देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए कई चीजें भक्त अपनी श्रद्धा और पूर्ति के अनुसार उन्हें अर्पित करते हैं जैसे बेलपत्र फल पुष्प अनाज के दाने आदि लेकिन क्या आप जानते हैं? शिव पुराण में भगवान देवा दी देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए पंच पुष्पों का उल्लेख किया गया है इन पंच पुष्पों को किसी ने किसी देवता का स्वरूप माना गया है जिसे आदि अनादि काल से देवाधि देव महादेव पर चढ़ाया जा रहा है। Panch pushpa shiv mahapuran
शिवमहापुराण में वर्णित पांच चमत्कारिक पंचपुष्प:
1. परिजात का पुष्प:
प्राजक्ता एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है।[1] इसका वानस्पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह पूरे भारत में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है। (साभार: विकिपीडिया) Panch pushpa shiv mahapuran
2. कनेर का पुष्प:
कनेर के पेड़ वन और उपवन में आसानी से मिल जाते है। फूल खासकर गर्मियों के मौसम में ही खिलते हैं। फलियां चपटी, गोलाकार 5 से 6 इंच लंबी होती है जो बहुत ही जहरीली होती हैं। फूलों और जड़ों में भी जहर होता है। कनेर की चार जातियां होती हैं। सफेद, लाल व गुलाबी और पीला। सफेद कनेर औषधि के उपयोग में बहुत आता है। कनेर के पेड़ को कुरेदने या तोड़ने से दूध निकलता है।(साभार: विकिपीडिया)
3. शमी का पुष्प:
शमी या खेजड़ी के वृक्ष की लकड़ी यज्ञ की समिधा के लिए पवित्र मानी जाती है। वसन्त ऋतु में समिधा के लिए शमी की लकड़ी का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार वारों में शनिवार को शमी की समिधा का विशेष महत्त्व है। 1983 में इसे राजस्थान राज्य का राज्य वृक्ष घोषित कर दिया था।(साभार: विकिपीडिया)
4. धतूरे का पुष्प:
धतूरा एक पादप है।। यह लगभग 1 मीटर तक ऊँचा होता है। यह वृक्ष काला-सफेद दो रंग का होता है। और काले का फूल नीली चित्तियों वाला होता है। हिन्दू लोग धतूरे के फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे ‘कनक’ और सुश्रुत ने ‘उन्मत्त’ नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं।(साभार: विकिपीडिया)
5. आंकड़े का पुष्प:
मदार (वानस्पतिक नाम:Calotropis gigantea) एक औषधीय पादप है। इसको मंदार’, आक, ‘अर्क’ और अकौआ भी कहते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है। वह दूध विष का काम देता है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।(साभार: विकिपीडिया)
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शिव महापुराण के अनुसार ये पुष्प बहुत ही चमत्कारिक है इनको सही विधि विधान से शिवलिंग में अर्पित करने से मनचाही इच्छा महादेव पूर्ण करते हैं। इन पुष्पों के बारे में खास बात यह है कि इसमें से एक न एक पुष्प आपको आपके आसपास अवश्य देखने मिल जाएगा चाहे आप किसी भी स्थान में रहते हो किसी भी भौगोलिक परिस्थिति में निवास करते हो इससे इस बात की सिद्धि होती है कि पुराणों में वर्णित ये पुष्प।
पंडित प्रदीप जी मिश्रा के कथा में भी वर्णित
इन पुष्पों का वर्णन भारत के सुप्रसिद्ध शिव कथा व्यास पंडित प्रदीप जी मिश्रा के शिव महापुराण कथा में भी किया जा चुका है 24 से 28 अप्रैल तक मध्य प्रदेश के धार में आयोजित शिव महापुराण कथा में इन पुष्पों का वर्णन किया गया। आपको बता दें कि 5 दिन तक चलें इस कथा में मुख्य केंद्र भगवान शिव को अर्पित किए जाने वाले यह पुष्प ही थे इस कथा का नाम पंचपुष्प शिव महापुराण (Panch pushpa shiv mahapuran) कथा था।
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