Ram Mandir Ayodhya विशेष लेख, राम के जीवन से मिलने वाली शिक्षा

“श्री राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नही है कुछ,

तुलसी ने वाल्मीकि ने छोड़ा नही कुछ..!”

शम्सी मिनाई ने यह लिखते हुए जो सोचा होगा, वही आज हम बोलते हुए भी महसूस कर रहे है।

नमस्कार! मैं हूं नितिन भारत

प्रभु श्री राम पर आखिर क्या बोलें? दो अक्षर का राम नाम अपने आप में पूर्ण है। राम मानवता की सबसे बड़ी मूरत है। उनका जीवन दया, करुणा, उदारता, सहनशीलता का सुंदर संदेश देती है। वहीं उनका चरित्र प्रेम, अनुराग, राजधर्म और मर्यादा की मिशाल है जो युगों युगांतर तक उन्हे मर्यादा पुरुषोत्तम का दर्जा देती है।

अयोध्या में 22 जनवरी को प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होने वाला है। इस खास अवसर हमारे आज के एपिसोड में हम जानेंगे प्रभु श्री राम के जीवन के वो संदेश जो मानवता को एक नई दिशा दे सकते है।

1. कर्तव्यनिष्ठ (dutiful)

रघुकुल रीति सदा चली आई,

प्राण जाए पर वचन न जाई।

युगों युगों तक कर्तव्य निष्ठता शब्द का जब जब जिक्र होगा प्रभु श्री राम का नाम सबसे पहले आयेगा। राम ने पिता के वचन का मान रखने के लिए अपने राज्य, राजधानी और सत्ता सुख तक को त्याग दिया। उन्होंने सहज भाव से 14 वर्ष का वनवास भी स्वीकार कर लिया यह उनकी कर्तव्य निष्ठता की सबसे बड़ी मिसाल है।

रामचरित मानस का एक-एक चरित्र कर्तव्य निष्ट है। माता सीता के हरण के समय पक्षीराज गरुड़ अपनी प्राण गंवाकर भी रावण को रोकने का प्रयास करते है। गरुड़ ही है जो माता सीता के हरण होने की सबसे पहले सूचना प्रभु श्री राम को देते है। कहा जाता है रामसेतु के निर्माण में गिलहरी जैसे छोटे जीव ने भी कर्तव्य निष्ट होकर अपना योगदान दिया। राम को गंगापार कराने वाले केंवट को भी भुलाया नही जा सकता जिन्होंने चुनौतीपूर्ण विशाल नदी से राम को पार पहुंचाया। वानर राज सुग्रीव से लेकर एक वनचर ने कर्तव्य परायण होकर श्री राम का साथ दिया तभी रामराज्य की स्थापना हो सकी।

आज जब वे अयोध्या में स्थापित हो रहे है हम सभी को संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव ही कर्तव्यनिष्ठ रहेंगे।

नेता जिन्हे हम पांच साल के लिए चुनते है वे कर्तव्य निभाएं। प्रशासक जिन्हे सेवा का दायित्व सौंपा गया है वे अपने कर्तव्यों का अनुपालन ईमानदारी से करे। टैक्सपेयर अपना टैक्स ईमानदारी से भरने का कर्तव्य निभाएं।

युवा कर्तव्य निष्ट होकर अपनी ऊर्जा राष्ट्र की प्रगति में लगाएं। क्योंकि जहां कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन होता है वही रामराज्य की स्थापना होती है।

शायद यही वजह है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51A भी हमे कर्तव्य निष्ट होने का आदेश देता है।

आइए इस पावन अवसर पर हम राष्ट्र की प्रगति के लिए कर्तव्य निष्ट होने का शपथ ले।

🙏जय सिया राम🙏

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