Polity Archives - NITIN BHARAT https://nitinbharat.com/category/polity/ India's Fastest Growing Educational Website Wed, 16 Aug 2023 10:25:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5 210562443 चुनावों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका एवं सीमाएं https://nitinbharat.com/artificial-intelligence-role-in-elections-and-its-limitations/ https://nitinbharat.com/artificial-intelligence-role-in-elections-and-its-limitations/#respond Wed, 16 Aug 2023 10:25:04 +0000 https://nitinbharat.com/?p=718 31 मार्च 2023 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ (Artificial intelligence role in elections) आरोप तय कर दिए थे इसके बाद...

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31 मार्च 2023 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ (Artificial intelligence role in elections) आरोप तय कर दिए थे इसके बाद एक वीडियो वायरल किया गया जिसमें राष्ट्रपति जो बिडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस व्हाइट हाउस में इस घटना का जश्न मानते नजर आते हैं। इस वीडियो को अगर से देखें तो हम पाते हैं कि कमला हैरिस की हाथों में 6 उंगलियां थी। उस दिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही व्हाइट हाउस में मौजूद नहीं थे यह एक फेक तस्वीर थी और अमेरिका में लाखों लोगों को भेजी गई। भेज कर डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में उत्पन्न की गई। यह सब AI (Artificial Intelligence) की मदद से किया गया। इसमें राजनीतिक विशेषज्ञों को यह सोचने पर विवश कर दिया कि चुनावों में आर्टिफिकल इंटेलिजेंस का उपयोग कर किस तरह मतों को बदला और प्रभावित किया जा सकता है। आइये जानते है चुनावों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका एवं सीमाएं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव चुनावों पर समझेंगे लेकिन उससे पहले आइए जान लेते है आखिरआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या बला है?

क्या आदिवासी हिंदू नही है? Does Tribals Are Not Hindu

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हिंदी में अनुवाद होता है “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” ये कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Artificial intelligence role in elections) द्वारा मानव मस्तिष्क और क्रियाविधि की कृत्रिम नकल करने का विज्ञान है। आसान भाषा में कहें तो यह एक वर्चुअल रोबोट है जो मानव की हर गतिविधियों की नकल कर सकता है। मशीनों के क्रियाविधि देखकर सीख सकता है। जैसे- बोलना, सोचना, लिखना, नकल करना, मेमोरी से खुद-ब-खुद डाटा खोजकर प्रोसेस करना और मशीनों को नियंत्रित करना आदि आदि. AI (Artificial Intelligence) क्या क्या कर सकता है इसका पूर्ण अनुमान आज तक वैज्ञानिक भी नही लगा सके है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता लोकतंत्र के लिए वरदान और अभिशाप दोनो सिद्ध हो सकते है। आइए चुनावों एवं लोकतंत्र में AI (Artificial Intelligence) की भूमिका को समझते है। AI (Artificial Intelligence) का चुनावों में सकारात्मक उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है:

चुनावों में AI का सकारात्मक उपयोग

  • चुनाव आयोग द्वारा भारत के नवयुवकों को मतदान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदार बनाने के लिए अलग- अलग युवाओं के रुचि अनुसार उन्हें मत देने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
  • राजनीतिक दल अपना प्रचार प्रसार कम से कम खर्चों में डिजिटल मीडिया, एवं सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभावी तरीके से कर पाएंगे। इससे चुनावों में धन का दुरुपयोग रूक सकता है। जैसे अपनी आवाज, प्रचार सामग्री और कॉन्टेट सिलेक्टेड लोगों को भेजा जा सकता है।
  • आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए अब उम्मीदवार मतदाताओं के जरिए उनकी प्रोफाइल, सोच और प्राथमिकताओं का पता लगाकर उसी के अनुरूप अपने मैसेज और प्रचार सामग्री को ढाल सकते है।
  • आगामी चुनावों में जनरेटिव AI (Artificial Intelligence) यानी सेल्फ जनरेटेड AI (Artificial Intelligence) की मदद से मतदाताओं की प्रोफाइल और सोच के आधार पर फोटो, वीडियो और ऑडियो जैसे चुनाव सामाग्री बड़े पैमाने पर बनाकर तेज रफ्तार से मतदाताओं तक पहुंचा सकती है।
  • बेट्सी हूवर (हायर ग्राउंड्स लैब की सह संस्थापक) द्वारा BBC को दिए गए एक इंटरव्यू में कहती है कि राजनीतिक दल चुनाव के समय बहुत सारे कंटेंट राइटर और चुनाव रणनीतिकार रखते है। जो मूल प्रचार सामग्री के हजारों वैरिएशन बनाकर मतदाताओं तक पहुंचाते है। AI (Artificial Intelligence) यह काम बहुत आसानी से और तेजी से कर छोटे छोटे गुटों के संदेश पहुंचा सकता है।
  • अमेरिका स्थित स्टर्लिंग कंपनी के CEO ने AI (Artificial Intelligence) की मदद से वहां के राजनीतिक दलों को चुनाव में चंदा दे सकने वाले संभावित दाताओं की सूची, राजनीतिक दलों को सौंपी थी इससे राजनीतिक दलों को 2 नंबर से मिलने वाले धनो पर निर्भरता कम होगी और लोकतंत्र स्वच्छ होगा..!
  • अभी राजनीतिक दल योजना या घोषणापत्र में उनके लिए क्या है वर्ग वार या आयु के हिसाब से नही भेज पाती। AI की मदद से चुनावी घोषणा जैसे महिलाओं को 1000 रुपए स्वालंबन राशि प्रतिमाह दिया जाएगा। केवल महिलाओं तक भेजा जाएगा। युवाओं को नए स्कॉलरशिप की घोषणा केवल युवाओं तक पहुंचाने की घोषणा केवल युवक युवतियों तक पहुंचाना एक प्रभावी और दक्ष चुनावी प्रचार हो सकता है। इनकी वर्ग वार, आयुवार और क्षेत्रवार सूची AI की मदद से मिनटों में निकाला जा सकता है।
  • वोटरों के छोटे छोटे समूहों की रुचि अनुसार बाते, मुद्दे और विषय AI (Artificial Intelligence) की मदद से तैयार किए जा सकते है। यह अत्यंत कारगर हो सकता है मतों को प्रभावित करने में!
  • छोटे छोटे बूथ स्तर के नेताओं के वीडियो उन्ही के आवाज में बनाकर भेजने में भी AI (Artificial Intelligence) सक्षम है। केवल बड़े नेताओं के भाषणों और प्रचार सामग्रियों पर निर्भरता कम हो सकेगी।

लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जितना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सकारात्मक उपयोग कर लोकतंत्र को समृद्ध बनाया जा सकता है उतना ही नकारात्मक उपयोग कर लोकतंत्र का विनाश भी किया जा सकता है आइए समझते हैं AI का नकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नकारात्मक उपयोग

  • फेक न्यूज फैलाने में: “सच जब तक अपने जूते पहन रहा होता है, तब तक झूठ आधी दुनिया का सफ़र तय कर लेता है।” मार्क ट्वैन का कथन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के जमाने में 100% फिट बैठता है। आलेख के प्रथम पैराग्राफ में हम लोगों ने पढ़ा कि किस प्रकार अमेरिका जैसे विकसित लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी फेक न्यूज़ ने अपना काम किया।
  • भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र और विविधता से युक्त सामाजिक संरचना में हिंदू-मुस्लिम बलवे कट्टर राजनीतिक दल ध्रुवीकरण कर लिए फेक न्यूज के माध्यम से कराते रहे है। भारत में कुछ जातिवादी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियां है जो अपने अल्पलाभ के लिए जातिगत वैमनस्यता (Artificial intelligence role in elections) फैला देते है। AI (Artificial Intelligence) द्वारा इसमें आग में घी के समान काम करेगा। यह चुनाव के दौरान कोई तीसरा पक्ष भी अंजाम दे सकता है राजनीतिक दलों को लगेगा ये उसके प्रतिद्वंदी की कोई साजिश है।
  • भारत में जहां लोकतंत्र एक विकाशील दौर से गुजर रहा है, राजनीतिक दलों द्वारा उन्नत AI (Artificial Intelligence) साफ्टवेयर तकनीकों का उपयोग करके मतदाताओं को बरगलाने में किया जायेगा इससे लोकतंत्र कमजोर होगा। चुनावों में धन का उपयोग बढ़ेगा या यूं कहे पूंजीपतियों का सरकार में दबदबा हो जायेगा।
  • सड़क पर आंदोलन करते दिल्ली में महिला रेसलरों को 28 मई 2023 दोपहर को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर बस में ले जाती है। रेसलर विनेश फोगाट और संगीत फोगाट ने सोशल मीडिया एक इमेज मैसेज पोस्ट किया कि न्याय के लिए आंदोलन करते रेसलरों को दिल्ली पुलिस ने बर्बरता पूर्वक गिरफ्तार किया। इस सेल्फी इमेज में कुल आठ रेसलर एक बस में बहुत ही दारुण मुद्रा यानी विलाप की मुद्रा में दिख रहे थे। इस फोटो को सोशल मीडिया पर बहुत कम लोगों ने देखा। शाम को अचानक ट्विटर में इन्ही फोटो को हंसते हुए और गिरफ्तारी के बाद खिलखिलाते हुए जारी किया गया। ऐसा नैरेटिव क्रिएट करने की कोशिश की गई कि सड़क पर आंदोलन करते ये खिलाड़ी असल में केवल नौटंकी कर रहे है। ये गिरफ्तारी के बाद हंसते खिलखिलाते समय गुजारते है। इस प्रकार यह लोकतान्त्रिक आन्दोलनों का भी दमन कर सकती है.
  • इस पोस्ट के बहुत अधिक वायरल हो जाने के बाद रेसलर बजरंग पुनिया द्वारा ओरिजनल तस्वीर को सार्वजनिक किया जाता है। और यह आरोप लगाया जाता है कि भाजपा IT सेल द्वारा AI (Artificial Intelligence) की मदद से रोते चेहरों को हंसते चेहरों में बदलकर रेसलरों की छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। पर जैसे कि मार्क ट्वेन ने कहा था झूठ कई किलोमीटर का सफर तय कर चुका था।
  • जेनरेटिव AI (Artificial Intelligence) की मदद से वॉइस क्लोनिंग यानी आवाज की कॉपी करना और किसी भी नेता का कुछ सेकंडो का फर्जी बयान दिलवाना जैसे काम कराकर भारी गड़बड़ी फैला सकते है।

चुनावों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सीमाएं

  • यह केवल डिजिटल माध्यमों और विकसित सूचना और संचार तंत्र वाले इलाकों में कारगर है। “इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट्स 2022” के मुताबिक भारत में 2022 में कुल 76 करोड़ सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता है। जो की भारत की कुल आबादी का महज 50 से 60% ही है। इसमें भी अधिकांश लोग शहरी क्षेत्रों के है। हालांकि आने वाले समय में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ेगा।
  • डिजिटल प्रचार की अपनी एक सीमा होती है। लोग ऐसे प्रतिनिधि चुनना ज्यादा पसंद करते है जो उनके बीच आता जाता हो उनसे सीधा संवाद करता है और प्रत्यक्ष तरीके से उनके बीच काम करता है। सोशल मीडिया और AI केवल मददगार साबित हो सकती भौतिक प्रचार का विकल्प नहीं बन सकता।
  • AI सॉफ्टवेयर (Artificial Intelligence) तभी काम करेगा जब उसमे हम डाटा जैसे की वोटरों की जानकारी, उनके प्रोफाइल और उनका फोटो देंगे। मान लीजिए AI के मदद से एक बूथ स्तर पर मतदाताओं के रुचि, सोच और प्रोफाइल में से कोई सूची AI को तैयार करना है तो पहले उस कंप्यूटर में यह जानकारियां हमे डालनी होगी तभी AI (Artificial Intelligence) फेच कर पाएगा।
  • कई मामलों में गुणवत्ताहीन AI (Artificial Intelligence) सॉफ्टवेयर राजनीतिक छवि बनाने की जगह बिगाड़ भी देगा। जन-जन में हंसी का पात्र भी बना देगा। स्थानीय भाषा में किसी शब्द, उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ी में लिखें भाषण को यदि हमें बुलवाना है- “मैं छत्तीसगढ़िया हरव मडिया पेज पीथो” बोलना है और AI (Artificial Intelligence) ने इसे उच्चारित किया “मैं छत्तीस गाड़ियां हरव मारिया पेज पीठों” तो अर्थ का अनर्थ हो जायेगा और एक भद्दा मजाक क्षेत्र में प्रतिनिधि का बन जायेगा..!
  • चुनाव आयोग और रेगुलेटरी संस्थाएं यद्यपि अभी इसपर कोई ठोस गाइडलाइन (Artificial intelligence role in elections) जारी नही की है लेकिन यदि एकाएक इस तरह के AI जेनरेटेड वीडियो, ऑडियो और इमेज सामग्री को बैन कर दे इस बात बात के मद्दे नजर कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए हानिकारक है। अमेरिका में 2024 चुनाव के पूर्व इसपर रेगुलेशन की बात की जा रही है।

इस प्रकार AI (Artificial Intelligence) का चुनावों में उपयोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनो तरीके से किया जा सकता है और इसकी कुछ सीमाएं है जिसे भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। आने वाले समय में AI का उपयोग नई पीढ़ी किसी तरह से करती है और AI (Artificial Intelligence) स्वयं को कितना विकसित करता है देखना रोचक होगा। भारत जैसे देश में AI (Artificial Intelligence) अभी प्रारंभिक अवस्था में है जहां AI न्यूज एंकरों द्वारा मौसम समाचार, टॉप खबरें पढ़ाना, कुछ जानकारियां खोजना, वीडियो, ऑडियो मेसेज बनाना जैसे कामों के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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भारतीय संसद के बारे में ये तथ्य आप शायद ही जानते होंगे https://nitinbharat.com/key-facts-about-new-parliament-house-of-india/ https://nitinbharat.com/key-facts-about-new-parliament-house-of-india/#respond Sat, 27 May 2023 14:51:24 +0000 https://nitinbharat.com/?p=710 भारतीय संसद में चोल काल के राजसत्ता के प्रतीक सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। अधिकतम 1272 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था, 30% तक बिजली की बचत, कांस्टीट्यूशनल...

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भारतीय संसद में चोल काल के राजसत्ता के प्रतीक सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। अधिकतम 1272 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था, 30% तक बिजली की बचत, कांस्टीट्यूशनल हाल और कमल एवं मयूर से प्रभावित नवीन संसद भवन की विशेषताओं के बारे में आइए जानते है। key facts new parliament house

1. त्रिभुजाकर संरचना: पूर्व ब्रिटिश काल निर्मित संसद वृत्ताकार थी। वर्तमान संसद भवन को कम जगह में बनाकर अधिक प्रभावशाली उपयोगी बनाया जा सके इसलिए त्रिभुजाकार बनाया गया है। ज्ञात हो कि पूर्व संसद भवन के अंदर छोटे चेंबर, छोटे हाल जैसी कई समस्याएं थी। नई संसद भवन चार मंजिला इमारत है। जिसका कुल क्षेत्रफल 64,500 स्क्वायर मीटर है।

2. मयूर से प्रभावित लोकसभा हाल: भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर से प्रेरणा लेकर लोकसभा की अदरूनी सीटिंग व्यवस्था बनाई गई है। इसमें 888 सदस्यों के लिए बैठक व्यवस्था एवं संयुक्त सत्र के स्थिति में 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है।

3. राज्यसभा कमल पुष्प से प्रेरित: भारतीय संसद (key facts new parliament house) का उच्च सदन कमल के पुष्प से प्रेरित संरचना है। कमल भारत का राष्ट्रीय पुष्प है। इसमें कुल 348 सदस्यों के लिए बैठने की व्यवस्था है। आगमी सालों में परिसीमन के बाद बढ़ने वाले सीटों के मद्देनजर इसे पहले से बड़ा बनाया गया है।

4. सेंट्रल हॉल नही है: पूर्व संसद भवन की तरह इसमें सेंट्रल हॉल नही है। इस संसद भवन में लोकसभा में पांच कुर्सियां आसंदी लगाने की व्यवस्था है जिसमे संयुक्त सदन आहूत की जा सकती है। लोकसभा हाल में कुल 1272 सदस्यों की बैठने की व्यस्था है।

5. संविधान हाल: भारत की संवैधानिक उपलब्धियों और विरासत को प्रदर्शित करने के लिए भवन के मध्य में संविधान हाल बनाया गया है जो कि एक महत्वपूर्ण भूमिका होगा। पूर्व संसद भवन में इस प्रकार के किसी भी भवन की व्यवस्था नहीं थी।

6. इकोफ्रेंडली भवन: ऊर्जा की बजत और पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए यहां निर्माण कार्य किया गया है। ग्रीन डिवाइसेज और यंत्रों के द्वारा 30% तक बिजली की बचत यहां होगी।

संघीय व्यवस्था की विशेषताएं features of federal system

7. भूकंप रोधी संरचना: पूरे भवन को भूकंप जोन 5 के पत्थरों से इस प्रकार किलाबद्ध किया गया है कि इसमें भूकंप की संभावना न के बराबर हैं। पूरी दिल्ली जहां भूकंप जोन 4 में आती है वही संसद भवन परिसर भूकंप जोन 5 में आयेगा।

8. अत्याधुनिक सुविधाएं: सदस्यों के लिए उन्नत मल्टीमीडिया, डिजिटल पैड और हाईटेक तकनीकों से पूरे भवन को सुविधा युक्त बनाया गया है।

9. बड़ी दर्शकदीर्घा एवं समिति भवन: संसद भवन में जनता के आवाजाही के लिए अलग से गेट बनाए गए है। इसके अलावा कार्रवाई देखने जाने वाले विजीटर्स के लिए बड़ा विजीटर्स चेंबर बनाया गया है।

10. नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया गया है। टाटा ने बोली में इस प्रोजेक्ट को जीता था। संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विष्टा प्रोजेक्ट के एक भाग के रूप में किया गया हैं। इसके निर्माण में कुल 970CR (2022 का अनुमान) खर्च आया।

संसद भवन की मुख्य विशेषताओं (key facts new parliament house) के बारे में हमने जाना। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा जाता है। कोरोना वैश्विक महामारी के बीच इसका निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ, उद्घाटन में राष्ट्रपति को नही बुलाया जाना, सेंगोल की स्थापना, विपक्षी दलों द्वारा बहिष्कार करना, संसद की औसतन कार्य दिवसों में लगातार हो रही गिरावट, वीर सावरकर के जन्म दिवस के अवसर पर इसका उद्घाटन जैसे कई पहलुओं के चलते यह हमेशा याद रखा जाएगा।

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डॉ भीमराव अंबेडकर के जयंती पर लोगों ने कह डाली ऐसी बात https://nitinbharat.com/dr-bhimrao-ambedkar-jayanti-special/ https://nitinbharat.com/dr-bhimrao-ambedkar-jayanti-special/#respond Fri, 14 Apr 2023 09:21:28 +0000 https://nitinbharat.com/?p=701 बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने आजीवन समाज के शोषित वंचित और पीड़ित वर्ग की आवाज उठाई उस वर्ग को बाबा भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक अधिकारों से सशक्त...

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बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने आजीवन समाज के शोषित वंचित और पीड़ित वर्ग की आवाज उठाई उस वर्ग को बाबा भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक अधिकारों से सशक्त किया प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया और शिक्षा और रोजगार के लिए मार्ग प्रशस्त किया आज जब पूरा देश डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती (dr bhimrao ambedkar jayanti) मना रहा है तक कुछ ऐसे लोग भी हैं जो भावविभोर होकर अंबेडकर को श्रद्धांजली दे रहे हैं वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो अंबेडकर के बारे में वह सब भी लिख रहे हैं जो उन्हें नहीं लिखना चाहिए।

सोशल मीडिया पर लिखे गए ऐसे ही कुछ रोचक पोस्ट के बारे में हम इस आर्टिकल में पड़ेंगे। इसे पढ़ने से पहले इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि आज अंबेडकर किसी जाति विशेष के प्रतिनिधि या नेता नहीं है या केवल जातिवादी नेता भी नही है। बाबा साहेब आंबेडकर (dr bhimrao ambedkar jayanti) हर शोषित, पीड़ित, वंचितों की आवाज थे। महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और विचारक थे। संविधान के शिल्पी और विकसित भारत के स्वप्नदृष्टा थे। उनकी सराहना, गांधी, नेहरू, पटेल सभी करते थे।

महात्मा गांधी: क्या गांधी ने भगत सिंह को बचाने की कोई कोशिश नही की थी?

उनकी जयंती पर @jainkhabar नामक ट्विटर यूजर लिखते है-

अंबेडकर जी को को पहले जैन धर्म और बौद्ध धर्म ही पसंद आए थे। वे अपने 7,00000 फॉलोवर्स के साथ जैन धर्म अंगीकार करने वाले थे, और इसके लिए वे चारित्र चक्रवर्ती शांति सागर जी महाराज के पास पहुंचे और उनसे कहा कि आप इन्हें दीक्षित कर दीजिए।

लेकिन शांति सागर जी महाराज ने कहा कि पहले वे मांस मदिरा आदि का त्याग करके आधारभूत नियमों का पालन करें तो हम इन्हें दीक्षित करेंगे, लेकिन अंबेडकर चाहते थे कि पहले दीक्षित कर दिया जाए यह सब नियम बाद में अंगीकार होते रहेंगे, बस बात यहीं पर नहीं बन पाई और उन्होंने सात लाख लोगों

महात्मा गांधी vs अंबेडकर: क्या गांधी, अंबेडकर के सबसे बड़े शत्रु थे?

के साथ 1956 में नागपुर में बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया।मानव समुदाय में ऊंच-नीच की भावना भरने वाले हिंदू धर्म के ग्रंथ मनुस्मृति को भीड भरे चौराहे पर जला दिया। उनका कहना था कि प्रत्येक मनुष्य समान है कोई भी ऊंच-नीच नहीं है जाति-भेदभाव से परे उन्होंने संविधान बनाने में सहयोग किया।

Retired IPS RK Vij ने अंबेडकर के सुविचार के साथ उन्हें याद करते हुए लिखते है- “मुझे वह धर्म प्यारा है जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता हो।”

संजय चौहान नामक एक ट्विटर यूजर ने लखनऊ से जारी महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के वीडियो संदेश को प्रसारित किया जिसमे उन्होंने कहा है कि ” बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर मेरे लिए भगवान है। मैं आज आपके सामने खड़ी हूं तो यह बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की वजह से है” इस वीडियो में लिखा गया है कि इतिहास गवाह है महिलाओं को न्याय दिलाने का काम जो बाबा। साहेब ने किया है वह कोई भी नही कर पाया था।

शिमला मीना (@ShimlaMeena9) यूजर द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बाबा साहेब के पहल को याद करते हुए लिखा गया है-

महिलाओं का जीना आसान नहीं होता,

यदि दुनिया में पैदा कोई भीम नहीं होता,

मनुवाद की गुलामी से कोई घूंघट में रोता,

फिर सर उठा कर जीना आसान नहीं होता,

बाबा ने तेरी हाथों की बेंडियो को तोड़ा,

वरना कलम चलाना आसान नहीं होता,

डीएम सीएम पीएम कोई महिला नहीं बनती,

अगर बाबा साहब का लिखा संविधान नहीं होता!!

 

रवि सगरमे (@ravisagarme) नामक ट्विटर यूजर ने एक वीडियो संदेश को जारी किया है जिसमे कहा गया है –

“एक महिला कभी मस्जिद की मौलाना नहीं बन सकती, एक महिला कभी मंदिर की मुख्य पुजारी नहीं बन सकी, एक महिला कभी चर्च की मुख्य पादरी नहीं बन सकती, कोई भी महिला कभी भी किसी भी धर्म की विश्वविख्यात गुरु नहीं बन सकी। मगर एक महिला विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रपति, आईएएस, आईपीएस और सचिव सब कुछ बन सकती है। जो अधिकार धर्म नहीं दे पाया वह सब अधिकार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संविधान ने महिलाओं को दे दिया। इसलिए भारत की महिलाओं को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के प्रति ईमानदार होकर उनके दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए। मगर आज की महिलाएं धर्म और कर्मकांड के चक्कर में पड़ कर अपना जीवन बर्बाद कर रही है” dr bhimrao ambedkar jayanti

राष्ट्रवादी पत्रकार सुरेश चवनके के लिखते हैं –

“आख़िरी मुसलमान जब तक पाकिस्तान नहीं चला जाता और आख़िरी हिंदू जब तक हिंदुस्थान नहीं आ जाता, तब तक मैं देश के इस विभाजन को नहीं मानूंगा”- भारत रत्न #डॉ_बाबासाहेब_आंबेडकर जी आज उनकी स्मृति को कोटि- कोटि नमन..

इसके साथ ही चावहांके ने बाबा साहेब की तस्वीर भी पोस्ट की जिसपर उन्होंने लाल टीका भी आर्टिफिशियल तरीके से लगा दिया था।

उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री लिखते है -“समाज के हर वंचित, हर पीड़ित, हर दलित की आवाज को धार देने, उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने वाले ‘भारत रत्न’ बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को कोटि-कोटि नमन!”

आईपीएस प्रह्लाद मीना ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमे अंबेडकर के नाम से कहा गया है कि “तुम्हारे पैरों में जूते भले ना हो पर हाथों में किताब अवश्य होना चाहिए”

वही अधिकतर लोगों ने “Be Educated, Be Organised and Be Agitated (शिक्षित बनो , संगठित रहो , संघर्ष करो)” और “हजार तलवारों से ज्यादा ताकत एक कलम में होती है।” प्रेरणादायक सुविचार भी उनके जन्म दिवस के अवसर पर लिखा।

 

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केंद्र शासित राज्यों को याद रखने की आसान ट्रिक कभी नही भूलेंगे https://nitinbharat.com/trick-to-remind-union-territory/ https://nitinbharat.com/trick-to-remind-union-territory/#comments Sat, 08 Apr 2023 14:42:19 +0000 https://nitinbharat.com/?p=672 भारतीय संविधान के भाग 1 में भारत संघ के राज्य क्षेत्र को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहला राज्य क्षेत्र दूसरा केंद्र शासित प्रदेश और तीसरा...

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भारतीय संविधान के भाग 1 में भारत संघ के राज्य क्षेत्र को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहला राज्य क्षेत्र दूसरा केंद्र शासित प्रदेश और तीसरा अन्य क्षेत्र जो भारत सरकार द्वारा किसी भी समय अर्जित किए जाएंगे। केंद्र शासित प्रदेश बाकी प्रदेशों की तुलना में शक्तियों के मामले में भिन्न होते हैं वर्तमान (अप्रैल 2023) तक भारत में कुल 8 केंद्र शासित प्रदेश और 28 राज्य हैं। Trick to remind Union Territory केंद्र शासित प्रदेशों को याद करने की ट्रिक

केंद्र शासित प्रदेशों को संघ शासित प्रदेश भी कहा जाता है भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर को विभाजित कर 2 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख बनाए गए जिसके बाद से भारत में 8 केंद्र शासित प्रदेश हो गए। गौरतलब है कि दादरा नगर हवेली एवं दमन दीव को मिलाकर 1 केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था जिसके बाद से 6 केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में थे। 31 अक्टूबर 2019 को लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर दो नए केंद्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आए। जिसके बाद से वर्तमान में कुल 8 केंद्र शासित प्रदेश भारत संघ में है। Trick to remind Union Territory केंद्र शासित प्रदेशों को याद करने की ट्रिक

संघीय व्यवस्था की विशेषताएं features of federal system

केंद्र शासित प्रदेशों को याद करने की ट्रिक

केंद्र शासित प्रदेशों को कई राज्य और केंद्र की प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछा जाता है। इसे याद करने के लिए बेहद ही आसान ट्रिक याद रख सकते हैं। यह किसी व्यक्ति के नाम के समान है। यह ट्रिक अंग्रेजी अक्षरों के अल्फाबेट से बना है जोकि है

J.P. LAL DDC

J – Jammu and Kashmir

P – Puducherry

L – Laddakh

A – Andman And Nicobar

L – Lakshadweep

D – Delhi

D – Dadara Nagar Haveli Daman and Diu

C – Chandigarh

तो ये थे भारत के संघ शासित प्रदेशों को याद रखने की आसान ट्रिक (Trick to remind Union Territory केंद्र शासित प्रदेशों को याद करने की ट्रिक) यदि आप इससे बेहतर बना सकते हैं तो जरूर बनाएं यह ट्रिक आपको केवल मार्गदर्शन देता है ताकि आप अपने से नए ट्रिक भी बना सके। लेकिन यदि आपके ट्रिक अच्छा लगा हो तो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जरूर पहुंचाएं।

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संघीय व्यवस्था की विशेषताएं features of federal system https://nitinbharat.com/features-of-federal-system/ https://nitinbharat.com/features-of-federal-system/#comments Fri, 07 Apr 2023 14:17:51 +0000 https://nitinbharat.com/?p=669 हालिया दिनों में ईडी CBI और इनकम टैक्स के छापों के बाद भूपेश सरकार ममता सरकार और केजरीवाल सरकार ने संघीय ढांचे पर हमले की बात करते...

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हालिया दिनों में ईडी CBI और इनकम टैक्स के छापों के बाद भूपेश सरकार ममता सरकार और केजरीवाल सरकार ने संघीय ढांचे पर हमले की बात करते है। राज्य सरकारें ऐसा क्यों कहती जानेंगे लेकिन उससे पहले आइए समझते हैं संघीय ढांचा (Features of federal system) है और संघीय सरकार है क्या?

राज्य सरकार और केंद्र की सरकार के मध्य शक्तियों के बंटवारे के आधार पर राजनीति शास्त्रियों ने सरकार को दो भागों में वर्गीकृत किया है पहला संघीय सरकार और दूसरा एकात्मक सरकार। यदि आप संविधान की थोड़ी बहुत समझ रखते हैं तो आप उदाहरण के जरिए बेहतर तरीके से इस व्यवस्था को समझ सकते हैं संघीय व्यवस्था (Features of federal system) अमेरिका में कायम है जबकि एकात्मक व्यवस्था ग्रेट ब्रिटेन में कायम है जबकि भारत में दोनों का स्वरूप शामिल है इसलिए विशेषज्ञ जैसे के. सी. व्हेयर इसे “अल्प संघीय” (Quasi Federal) करार दिया है।

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किसी भी संविधान में संघीय व्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएं होती है-

1. द्वैध राज्यपद्धति (diarchy)

द्वैध राज्यपद्धति का अर्थ होता है संविधान में वर्णित विषयों पर केंद्र और राज्य अलग-अलग कानून बना सकते हैं। जैसे-अमेरिका में किसी राज्य की शिक्षा पद्धति केंद्र की शिक्षा पद्धति से अलग हो सकती है। जबकि भारत में केंद्र, राज्य और समवर्ती सूची तीन तरह की सूचियां है। जिस पर कुछ पर केंद्र का एकाधिकार है कुछ पल राज्य का जबकि कुछ सूचियों पर दोनों का अधिकार है जैसे की हम सब देखते हैं शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और इस पर केंद्र और राज्य दोनों ही कानून बना सकते हैं।

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2. कठोर संविधान (Rigid Constitution)

संघर्षों में संविधान संशोधन कठोर होता है अर्थात आसानी से या कुछ सदस्य मिलकर उस देश की संविधान को नहीं बदल सकते यदि बदल भी लेते हैं तो राष्ट्रपति द्वारा उसे नकारा जा सकता है। अंग्रेजी में इसे “चेक एंड बैलेंस” का सिद्धांत कहा जाता है। जबकि भारत में लचीले और कठोर संशोधन प्रणाली का मिश्रण अपनाया गया है अर्थात यहां संविधान संशोधन मूल ढांचे को छोड़कर संशोधित करना ना अत्यधिक कठिन है और न ही अत्यधिक सरल।

3. संविधान की सर्वोच्चता (supremacy of constitution)

संघीय व्यवस्था में संविधान की सर्वोच्चता होती है और संविधान ही वह रूलबुक होता है जिस पर केंद्र और राज्य चलते हैं। जबकि संसद और जनता सर्वोच्च है यहां जनता संसद के माध्यम से मूल ढांचे के अलावा बाकी सभी प्रावधानों को संशोधित कर सकती है।

4. द्विसदनीयता (bicameral)

इसका अर्थ होता है उच्च और निम्न सदन का होना। संघीय संविधान को अपनाने वाले देशों में यह अनिवार्य विशेषता के रूप में होता है जैसे अमेरिका में हाउस ऑफ कॉमन्स (HoC) एवं हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (HoR). उच्च सदन में सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। जबकि भारत में द्विसदनीय व्यवस्था है लेकिन उच्च सदन में राज्यों को जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जाता है।

5. स्वतंत्र न्यायपालिका (independent judiciary)

संघीय व्यवस्थाओं में स्वतंत्र न्यायपालिका की उपस्थिति होती है क्योंकि यह अनिवार्य रूप से केंद्र और राज्य के मध्य उपजे विवाद को निपटाने का काम करती है। जबकि भारत में एकीकृत न्याय तंत्र उपस्थित है।

6. शक्ति का विभाजन (separation of power)

संघीय व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता में से एक शक्ति का विभाजन है क्योंकि यह देश अपने राज्यों से समझौते जिसे संविधान यह शक्तियों का विभाजन कहा जाता है के द्वारा आपस में मिलकर एक देश का निर्माण करते हैं इसलिए केंद्र और राज्य की इकाई के बीच शक्ति का विभाजन अनिवार्य रूप से होता है और केंद्र राज्यों की शक्ति का अतिक्रमण नहीं कर सकती और ना ही राज्य केंद्र की शक्तियों का अतिक्रमण कर सकती है। भारत में केंद्र की ओर झुका हुआ शक्ति विभाजन है जिसमें राष्ट्रीय महत्व के विषयों को केंद्र अपने पास रख कर उस पर नियम और शासन करती है जैसे अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, रक्षा, इंटरनेट, हवाई यातायात, रेलवे आदि।

7. लिखित संविधान (written constitution)

लिखित संविधान संघीय व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता है इसी के माध्यम से न्यायालय केंद्र और राज्य इकाई के मध्य उत्पन्न विवादों का समाधान करती है और यही संविधान केंद्र और राज्य इकाई को एक विशेष दिशा और उद्देश्यों के लिए कार्य करने के लिए अनुदेशित करती है।

 

 

 

उपरोक्त विशेषताओं से आप समझ गए होंगे कि सिद्धांत में भारत का संविधान एक पूर्ण संघीय सरकार (Features of federal system) की स्थापना नहीं करता बल्कि मजबूत केंद्र के साथ सहयोगी राज्य की कल्पना करता है। हालांकि बोम्मई मामले (1994) में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि “राज्य केंद्र की इकाई नहीं है बल्कि उसका एक स्वतंत्र अस्तित्व है नहीं राज्य केंद्र का एजेंट है”। लेकिन व्यवहार में इसका पालन नहीं होता।

इसलिए राज्यों पर सीबीआई, ईडी और एनआईए जैसी जांच एजेंसियों के छापे पड़ते है तो राज्य विरोध दर्ज करने लगते है। इसके पीछे राजनीतिक और वास्तविक दोनो कारण निहित जिसपर आए दिन बहस होती है। कई विवाद का समाधान न्यायपालिका के माध्यम से होता है?

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BBC दफ्तर में इनकम टैक्स का छापा के क्या मायने है? https://nitinbharat.com/it-raids-on-bbc-office-india/ https://nitinbharat.com/it-raids-on-bbc-office-india/#respond Tue, 14 Feb 2023 12:05:42 +0000 https://nitinbharat.com/?p=588 बीबीसी के मुंबई दफ्तर में 14 फरवरी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का छापा (IT Raids On BBC) पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे विनाशकाले...

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बीबीसी के मुंबई दफ्तर में 14 फरवरी को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का छापा (IT Raids On BBC) पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे विनाशकाले विपरीत बुद्धि कहा जबकि भाजपा ने BBC को दुनिया का सबसे भ्रष्ट कॉर्पोरेशन बताया। आइए समझते है इसके मायने।

BBC की विचारधारा एवं सरकार से गतिरोध

BBC समूह लंदन की बहुत पुरानी और दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित समाचार नेटवर्क है। दुनियाभर में इसकी शाखाएं है। BBC India भारत भी उन्ही में से एक है। BBC की विचारधारा वामपंथी और मध्यपंथी के मध्य मानी जाती है।

चूंकि भारत में 2014 से एक मध्य दक्षिणपंथी विचारधारा समर्थक पार्टी की सरकार है इसलिए दोनो के मध्य गतिरोध कई मौकों पर देखा जाता है। पूर्व में मुस्लिमों पर अत्याचार, कश्मीर पर दुष्प्रचार और आदिवासियों के दमन की गलत खबरें चलाने जैसे आरोप BBC पर लगते रहे है।

हालांकि ताजा घटनाक्रम में सरकार और BBC के बीच उस “डॉक्यूमेंट्री” को लेकर गतिरोध उत्पन्न हुआ जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में तथाकथित आपत्तिजनक और गलत छवि बनाने की कोशिश की गई है। यह छापा (IT Raids On BBC) इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

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प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत की रैंकिंग

भारत प्रेस फीडम इंडेक्स जो कि रिपोर्टर्स विथआउट बॉर्डर द्वारा जारी की जाती है। 180 देशों के सूची में 150वें और आस पास ही रैंक हासिल करती है। इस बीच सरकार द्वारा एक प्रतिष्ठित और अंतराष्ट्रीय समाचार समूह पर छापा और घटा सकता है।

हालांकि इनकम टैक्स छापा (IT Raids On BBC) किसी कंपनी का या व्यक्ति का मनोबल कम करने से अधिक कुछ नहीं होता। यदि BBC ने विधिवत और आयकर नियमतः कार्य किया है तो उसे जांच में हर संभव मदद करनी चाहिए।

सरकार की इस कार्रवाई का केवल इसलिए ही विरोध नहीं करना चाहिए कि दफ्तर में छापा (IT Raids On BBC) पड़ा है। बल्कि यह एक स्वस्थ संदेश भी है कि BBC जैसे बड़े समूह भी टैक्स नियमो से ऊपर नहीं है।

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बड़े अंतर से चुनाव जीत रहे ब्रह्मानंद नेताम? https://nitinbharat.com/bhanupratappur-chunav-bramhanand-netam-is-winning-with-big-margin/ https://nitinbharat.com/bhanupratappur-chunav-bramhanand-netam-is-winning-with-big-margin/#respond Mon, 28 Nov 2022 17:48:59 +0000 https://nitinbharat.com/?p=410 कांकेर | भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव की गहमागहमी में हर दिन बड़े उलटफेर देखने मिल रहा है। इस उपचुनाव को दोनों ही पार्टी अपने प्राण प्रतिष्ठा की लड़ाई...

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कांकेर | भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव की गहमागहमी में हर दिन बड़े उलटफेर देखने मिल रहा है। इस उपचुनाव को दोनों ही पार्टी अपने प्राण प्रतिष्ठा की लड़ाई समझकर लड़ रही है क्योंकि इस चुनाव के परिणाम से राज्य की जनता में बहुत बड़ा संदेश जाने वाला है। आइए समझने की कोशिश वे कौन से कारक है जिनके चलते ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम की बड़े अंतर से जीत होगी। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य

सर्व आदिवासी समाज बना कांग्रेस के लिए चुनौती


उपचुनाव की घोषणा के बाद से ही 32% आरक्षण को लेकर नाराज सर्व आदिवासी समाज ने पहले तो कांग्रेस का वोट काटने के लिए हर बूथ पर अपने करीब 300 प्रत्याशी उतारने की घोषणा की। बाद में अपना प्रत्याशी खड़ा करके गांव गांव में यह शपथ दिलवाई कि कांग्रेस और भाजपा को वोट न डालकर सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी को ही वोट दिया जाएगा। यह निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए सरदर्द बन गया है।

पृथक भानुप्रतापपुर जिले का मुद्दा

भानुप्रतापपुर विधानसभा के कई गांव से ऐसी खबरें रोज समाचारों में छप रही है कि ग्रामवासियों ने अलग जिले की घोषणा न करने पर कांग्रेस को वोट नहीं देने की ठान कर बैठे है। ये सीधे तौर पर कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

भानूप्रतापपुर उपचुनाव: किन मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

नेताम की गिरफ्तारी की खबर बिगाड़ सकती है खेल

2019 के प्रकरण में झारखंड पुलिस द्वारा भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध गंभीर धाराओं में अपराध पंजीबद्ध को ठीक चुनाव के पूर्व उजागर करना फिर झारखंड पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के लिए भानुप्रतापपुर पहुंचकर पतासाजी करना कांग्रेस के लिए बैक फायर भी साबित हो सकता है।

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जिन गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है उसमे बिना वारंट के भी तत्काल गिरफ्तारी की जा सकती है परंतु यदि उन्हें गिरफ्तार नही किया जाता तो भाजपा यह प्रचारित करने में कामयाब हो जायेगी कि कांग्रेस केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे प्रपंच रच रही है। यह नेताम को सहानुभूति वोट दिलवा सकते है। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

अकबर कोर्राम काटेंगे कांग्रेस का वोट?

सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी आदिवासी बाहुल भानुप्रतापपुर क्षेत्र में कांग्रेस के वोट काटेंगे ऐसी बाते भानुप्रतापपुर में आम है। दरअसल जो भाजपा के ओबीसी और परंपरागत वोटर है जो सालों से भाजपा को वोट देते आ रहे है वो तो भाजपा को देंगे ही लेकिन जिस 40-60 हजार वोट से जीत हार का फैसला होता है यदि वो कांग्रेस से छीन गया तो ब्रह्मानंद नेताम बड़े अंतर से चुनाव जीत सकते है। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

नही देंगे इस बार कई लोग वोट?

ग्रामीण इलाकों में समाज स्तर पर यह निर्धारित किए जाने कि खबर है कि भाजपा और कांग्रेस की रैली, सभा में शामिल न हो। बात नही मानने वाले पर 5000 रुपए का जुर्माना भी बांधा गया है। इससे कई लोग मतदान प्रक्रिया में भाग नही लेंगे ऐसा अनुमान भी लगाया जा रहा है

तो ये वो तमाम कारक और वजहें है जिन्होंने कांग्रेसी खेमे में खलबली मचा दी है। भाजपा की नींद भी हराम है क्योंकि उनके प्रत्याशी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। बहरहाल चुनाव का परिणाम क्या होगा यह तो मतपत्र खुलने के बाद ही पता चलेगा लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे यह उपचुनाव बहुत ही रोचक होता जा रहा है।

 

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छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य https://nitinbharat.com/reservation-dispute-in-chhattisgarh-history-prensent-and-future/ https://nitinbharat.com/reservation-dispute-in-chhattisgarh-history-prensent-and-future/#comments Sun, 20 Nov 2022 15:56:02 +0000 https://nitinbharat.com/?p=403 32% आरक्षण छीने जाने के बाद से आदिवासी समाज उबल रहा है सत्ता के गलियारों में घमासान मचा हुआ है आरोपों की बौछार हो रही है हर...

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32% आरक्षण छीने जाने के बाद से आदिवासी समाज उबल रहा है सत्ता के गलियारों में घमासान मचा हुआ है आरोपों की बौछार हो रही है हर पार्टी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है जबरदस्त बैकफुट पर गई कांग्रेस अब आरक्षण पर विधेयक लाने का मूड बना रही है।reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद

भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसके लिए बकायदा 1-2 दिसंबर का दिन निर्धारित किया है सूचना है कि इस दिन कांग्रेस सरकार जनजातीय समेत अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति तथा आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए आरक्षण के नए प्रावधान लाने जा रही है। आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते है पूरा विवाद और आने वाले दिनों में संभावनाएं और जटिलताएं। reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ ने जनसंख्या प्रतिशत के आधार पर आरक्षण:

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे जनगणना के हिसाब से छत्तीसगढ़ में जातियों की प्रतिशत के आधार पर आरक्षण देना चाहते हैं इस संदर्भ में कोई पहले भी अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% का आरक्षण दे चुके थे लेकिन इंदिरा साहनी वाद को मद्देनजर रखते हुए (जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है नौकरियों में आरक्षण 50% से अधिक कोई भी सरकार नहीं दे सकती) निरस्त घोषित कर दिया था।

हालिया में मराठा आरक्षण को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने पांच जज वाले संवैधानिक पीठ के माध्यम से इंदिरा साहनी वाद में दिए गए निर्णय को उचित ठहराया था।

Bhanupratappur भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद की पृष्ठभूमि:

नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर सन 2000 को मध्य प्रदेश से विभाजित होकर अस्तित्व में आया। जिसके बाद राज्य को अपना पृथक आरक्षण कानून लाना था। साथ ही भारतीयों पर नया रोस्टर भी जारी करना था जो राज्य के जातीय समीकरण सामुदायों की स्थिति परिस्थिति के अनुकूल हो। लेकिन इतने जटिल विषय को छेड़ना कौन चाहेगा। उस समय अजीत जोगी सरकार ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर कोई भी फैसला ना करते हुए यथावत रखा। reservation dispute in chhattisgarh

2012 के पूर्व राज्य में आरक्षण की स्थिति:

2012 के पूर्व मध्यप्रदेश सरकार ने इंदिरा साहनी वाद के फैसले के मद्देनजर 1994 में आरक्षण विधेयक जारी किया जिसके अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग को 16% का आरक्षण, अनुसूचित जनजाति वर्ग को 20% का आरक्षण तथा पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण दिया जा रहा था।

2008 में आदिवासी बहुल इलाकों में यह वादा किया था कि उन्हें 32% आरक्षण देंगे। इसी के चलते जनसंख्या के नवीन आंकड़ों के 2011 में प्रकाशित होते ही उन्होंने आरक्षण संशोधन विधेयक लाया। और महत्वपूर्ण बदलाव किए।

रमन सिंह सरकार का फैसला:

डॉ रमन सिंह की कैबिनेट में 2012 ने एक विधेयक लाकर जिसे राज्यपाल की विशेष स्वीकृति प्राप्त थी के बाद आरक्षण को 58% तक ले जाया गया जिसमें ओबीसी समुदाय को 14% आरक्षण अनुसूचित जनजाति वर्ग को उनके आबादी के अनुसार 32% आरक्षण जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग को 12% उनकी आबादी के अनुसार आरक्षण दिया गया। reservation dispute in chhattisgarh

यहीं से अर्थात 2012 से ही आरक्षण को लेकर न्यायालय में वाद-विवाद का दौर जारी है। जब तक भाजपा की सरकार रही इसे डिफेंड किया गया। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के 4 वर्ष बाद इसे उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।

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2012 के पूर्व अनुसूचित जाति का आरक्षण:

ज्ञात हो कि अनुसूचित जनजाति जिसका कि आरक्षण संयुक्त मध्यप्रदेश में 16% चले आ रहा था उसे राज्य की रमन सरकार ने घटाकर 12% कर दिया। अनुसूचित जनजाति वर्ग में इसे लेकर गहरा असंतोष व्याप्त हुआ और इस असंतोष का प्रतिनिधित्व किया गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बिलासपुर ने। 12 से 13% आबादी वाला अनुसूचित जाति समुदाय यह बताने में प्रयासरत रही कि क्यों आदिवासियों अनुसूचित जनजातियों को 32% आरक्षण नहीं मिलना चाहिए बजाय इसके कि क्यों उनका आरक्षण 16% किया जाए।

केपी खांडे और आरक्षण विवाद क्या है?

इसी के चलते कई बार दोनों समुदाय के नेताओं के मध्य जुबानी जंग और तनाव साफ दिखती है। एक तथ्य यह भी है कि गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बिलासपुर के प्रमुख केपी खांडे ने उच्च न्यायालय में अनुसूचित जनजातियों को दिए जा रहे 32% आरक्षण के विरुद्ध मुख्य रूप से आवाज उठाई एक मुख्य प्रतिवादी रहे (हालांकि वे संस्था के माध्यम से प्रतिवादी रहे) जिन्हें हाल ही में राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया भूपेश बघेल सरकार की इस नीति की आलोचना भारतीय जनता पार्टी ने इस रूप में किया कि “कांग्रेस पार्टी और केपी खांडे दोनों के षडयंत्र से आदिवासियों का आरक्षण छीना।” reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण 85% तक हो जायेगी?

आइए जानने की कोशिश करते हैं यदि कांग्रेस पार्टी आरक्षण पर विधेयक लेकर आती है तो इसके क्या कुछ परिणाम और मुद्दे पुनः उभर कर आ सकते हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग को मंडल आयोग के अनुशंसा के अनुसार प्रदेश में 27% आरक्षण देने का विचार कर रही है साथ ही अनुसूचित जनजाति वर्ग को उनके आबादी के अनुपात में 32% का आरक्षण बहाल करने जा रही है। reservation dispute in chhattisgarh

लेकिन अनुसूचित जाति का आरक्षण जोकि 12% 2012 से चला आ रहा था और न्यायालय निर्णय से 19 सितंबर 2022 सीजी से 16% माना जा रहा था वह घटकर अब 13% हो जाएगा इसके साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए 10% का अतिरिक्त आरक्षण जारी किया जाएगा हालांकि यह आरक्षण क्षितिज आरक्षण है ना कि ऊर्ध्वाधर आरक्षण।

आरक्षण विधेयक के निरस्त होने की संभावना?

मानकर चलते हैं कि यदि अनुसूचित जाति वर्ग को नाराज ना करते हुए भूपेश बघेल सरकार उन्हें 16% का आरक्षण 2012 के पूर्व के अनुसार प्रदान करती है तो राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 85% हो जाएगा जिसे न्यायालय द्वारा निरस्त करने की अथवा अपास्त करने की संभावना अधिक तेज हो जाएगी। राज्य सरकार यह बात भली-भांति जानती है इसलिए इस स्थिति से पल्ला झाड़ने के लिए एक प्रस्ताव अथवा संकल्प पत्र भी जारी करने का निर्णय किया है।

केंद्र के पाले में डालने की नीति?

संकल्प पत्र के अनुसार राज्य सरकार विधेयक में किए गए प्रावधानों को लेकर विधानसभा संकल्पित है ऐसा कथन जारी किया जाएगा साथ ही संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से यानी भारतीय संसद से या अनुरोध भी किया जाएगा कि इस विधेयक को वे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर ले ताकि न्यायायिक पुनरावलोकन से संरक्षित किया जा सके (9वी अनुसूची के बारे में आगे चर्चा की गई है) अर्थात पूरी गेंद कांग्रेस अब केंद्र पाले में डालने कि फ़िराक में है। और यही राजनीति है यदि कांग्रेस के जगह भाजपा रहती तो वो भी यही करते। reservation dispute in chhattisgarh

यदि केंद्र सरकार राज्य संघ के संकल्प पत्र को गंभीरता से ना लेते हुए कोई कार्यवाही नहीं करती है तो कांग्रेस के पास यह बोलने का हमेशा रास्ता रहेगा की केंद्र की भाजपा सरकार राज्य के हितों के प्रति गंभीर नहीं है अथवा उसके बाद की परिस्थिति के लिए पूरी तरीके से केंद्र जिम्मेदार है।

संविधान की 9वीं अनुसूची क्या है?

नवीं अनुसूची को तात्कालिक प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी द्वारा 1951 में प्रथम संविधान संशोधन के माध्यम से जारी किया था। जिसके अनुसार इसमें उन केंद्रीय और राज्य कानूनों को रखा जाता था जिसे न्यायालय की पुनर्विलोकन प्रक्रिया से दूर रखा जाना चाहिए।

क्या नवीं अनुसूची का न्यायिक समीक्षा हो सकती है?

वर्तमान में इसमें तकरीबन 284 विषय और लगभग 13 कानूनो को 9वीं अनुसूची में शामिल किया गया है लेकिन केशवानंद भारती बनाम भारत संघ मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के 13 जजों की संवैधानिक पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन सभी कानूनों की समीक्षा की जा सकती है जो संविधान के मूल ढांचे का उलंघन करती है। इसलिए 24 अप्रैल 1973 के बाद से शामिल किए गए सभी कानूनों की पुनर्विलोकन की जा सकती है यदि वह मूल अधिकारों और संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करती है।

इस प्रकार यदि 50% आरक्षण को मूल ढांचा मान लिया जाता है और यदि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ राज्य के विधायक को नवीं अनुसूची में शामिल भी कर लेती है तब भी वह निरस्त घोषित हो जाएगा। लेकिन जनता को या आमजन जिन्हें कानून की समझ कम है उन्हें यह लगता है की नवीं अनुसूची में किसी कानून को डाल देने पर उसका न्यायिक पुराना अवलोकन नहीं हो सकता। जोकि असत्य है। reservation dispute in chhattisgarh

बताना होगा विशेष परिस्थिति:

अब प्रश्न यह उठता है की भूपेश बघेल सरकार इसके स्थान पर क्या कर सकती है? संविधान विशेषज्ञों की माने तो इस तरीके के हालात में अथवा 58% की अथवा 50% से ऊपर को किसी राज्य में लागू करने के लिए संदर्भित समुदाय अथवा परिस्थिति का युक्तियुक्त विवरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है परंतु की मंशा और इरादे से यह प्रतीत नहीं होता कि वे 2012 के विधेयक को नाम मात्र की संशोधन के साथ जारी करेगी बल्कि उसमें आमूलचूल परिवर्तन के साथ जारी किए जाने की संभावना है। जिसके बाद आरक्षण 82 से 85% तक हो जायेगा।

युवाओं के लिए कितनी अच्छी खबर?

आरक्षण संशोधन विधेयक पारित होने के बाद राज्य के शासकीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते युवाओं को राहत मिलने की संभावना कम ही है इस विधेयक के अपास्त होने की संभावना बहुत अधिक है क्योंकि यह इंदिरा साहनी बाद में दिए गए 50% सीमा का स्पष्ट रूप से उल्लंघन होगा। फाइनल में यदि भर्तियों के रोस्टर जारी करके भर्तियां कर भी भी जाती है तो न्यायालय द्वारा अपास्त होने की स्थिति में सभी नियुक्तियां खतरे में पड़ जाएगी इस प्रकार निकट भविष्य में परीक्षार्थियों के लिए छत्तीसगढ़ में शासकीय नौकरियां बमुश्किल ही नसीब होने वाली है। यदि इस विधेयक में किसी भी समुदाय को उनकी अपेक्षाओं से कम आरक्षण दिया गया तो इसके निरस्त होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएगी। reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद का अंत कब होगा?

आरक्षण विवाद का अंत कब होगा इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता क्योंकि राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय यदि लामबंद होते हैं तो 27% आरक्षण राज्य में ठीक उसी प्रकार का विवाद स्थापित कर देगा जिस प्रकार का केंद्र में 80 के दशक में हुआ था और मंडल कमीशन के बाद शांत हुआ था। राज्य में 10 साल से 32% आरक्षण का आनंद लेते हुए जनजातीय समुदाय कदापि इस बात को स्वीकार नहीं करेगी कि उन्हें 32% से कम आरक्षण दिया जाए। ना हीं लगातार 10 वर्षों तक 32% आरक्षण के विरुद्ध पैरों कार्य करने वाले अनुसूचित जाति समुदाय भी यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगी कि उनका आरक्षण 16% से कम किया जाए इस प्रकार निकट भविष्य में यह एक अंतहीन दुष्चक्र साबित होने की संभावना है । राजनीतिक दल वोट बैंक के अनुसार इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करते रहेंगे। reservation dispute in chhattisgarh

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भानूप्रतापपुर उपचुनाव: किन मुद्दों पर लड़े जायेंगे? https://nitinbharat.com/bhanupratappur-by-election-chhattisgarh-2022-issues/ https://nitinbharat.com/bhanupratappur-by-election-chhattisgarh-2022-issues/#comments Thu, 17 Nov 2022 17:50:44 +0000 https://nitinbharat.com/?p=391 भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे? Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022: मनोज मंडावी के निधन से खाली हुई विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ भाजपा और कांग्रेस के लिए...

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भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022: मनोज मंडावी के निधन से खाली हुई विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ भाजपा और कांग्रेस के लिए प्राण प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। दोनों दलों ने नामांकन के दिन 17 नवंबर पूरे दमखम के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए प्रत्याशियों का नामांकन दाखिल किया।

भानुप्रतापपुर उपचुनाव की सरगर्मी

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह समेत कई बड़े नेता जिनमे सांसद से लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी मौजूद रहे। 17 नवंबर को भाजपा के लगभग सभी बड़े नेता कांकेर में मौजूद थे। Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022

भूपेश बघेल का जीवन परिचय : राजनीतिक सफर और प्रमुख कार्य

वही कांग्रेस के तरफ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं जाकर प्रत्याशी श्रीमती सावित्री मंडावी के लिए नामांकन भरा। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है।

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ये होंगे मुख्य मुद्दे

भाजपा जहां इसे आगामी विधानसभा के पूर्व जीतकर जनता के सामने भूपेश बघेल के विपरीत रुझान के तौर पर प्रस्तुत करेगी वहीं कांग्रेस जीत दर्ज कर यह बताने की कोशिश करेगी कि छत्तीसगढ़ की जनता भूपेश बघेल सरकार के कार्यों नीतियों को बेहद पसंद कर रही है। Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022

भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

कांग्रेस जहां अपने चार वर्षो के कार्यों को उपलब्धियों की तरह पेश करने जायेगी वहीं भाजपा आक्रामक विपक्षी दल की तरह विभिन्न मुद्दों को जोर सोर से उठाएगी। चूंकि भानुप्रतापुर जनजातीय बहुल इलाका है इसलिए जनजातियों के मुद्दे चुनाव पर हावी रहेंगे।

भानुप्रतापुर उपचुनाव (Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022) में ये मुख्य मुद्दे है जो पूरे चुनाव के दौरान गरम रहने वाले है –

1. आदिवासियों का 32% आरक्षण

2. स्थानीय भर्ती आरक्षण

3. भानुप्रतापुर नया जिला

4. पेसा कानून में छेड़छाड़

5. वन अधिकार संरक्षण कानून

6. खराब सड़क

7. शराब बिक्री

8. खनन और रेत माफिया

9. वन अधिकार पट्टा

10. प्रधानमंत्री आवास योजना

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Rishi Sunak : ऋषि सुनक ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री https://nitinbharat.com/rishi-sunak-uk-pm-from-indian-origin/ https://nitinbharat.com/rishi-sunak-uk-pm-from-indian-origin/#respond Tue, 25 Oct 2022 14:10:31 +0000 https://nitinbharat.com/?p=380 “जरा सी वोट से रह गया वरना ऋषि सुनक तुम्हें बताता कि जिन पर राज करके गए हो उनका वंश तुम राज कर रहा है,रुको किसी न...

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“जरा सी वोट से रह गया वरना ऋषि सुनक तुम्हें बताता कि जिन पर राज करके गए हो उनका वंश तुम राज कर रहा है,रुको किसी न किसी दिन करेगा। शंकर का डमरू बज रहा है” Rishi sunak uk pm

ये शब्द भारत के प्रतिष्ठित कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने कुछ दिन पहले ही अपने काव्य मंच से कही थी जो कि आज दीपावली की संध्या पर सच हो गई।Rishi sunak uk pm

यह गौरव गौरव का विषय है क्योंकि जिस भारत पर अंग्रेजों ने 200 सालों तक राजकीय उसका शोषण किया उसे सबवे बनाने की बात की अर्थात बर बर कहा उसी भारत मूल का व्यक्ति आज ब्रिटेन के सर्वोच्च पद पर का बीज होने जा रहा है देश के सभी जानी-मानी हस्तियों राजनेताओं लेखकों ने ऋषि सुनक के यूके के प्रधानमंत्री बनने पर गौरव जाहिर करते हुए संदेश लिखें। Rishi sunak uk pm

भारत के प्रतिष्ठित समाचार पत्र संस्थान दैनिक भास्कर ने लिखा है। भारत की आजादी को लेकर ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था “ब्रिटेन के वापस जाने के बाद भारत में गुंडों और बाहुबलियों का राज कायम हो जाएगा भारत जैसे विशाल देश को संभालने वाला कोई नेता नहीं हम चले गए तो यह दौड़ कर हमें बुलाने आएंगे कि भारत संभाल लो।” यदि विंस्टन चर्चिल जिंदा होता तो देख कर उसे दोबारा मृत्यु आ जाती।ब्रिटेन एक मजबूत लोकतंत्र है जिसकी राजनीतिक स्थिति अभी नाजुक दौर से गुजर रही है इसी के चलते हफ्ते भर में ही दूसरे प्रधानमंत्री और 3 सालों में ही पांच प्रधानमंत्री इस देश ने देखा है ब्रेक्जिट और यूक्रेन तनाव ब्रिटेन फर्स्ट की नीति आदि के चलते ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की नाजुक दौर से गुजर रही है इसका हल ब्रिटेन वासी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं देखना रोचक होगा नए राष्ट्रपति ऋषि सुनक ब्रिटेन की उम्मीदों और आकांक्षाओं पर कितने खरे उतर पाते हैं

यह कड़वा सत्य है कि ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने से भारत को कोई विशेष लाभ नहीं होगा। क्योंकि वे भारतीय मूल के है न कि भारतीय, दूसरा ब्रिटेन में नीति निर्धारण में संसद सबसे बड़ी भूमिका निभाता है, व्यक्तिगत रूप से ब्रिटेन की नीतियों में अधिक बदलाव कर पाना संभव नहीं शायद यही वजह है कि ब्रिटेन में प्रधानमंत्री जल्दी जल्दी बदले जा रहे है। यद्यपि ब्रिटेन में रह रहे हिंदू समुदाय के आत्मविश्वास को बल अवश्य मिलेगा लेकिन भारत को कोई आमूलचूल लाभ नहीं मिलेगा।

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