनुसूचित जनजाति वर्ग को उनके आबादी के अनुसार 32% आरक्षण जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग को 12% उनकी आबादी के अनुसार आरक्षण दिया गया। reservation dispute in chhattisgarh

यहीं से अर्थात 2012 से ही आरक्षण को लेकर न्यायालय में वाद-विवाद का दौर जारी है। जब तक भाजपा की सरकार रही इसे डिफेंड किया गया। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के 4 वर्ष बाद इसे उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।

भूपेश बघेल का जीवन परिचय : राजनीतिक सफर और प्रमुख कार्य

2012 के पूर्व अनुसूचित जाति का आरक्षण:

ज्ञात हो कि अनुसूचित जनजाति जिसका कि आरक्षण संयुक्त मध्यप्रदेश में 16% चले आ रहा था उसे राज्य की रमन सरकार ने घटाकर 12% कर दिया। अनुसूचित जनजाति वर्ग में इसे लेकर गहरा असंतोष व्याप्त हुआ और इस असंतोष का प्रतिनिधित्व किया गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बिलासपुर ने। 12 से 13% आबादी वाला अनुसूचित जाति समुदाय यह बताने में प्रयासरत रही कि क्यों आदिवासियों अनुसूचित जनजातियों को 32% आरक्षण नहीं मिलना चाहिए बजाय इसके कि क्यों उनका आरक्षण 16% किया जाए।

केपी खांडे और आरक्षण विवाद क्या है?

इसी के चलते कई बार दोनों समुदाय के नेताओं के मध्य जुबानी जंग और तनाव साफ दिखती है। एक तथ्य यह भी है कि गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बिलासपुर के प्रमुख केपी खांडे ने उच्च न्यायालय में अनुसूचित जनजातियों को दिए जा रहे 32% आरक्षण के विरुद्ध मुख्य रूप से आवाज उठाई एक मुख्य प्रतिवादी रहे (हालांकि वे संस्था के माध्यम से प्रतिवादी रहे) जिन्हें हाल ही में राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया भूपेश बघेल सरकार की इस नीति की आलोचना भारतीय जनता पार्टी ने इस रूप में किया कि “कांग्रेस पार्टी और केपी खांडे दोनों के षडयंत्र से आदिवासियों का आरक्षण छीना।” reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण 85% तक हो जायेगी?

आइए जानने की कोशिश करते हैं यदि कांग्रेस पार्टी आरक्षण पर विधेयक लेकर आती है तो इसके क्या कुछ परिणाम और मुद्दे पुनः उभर कर आ सकते हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग को मंडल आयोग के अनुशंसा के अनुसार प्रदेश में 27% आरक्षण देने का विचार कर रही है साथ ही अनुसूचित जनजाति वर्ग को उनके आबादी के अनुपात में 32% का आरक्षण बहाल करने जा रही है। reservation dispute in chhattisgarh

लेकिन अनुसूचित जाति का आरक्षण जोकि 12% 2012 से चला आ रहा था और न्यायालय निर्णय से 19 सितंबर 2022 सीजी से 16% माना जा रहा था वह घटकर अब 13% हो जाएगा इसके साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए 10% का अतिरिक्त आरक्षण जारी किया जाएगा हालांकि यह आरक्षण क्षितिज आरक्षण है ना कि ऊर्ध्वाधर आरक्षण।

आरक्षण विधेयक के निरस्त होने की संभावना?

मानकर चलते हैं कि यदि अनुसूचित जाति वर्ग को नाराज ना करते हुए भूपेश बघेल सरकार उन्हें 16% का आरक्षण 2012 के पूर्व के अनुसार प्रदान करती है तो राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 85% हो जाएगा जिसे न्यायालय द्वारा निरस्त करने की अथवा अपास्त करने की संभावना अधिक तेज हो जाएगी। राज्य सरकार यह बात भली-भांति जानती है इसलिए इस स्थिति से पल्ला झाड़ने के लिए एक प्रस्ताव अथवा संकल्प पत्र भी जारी करने का निर्णय किया है।

केंद्र के पाले में डालने की नीति?

संकल्प पत्र के अनुसार राज्य सरकार विधेयक में किए गए प्रावधानों को लेकर विधानसभा संकल्पित है ऐसा कथन जारी किया जाएगा साथ ही संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से यानी भारतीय संसद से या अनुरोध भी किया जाएगा कि इस विधेयक को वे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर ले ताकि न्यायायिक पुनरावलोकन से संरक्षित किया जा सके (9वी अनुसूची के बारे में आगे चर्चा की गई है) अर्थात पूरी गेंद कांग्रेस अब केंद्र पाले में डालने कि फ़िराक में है। और यही राजनीति है यदि कांग्रेस के जगह भाजपा रहती तो वो भी यही करते। reservation dispute in chhattisgarh

यदि केंद्र सरकार राज्य संघ के संकल्प पत्र को गंभीरता से ना लेते हुए कोई कार्यवाही नहीं करती है तो कांग्रेस के पास यह बोलने का हमेशा रास्ता रहेगा की केंद्र की भाजपा सरकार राज्य के हितों के प्रति गंभीर नहीं है अथवा उसके बाद की परिस्थिति के लिए पूरी तरीके से केंद्र जिम्मेदार है।

संविधान की 9वीं अनुसूची क्या है?

नवीं अनुसूची को तात्कालिक प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी द्वारा 1951 में प्रथम संविधान संशोधन के माध्यम से जारी किया था। जिसके अनुसार इसमें उन केंद्रीय और राज्य कानूनों को रखा जाता था जिसे न्यायालय की पुनर्विलोकन प्रक्रिया से दूर रखा जाना चाहिए।

क्या नवीं अनुसूची का न्यायिक समीक्षा हो सकती है?

वर्तमान में इसमें तकरीबन 284 विषय और लगभग 13 कानूनो को 9वीं अनुसूची में शामिल किया गया है लेकिन केशवानंद भारती बनाम भारत संघ मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के 13 जजों की संवैधानिक पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन सभी कानूनों की समीक्षा की जा सकती है जो संविधान के मूल ढांचे का उलंघन करती है। इसलिए 24 अप्रैल 1973 के बाद से शामिल किए गए सभी कानूनों की पुनर्विलोकन की जा सकती है यदि वह मूल अधिकारों और संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करती है।

इस प्रकार यदि 50% आरक्षण को मूल ढांचा मान लिया जाता है और यदि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ राज्य के विधायक को नवीं अनुसूची में शामिल भी कर लेती है तब भी वह निरस्त घोषित हो जाएगा। लेकिन जनता को या आमजन जिन्हें कानून की समझ कम है उन्हें यह लगता है की नवीं अनुसूची में किसी कानून को डाल देने पर उसका न्यायिक पुराना अवलोकन नहीं हो सकता। जोकि असत्य है। reservation dispute in chhattisgarh

बताना होगा विशेष परिस्थिति:

अब प्रश्न यह उठता है की भूपेश बघेल सरकार इसके स्थान पर क्या कर सकती है? संविधान विशेषज्ञों की माने तो इस तरीके के हालात में अथवा 58% की अथवा 50% से ऊपर को किसी राज्य में लागू करने के लिए संदर्भित समुदाय अथवा परिस्थिति का युक्तियुक्त विवरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है परंतु की मंशा और इरादे से यह प्रतीत नहीं होता कि वे 2012 के विधेयक को नाम मात्र की संशोधन के साथ जारी करेगी बल्कि उसमें आमूलचूल परिवर्तन के साथ जारी किए जाने की संभावना है। जिसके बाद आरक्षण 82 से 85% तक हो जायेगा।

युवाओं के लिए कितनी अच्छी खबर?

आरक्षण संशोधन विधेयक पारित होने के बाद राज्य के शासकीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते युवाओं को राहत मिलने की संभावना कम ही है इस विधेयक के अपास्त होने की संभावना बहुत अधिक है क्योंकि यह इंदिरा साहनी बाद में दिए गए 50% सीमा का स्पष्ट रूप से उल्लंघन होगा। फाइनल में यदि भर्तियों के रोस्टर जारी करके भर्तियां कर भी भी जाती है तो न्यायालय द्वारा अपास्त होने की स्थिति में सभी नियुक्तियां खतरे में पड़ जाएगी इस प्रकार निकट भविष्य में परीक्षार्थियों के लिए छत्तीसगढ़ में शासकीय नौकरियां बमुश्किल ही नसीब होने वाली है। यदि इस विधेयक में किसी भी समुदाय को उनकी अपेक्षाओं से कम आरक्षण दिया गया तो इसके निरस्त होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएगी। reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद का अंत कब होगा?

आरक्षण विवाद का अंत कब होगा इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता क्योंकि राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय यदि लामबंद होते हैं तो 27% आरक्षण राज्य में ठीक उसी प्रकार का विवाद स्थापित कर देगा जिस प्रकार का केंद्र में 80 के दशक में हुआ था और मंडल कमीशन के बाद शांत हुआ था। राज्य में 10 साल से 32% आरक्षण का आनंद लेते हुए जनजातीय समुदाय कदापि इस बात को स्वीकार नहीं करेगी कि उन्हें 32% से कम आरक्षण दिया जाए। ना हीं लगातार 10 वर्षों तक 32% आरक्षण के विरुद्ध पैरों कार्य करने वाले अनुसूचित जाति समुदाय भी यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगी कि उनका आरक्षण 16% से कम किया जाए इस प्रकार निकट भविष्य में यह एक अंतहीन दुष्चक्र साबित होने की संभावना है । राजनीतिक दल वोट बैंक के अनुसार इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करते रहेंगे। reservation dispute in chhattisgarh

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भारत में 5G सेवाएं प्रारंभ: जाने क्या है मुख्य चुनौती? https://nitinbharat.com/5g-launch-in-india-what-is-the-major-challenge/ https://nitinbharat.com/5g-launch-in-india-what-is-the-major-challenge/#comments Sat, 01 Oct 2022 12:03:23 +0000 https://nitinbharat.com/?p=362 भारत के लिए 1 अक्टूबर का दिन बेहद ही खास इसलिए हो गया क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 5G इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत...

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भारत के लिए 1 अक्टूबर का दिन बेहद ही खास इसलिए हो गया क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 5G इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत की। भारत के सूचना और संचार क्रांति के इतिहास में यह लंबे समय तक याद रखा जाएगा। आइए 5G इंटरनेट से जुड़े उन पहलुओं के बारे में जानने की कोशिश करते है जो जानना बेहद जरूरी है लेकिन कोई भी आपको नही बताएगा। 5G launch in india

भारत में 5G सेवाएं प्रारंभ: जाने क्या है मुख्य चुनौती?

क्या आप जानते है? भारत में 1 अक्टूबर से 5G की शुरुआत मुकेश अंबानी के जियो और सुनील भारती मित्तल के द्वारा ही शुरू किया जा रहा है। यानी सिर्फ 2 कंपनी। ग्राहकों के पास विकल्प सिर्फ दो विकल्प होंगे। ऐसे कयास लगाए जा रहे कि एयरटेल(Airtel) जो कि जियो (Jio) के मुकाबले आधे से भी कम स्पेक्ट्रम खरीद सकी है कुछ दिन में कॉम्पिटिशन से बाहर हो जायेगी। 5G launch in india

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सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का हाल आप जानते ही होंगे। इसपर अक्सर यह आरोप लगता है कि घूस लेकर वह अपनी सेवाएं जानबूझकर बाधित करती है। जिससे जनता के सामने बुरा इमेज बने और संबंधित निजी कंपनी को फायदा हो। ऊपर से मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार निजीकरण के कट्टर समर्थक है। BSNL को आबंटित की ने वाली धनराशि में लगातार गिरावट हो रही है। 5G launch in india

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 4G सेवाओं के पांच साल बाद BSNL के लिए फंडिंग जारी की गई ताकि वह 4G स्पेक्ट्रम खरीद सके। 5G स्पेक्ट्रम खरीदी के लिए इसे कब और कितना पैसा दिया जाता है। देखने वाला विषय है। 5G launch in india

कुल मिलाकर आने वाले समय में जियो का 5G पर एकाधिकार होने वाला है इस बात से इंकार नही किया जा सकता भविष्य में लोग 5G को Jio नाम से ही जानने लगेंगे। ठीक उसी प्रकार जैसे एक समय तक लोग पेस्ट को पेस्ट नही “कोलगेट” कहकर बुलाते थे।

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5G पर एकाधिकार के क्या परिणाम होंगे?

मोनोपॉली या एकाधिकार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की एक बुराई है। जो कि सरकार और पूंजीपति के लिए तो लाभदायक होता है परंतु जनता और ग्राहक के लिए नुकसानदायक।

सरकार को:

जितना अधिक कोई कंपनी कमाई करती है उतना ही अधिक सरकार को टैक्स मिलता है। एक कंपनी से टैक्स लेने और नियमों के अनुपालन कराने में भी सरकार को सुहलियत होती है। 5G launch in india


कंपनी को:

  1. कंपनी के लिए कॉम्पिटिशन समाप्त हो जाता है। प्रचार और शिकायत निवारण पर करोड़ों का खर्च बच जाता है।
  2. कंपनी अपने मर्जी अनुसार कीमतें तय कर सकती है।
  3. कंपनी का लाभ कई गुणा बढ़ जाता है।

 

जनता को:

 

  1. कीमतें आसमान छूने लगती है, इससे नए लोग नवाचार करने से हतोत्साहित होते है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में jio free data के समय सेवा क्षेत्र में सर्वाधिक नवाचार को बढ़ावा मिला
  2. कॉम्पिटिशन के चलते ग्राहकों को मिलने वाले एक से बढ़कर एक ऑफर नहीं मिलते।

क्या आप जानते है?

1) ट्राई के अनुसार, भारत में अभी भी 2.563 करोड़ (जुलाई 2022 तक) वायरलाइन या लैंड लाइन कनेक्शन है। जिसमे 27-27% कनेक्शन के साथ BSNL और JIO क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं।

2) भारत में मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या 114.8 करोड़ मोबाइल यूजर है। जिसमें सर्वाधिक ग्राहक 36.23% जियो के है। (TRAI, जुलाई 2022 तक)

3) भारत में केवल चार ही टेलीकॉम सर्विसेज प्रोवाइडिंग कंपनी है। BSNL, Airtel, VI और जियो।

4) टेल्स्ट्रा भारत में पहली टेलीकॉम उपलब्ध कराने वाली कंपनी थी। यह एक ऑस्ट्रेलियन कंपनी थी जो 2000 में बंद हो गई।

5) भारत में टेलीकॉम क्षेत्र में शुरुआत से अब तक 14 कंपनियों ने अभी तक हाथ आजमाए है जिसमे से केवल 4 बच गए है।

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भारत के लिए नासूर बनता जा रहा डायबिटीज! https://nitinbharat.com/how-india-is-becoming-capital-of-diabetes/ https://nitinbharat.com/how-india-is-becoming-capital-of-diabetes/#respond Tue, 20 Sep 2022 12:12:10 +0000 https://nitinbharat.com/?p=313 New Delhi: भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर 10 में से...

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New Delhi: भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर 10 में से एक व्यक्ति को डायबिटीज है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट बताती है कि भारत में डायबिटीज के 77 मिलियन से ज्यादा मरीज है. यह आंकड़ा 2030 तक 100 मिलियन से अधिक हो सकता है. India Diabetes Disease Capital

India Diabetes Disease Capital

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार 20 से 79 साल की उम्र के 463 मिलियन लोग डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित हैं। यह इस आयु वर्ग में दुनिया की 9.3 फीसद आबादी है। रिपोर्ट कहती है कि चीन भारत और अमेरिका में सबसे अधिक डायबिटीज के वयस्क मरीज हैं।

क्या है डायबिटीज?

डायबिटीज जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है। एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। अमेरिका में यह मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं। India Diabetes Disease Capital

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डायबिटीज के कारण?

शरीर में इंसुलिन की कमी से डायबिटीज होता है। यह आनुवंशिक, उम्र बढ़ने पर और मोटापे के कारण होता है। भारत डायबिटीज की विश्व राजधानी है। कोरोना के बाद भारत समेत पूरी दुनिया में डायबिटीज बढ़ा है।

डायबिटीज के प्रभाव (impact of diabetes)

डायबिटीज की वजह से शरीर के अंगों में इसका प्रभाव पड़ सकता है। अगर इसे नियंत्रित न रखा जाए तो इसका प्रभाव आंखों, किडनी, हार्ट आदि पर पड़ सकता है। आंखों में इसका प्रभाव पड़ने पर रेटिनोपैथी कहते हैं। किडनी में होने पर उसे नेफ्रोपैथी कहते हैं।

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डायबिटीज का इलाज?

डायबिटीज अगर डायग्नोज हो जाए तो इसका इलाज समय से हो सकता है। इलाज, बदली लाइफस्टाइल और नियंत्रण से एक व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकता है। पर दुनिया भर में बड़ी समस्या यह है कि एक बड़े तबके की डायबिटीज का डायग्नोज ही नहीं हो पाता।

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