CG News Archives - NITIN BHARAT https://nitinbharat.com/category/cg-news/ India's Fastest Growing Educational Website Tue, 04 Apr 2023 12:34:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 210562443 मोहन मरकाम की जगह नए पीसीसी अध्यक्ष तय https://nitinbharat.com/mohan-markam-chhattisgarh-news-pcc-chief-is-likely-to-be-removed/ https://nitinbharat.com/mohan-markam-chhattisgarh-news-pcc-chief-is-likely-to-be-removed/#respond Tue, 04 Apr 2023 12:34:41 +0000 https://nitinbharat.com/?p=651 छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कई तरह की बदलाव भाजपा और कांग्रेस पार्टी में किए जा रहे हैं। भाजपा ने कुछ महीने पूर्व पूरी राज्य...

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छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही कई तरह की बदलाव भाजपा और कांग्रेस पार्टी में किए जा रहे हैं। भाजपा ने कुछ महीने पूर्व पूरी राज्य मशीनरी की सर्जरी की थी। वहीं कांग्रेस में चुनाव से ठीक 6 महीने पूर्व बदलावों की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इसमें सबसे बड़ा बदलाव कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम (Mohan markam chhattisgarh news) के बदलने की खबर है। मंगलवार को कांग्रेस के चार वरिष्ठ और कद्दावर नेता दिल्ली रवाना होते हैं। जिसमें चरणदास महंत, अमरजीत भगत, ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंह देव शामिल थे। इसके कुछ ही घंटे बाद तत्काल बस्तर के सांसद दीपक बैज को दिल्ली बुलाया जाता है। मीडिया और सोशल मीडिया पर पत्रकारों द्वारा दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की पूरी रूपरेखा खींची जा चुकी है।

कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान

हाल ही में बजट सत्र में पीसीसी अध्यक्ष, मोहन मरकाम (Mohan markam chhattisgarh news) ने अपने विधानसभा क्षेत्र में डीएमएफ राशि में 7 करोड़ के बंदरबांट की जांच की मांग की थी। जिसके बाद से कॉन्ग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री बघेल बैकफुट पर नजर आ रहे थे। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया था। सरकार की काफी किरकिरी हो रही थी। इसके बाद से उन्हें बदलने की कवायद शुरू हो गई। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की दूरियों की खबर मीडिया में काफी समय से चल रही थी। हाल ही में कांग्रेस पार्टी के महाधिवेशन रायपुर में आयोजित किया गया जिसमें प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के पोस्टर बहुत कम मात्रा में देखे गए थे। कई बैठकों में भी उन्हें शामिल न करने की खबर मीडिया में चल रही थी। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी खींचतान चल रही है। जोकि विधानसभा में डीएमएफ घोटाले पर जांच की मांग करने पर और भी बढ़ गई।

भ्रष्टाचार उजागर करने की मिली सजा?

विपक्ष द्वारा इसे बड़ा मुद्दा न बनाया जाए इसलिए कांग्रेस पार्टी किसी आदिवासी को ही प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चयनित कर सकती है हालांकि भारतीय जनता पार्टी का अब भी कहना है कि पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम को भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा मिली है। जबकि कांग्रेस पार्टी का कहना है कि कॉन्ग्रेस पार्टी के रूल बुक में अध्यक्ष को बदलने और उनके कार्यकाल से संबंधित पूरी प्रक्रिया है। क्योंकि मोहन मरकाम (Mohan markam chhattisgarh news) का कार्यकाल पूर्ण हो चुका है, इसलिए अध्यक्ष का बदलाव कोई अंदरूनी कलह के चलते नहीं किया जा रहा है।

कौन होगा छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी का नया अध्यक्ष?

कांग्रेस पार्टी के नए अध्यक्ष के रूप में यदि आदिवासी चेहरों की बात की जाए तो इसमें सरगुजा संभाग के कांग्रेस के कद्दावर नेता अमरजीत भगत और टी एस सिंह देव का नाम सबसे आगे है जबकि बस्तर संभाग से सांसद दीपक बैज का नाम सबसे आगे है क्योंकि भाजपा छत्तीसगढ़ के सत्ता का रास्ता बस्तर की ओर से खोज रही है अतः इसे काउंटर करने के लिए कांग्रेस पार्टी बस्तर के किसी नेता को ही अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दे सकती है साथ ही दीपक बैज सांसद हैं और अभी तक राज्य के खींचतान में उनका कोई नाम नहीं है इसलिए वे एक प्रबल दावेदार नजर आते हैं।

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हो सकते हैं और बदलाव?

चुनाव के नजदीक आते ही छत्तीसगढ़ में सामाजिक राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करने के लिए मंत्री पद एवं निगम मंडल आयोगों में भी बदलाव की आशंका जताई जा रही है इसमें आदिवासी मंत्रियों को और वरीयता के साथ-साथ महत्व देने की खबर है हालांकि हमारे सूत्र कहते हैं कि विधानसभा में 6 माह से भी कम का समय बचा है ऐसे में कांग्रेस पार्टी किसी बड़े बदलाव की जगह केवल अध्यक्ष बदल कर ही चुनाव में जाएगी।

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क्या आदिवासी हिंदू नही है? Does Tribals Are Not Hindu https://nitinbharat.com/does-tribals-are-hindu/ https://nitinbharat.com/does-tribals-are-hindu/#comments Fri, 31 Mar 2023 18:19:27 +0000 https://nitinbharat.com/?p=641 does tribals are hindu: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र सरकार से विधानसभा में पृथक आदिवासी कोड जारी करने के लिए आग्रह बिल ला चुकी है...

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does tribals are hindu: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने केंद्र सरकार से विधानसभा में पृथक आदिवासी कोड जारी करने के लिए आग्रह बिल ला चुकी है मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी इसी तरीके की मांग की जाती है रही है। जबकि पूर्णोत्तर भारत में यह मांग कई गुना मुखर तरीके से उठती रही है।

हाल ही में छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा ने भी यह बयान दिया कि आदिवासी हिंदू नहीं है। एक तरफ जहां कई लोगों, साधु संतो द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की जा रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के आदिवासी बहुल राज्य के मंत्री द्वारा आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड की मांग भारत में हिंदुत्व के बहस को नया मोड़ देने वाला है। आइए समझने की कोशिश करते हैं क्या आदिवासी सच में हिंदू नहीं है?does tribals are hindu

आदिवासी आदिवासियों को वनवासी, जनजाति और आदिम जाति आदि नामों से जाना जाता है। विदेशी आक्रांता काल में में इन्हे आदिवासी का नाम दिया गया। इसके पीछे की मान्यता थी कि ये भारत के सबसे पुराने लोग है। इतिहासकारों ने आदिवासियों को अनार्य की श्रेणी रखा और कहा कि आर्य भारत के बाहर से आकर बसे वैदिक उत्तर वैदिक धर्म की स्थापना की जो आज हिंदुत्व या हिंदू धर्म के नाम से जाना जाता है (Does tribals are hindu)। इसपर भी अलग अलग इतिहासकारों के अलग अलग मत है।

पहले पक्ष का तर्क:

आदिवासियों को हिंदुओं की श्रेणियों में न मानने वालों का तर्क:

 

1. ये मानते है कि आदिवासियों की पूजा पद्धति, विवाह संस्कार, देवी-देवता, बोली-भाषा हिंदुओ से अलग है।

2. आदिवासी विचारक मानते है हिंदू धर्म की उत्त्पति वैदिक और उत्तरवैदिक काल लगभग (1750 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व) से हजारों वर्ष पुराना है। इसलिए यह हिंदू धर्म से अलग है।

3. आजादी के पूर्व अंग्रेजो द्वारा जनजातीय समाज का पृथक जनसंख्यिकीय आंकड़ा जारी किया जाता था। 1961 में आदिवासियों का पृथक धर्म कोड समाप्त कर दिया गया।

4. आदिवासी स्वयं को ब्राम्हणवादी वर्चस्व के मनुवादी ढांचे और कर्मकांड में विश्वास नहीं करने वाले मानते है।

5. आदिवासियों की पूजन पद्धति प्रकृति आधारित है जैसे साल, सागौन, बरगद वृक्षों की पूजा करना, पशु पूजा, नदी पूजा आदि।

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ज्ञात हो कि भारत में लगभग 705 जनजातीय समूह (Does tribals are hindu) निवासरत हैं। जिनमें लगभग 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) हैं। भारत की 1961 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 3.1 करोड़ ( कुल जनसंख्या का 6.9 %) थी. 2011 के अनुसार अब देश में अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 10.45 करोड़ हो चुकी है, जो कुल आबादी का लगभग 8.6% है। भारतीय संविधान में जनजातीय समुदाय के लिए 7.5 प्रतिशत का आरक्षण सरकारी नियुक्तियों और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पर दिया गया है।

दूसरे पक्ष का तर्क (does tribals are hindu?)

आदिवासियों को हिंदू मानने वाले तर्क देते है कि:

 

1. आदिवासी हिंदू धर्म के अभिन्न अंग है और अंग्रेजो द्वारा हिंदू धर्म को बांटने के लिया आर्य और गैर आर्य सिद्धांत प्रतिपादित किया गया था। चूंकि अंग्रेजो को जंगलों के आदिवासियों से कड़ी चुनौती मिलती थी इसलिए वैचारिक तौर पर उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन से भटकाने, उन्हे अपने धर्म में जोड़ने के लिए ईसाई मिशनरियों के माध्यम से दुष्प्रचार किया। जिसे राजनीतिक लाभ के लिए आज भी कुछ नेताओं द्वारा छेड़ा जाता है।

2. आदिवासी समाज और धार्मिक रीति रिवाजों में काफी समानता है जैसे आदिवासी समाज भी प्रकृति पूजा करता है। और हिंदू समाज भी प्रकृति पूजा करता है। जैसे नदी कि पूजा, वृक्ष की पूजा, पर्वत की पूजा और पशुओं की पूजा। आदिवासी भी गंगाजी को पवित्र मानकर स्नान करते है। गौ माता की पूजा आदिवासी भी करते है। आदिवासियों की काष्ट कला में गणेश जी की प्रतिमा, शिव जी की प्रतिमा आदिवासी समाज सैकड़ों वर्षों से बनाते आ रहे है। इसके अलावा आदिवासी समाज हिंदू त्योहारों को चाहे वह फसल कटने से लेकर, फसल बोवाई तक के हो या देशव्यापी त्योहार दिवाली, दशहरा, तीज, नवरात्र और होली सभी को समान रूप से मनाते आ रहे हैं। मजेदार बात तो ये है कि आदिवासियों के कई त्योहार हिंदू लोग मानते है।

 

3. तीसरी मुख्य बात जी आदिवासियों और हिंदू धर्म को धार्मिक रूप से एक बताते है वह है आदिवासियों का जन्म संस्कार, विवाह संस्कार, श्राद्ध संस्कार में समानता होना। आदिवासियो को भी मरने के जलाया जाता है। आदिवासी समाज देवी देवताओं के अवतारों में विश्वास करता और अवतारवाद भी हिंदू धर्म का एक प्रमुख लक्षण है।

 

4. चौथी बात जो आदिवासियों को हिंदू धर्म से अलग बताते है उन्हे समझना चाहिए जो देश की अवधारणा पश्चिम है वह भारत में फिट नहीं बैठता। भारत में समुदायों के बीच इतनी विविधता है जिसे अगर पश्चिम विचारकों के चश्मे से देखा जाए तो करीब 1000 से अधिक देश भारत वर्ष में समाहित है। भारत में दक्षिण के हिंदुओ का रंगरूप बोली भाषा उत्तर के हिंदुओ से अलग है। वहीं पश्चिम के हिंदुओ का खानपान पूर्व के हिंदुओ से अलग है। ठीक उसी प्रकार दक्षिण के आदिवासियों से मध्य के आदिवासियों की बोलचाल रंगरूप अलग है। वही कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के आदिवासियों के संस्कृति में और पश्चिम के गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासियों के में पर्याप्त अंतर है। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में आदिवासियो विविधता अपने आप में भिन्न है। यदि प्रत्येक आदिवासी और गैर आदिवासी समाज अपना पृथक धार्मिक कोड मांगने लग गए तो हर 100 किलोमीटर में अलग धर्म देखने मिलेगा। छत्तीसगढ़ में ही बस्तर के देवता और सरगुजा के देवता में बहुत अंतर आ जाता है।

5. पांचवी बार जो आदिवासियों को हिंदू मानते हुए कही जाती है वह है हिंदुत्व का स्वरूप! भारत में 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना है कि हिंदुत्व जीवन जीने की शैली है। हिंदुत्व या हिंदू धर्म के मुख्य लक्षण मूर्तिपूजा, अवतारवाद, पुनर्जन्म, बहुदेववाद, वर्ण और जाति व्यवस्था है। जो कि आदिवासियों द्वारा भी अनुसरण किया जाता है।

 

तो ये थे आदिवासियों को हिंदुओ का अभिन्न हिस्सा मानने वालों का तर्क।

 

वर्तमान भारत में हिंदुत्व के पुनरुत्थान का दौर माना जा रहा है। भारत के आधे से अधिक राज्यों में दक्षिणपंथी विचारधारा समर्थक भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। ऐसे में अलग आदिवासी धर्म कोड की मांग और आदिवासियों को हिंदू धर्म से अलग करने की कोशिशें कहां तक दम भर पाती है देखना रोचक होगा।

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बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़ के बारे में रोचक तथ्य https://nitinbharat.com/important-facts-about-bamleshwari-temple-dongargarh/ https://nitinbharat.com/important-facts-about-bamleshwari-temple-dongargarh/#respond Wed, 29 Mar 2023 07:19:25 +0000 https://nitinbharat.com/?p=618 छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों में सबसे पहला गिना जाता है डोंगरगढ़ की माता बम्लेश्वरी धाम का नाम। बम्लेश्वरी माता की डोंगरगढ़ में दो प्रतिमाएं विराजमान हैं। पहली...

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छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों में सबसे पहला गिना जाता है डोंगरगढ़ की माता बम्लेश्वरी धाम का नाम। बम्लेश्वरी माता की डोंगरगढ़ में दो प्रतिमाएं विराजमान हैं। पहली नीचे वाली (छोटी बम्लेश्वरी) बम्लेश्वरी माता और दूसरी ऊंची वाली बम्लेश्वरी माता। ऊंचाई पर स्थित माता बम्लेश्वरी की ऊंचाई करीब 1600 सौ फीट है। जिसपर चढ़ने के लिए सीढ़ियां और लिफ्ट (उड़नखटोला) दोनो ही मौजूद है मां बम्लेश्वरी धाम में साल में दो बार (शारदीय एवं चैत्र नवरात्र) में मेला लगता है एवं साल में दोनो ही नवरात्रि में ज्योति कलश की स्थापना होती है जिसे देखने के लिए भक्तों का ताता लगा रहता है। Bamleshwari mandir dongargarh facts

मां बम्लेश्वरी धाम के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • क्या आप जानते है बम्लेश्वरी देवी की स्थापना खैरागढ़ के राजा वीरसेन पुत्र प्राप्ति की कामना हेतु किए गए सफल आराधना के बाद किया था।

  • डोंगरगढ़ की बम्लेश्वरी माता को उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है।

  • भौगोलिक रूप से यह मैकाल पर्वत श्रेणियां में स्थित है। जो सतपुड़ा पर्वत की एक शाखा है और विस्तार है।

  • यहां छोटी या नीचे वाली बम्लेश्वरी और बड़ी या ऊंची वाली बम्लेश्वरी के रूप में दो प्रतिमाएं विद्यमान है।

  • बम्लेश्वरी माता का दरबार मध्यप्रदेश के मैहर में स्थित शारदा माता के समरूप है इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का मैहर भी कहा जाता है।

 

  • मां बम्लेश्वरी ट्रस्ट की स्थापना खैरागढ़ राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने ट्रस्ट को 1964 को सौंपकर किया।

 

  • इसका इतिहास 2200 साल पुराना है। इसमें करीब 1100 सीढियां है।

 

  • यहां बम्लेश्वरी माता की प्रतिमा के अलावा हनुमान जी की प्रतिमा, भैरवबाबा गुफा, नागवासुकी मंदिर, ददीमाता मंदिर, चंडी मंदिर भी मौजूद है।

सभी धर्मो पंथों का पूजा स्थल:

  • आपको यह जानकर आश्चर्य होगा यहां अलग अलग पहाड़ियों पर अलग-अलग समुदायों के आराध्य देवताओं हेतु बांट दिया गया है। यहां चर्च, बौद्ध मठ, जैन मंदिर, सतनाम पंथ का मंदिर और गोंड समाज का भी दार्शनिक स्थल है। जबकि आस पास मस्जिद और गुरुद्वारा भी है।(Bamleshwari mandir dongargarh facts)
  • डोंगरगढ़ मंदिर के आस-पास यहां करीब 300-400 दुकान मंदिरों की सीढ़ियों पर लगते है। करीब 40 लॉज, 100 भोजनालय है।

 

  • डोंगरगढ़ का प्राचीन नाम कमावती नगरी होने का प्रमाण मिलता है। पूर्व में यह कामाख्यपुरी नगर के नाम से एक परम वैभवशाली नगर था।

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  • भारत सरकार की प्रसाद योजनाओं में से शामिल एक स्थल है। एवं छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक धरोहर में शामिल है।

कैसे पहुंचे बम्लेश्वरी धाम?

बम्लेश्वरी धाम छत्तीसगढ़ (Bamleshwari mandir dongargarh facts) को छत्तीसगढ़ की सबसे व्यस्ततम और भीड़ भाड़ वाली पर्यटन स्थल के रूप में गिना जाता है। यह रायपुर की राजधानी से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दिशा में यहां पहुंचने के लिए रेलवे कनेक्टिविटी सबसे आसान और सुलभ मार्ग प्रदान करता है डोंगरगढ़ नगर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रूट पर मौजूद है जहां कई हाई स्पीड ट्रेनों का स्टॉपेज भी है नवरात्रि के समय यहां विशेष ट्रेन चलाई जाती है जो महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के मध्य चलती है नवरात्रि के समय यहां लाखों करोड़ों भक्त जुटते हैं हालांकि कोरोना के बाद से पर्यटकों की संख्या में थोड़ी गिरावट अवश्य आ गई थी।

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भिलाई आ रहे है पंडित प्रदीप मिश्रा 25 अप्रैल से 1 मई के बीच होगी कथा https://nitinbharat.com/pandit-pradeep-mishra-sehore-katha-at-bhilai/ https://nitinbharat.com/pandit-pradeep-mishra-sehore-katha-at-bhilai/#comments Sat, 11 Mar 2023 13:23:27 +0000 https://nitinbharat.com/?p=596 अंतर्राष्ट्रीय शिव महापुराण कथावाचक पंडित प्रदीप जी मिश्रा सीहोर (pandit pradeep mishra sehore) वाले भिलाई आ रहे हैं भिलाई में पावर हाउस खुर्सीपार के निकट उनकी कथा...

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अंतर्राष्ट्रीय शिव महापुराण कथावाचक पंडित प्रदीप जी मिश्रा सीहोर (pandit pradeep mishra sehore) वाले भिलाई आ रहे हैं भिलाई में पावर हाउस खुर्सीपार के निकट उनकी कथा 25 अप्रैल से 1 मई के बीच संपन्न होगी जगह का चुनाव अभी तक नहीं हुआ है हालांकि खुर्सीपार अथवा भिलाई में से किसी एक स्थान पर कथा आयोजित होगी।

जीवन आनंद फाउंडेशन द्वारा आयोजित

आयोजक समिति द्वारा पंडित प्रदीप मिश्रा के कथा (pandit pradeep mishra sehore) का पोस्टर भी लॉन्च कर दिया गया है जिसके अनुसार आयोजक जीवन आनंद द्वारा किया जा रहा है इस फाउंडेशन से पूर्व मंत्री छत्तीसगढ़ शासन श्री प्रेम प्रकाश पांडे पार्षद विनोद सिंह एवं अन्य सदस्य जुड़े हुए हैं। पोस्टर में संपर्क नंबर विनोद सिंह का दिया गया है जिससे अधिक जानकारी कथा के बारे में प्राप्त की जा सकती है यह नंबर है 9329 11 85 35. कथा स्थल पर भोजन, पेयजल, पंडाल, सुरक्षा व्यवस्था, कथा की अनुमति और आयोजन समिति के बैठकों का दौर शुरू हो चुका है।

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य

अचानक तय हुई कथा

विट्ठलेश सेवा समिति सीहोर के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंडित प्रदीप मिश्रा सीहोरवाले (pandit pradeep mishra sehore) यह कथा अचानक तय हुई यह कथा पूर्व में कहीं और प्रायोजित थी जिसे बदल कर भिलाई किया गया पूर्व की कथा किन्ही कारणों से स्थगित हो गई।

कैसे पहुंचे भिलाई?

बिलाई छत्तीसगढ़ की इस्पात नगरी के नाम से जानी जाती है। यहां सभी ट्रेनों का स्टॉपेज है बस की सुविधा है जिसके माध्यम से शिवभक्त भिलाई तक पहुंच सकते हैं और पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा का आनंद ले सकते हैं।

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छत्तीसगढ़ के 7वें राज्यपाल होंगे बिस्वा भूषण हरिश्चंदन जाने कौन है? https://nitinbharat.com/new-governor-of-chhattisgarh-know-all-about/ https://nitinbharat.com/new-governor-of-chhattisgarh-know-all-about/#respond Mon, 13 Feb 2023 12:46:48 +0000 https://nitinbharat.com/?p=584 छत्तीसगढ़ की 6वीं राज्यपाल अनुसुइया उइके को रविवार 12 फरवरी को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा मणिपुर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त कर दिया गया। साथ ही...

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छत्तीसगढ़ की 6वीं राज्यपाल अनुसुइया उइके को रविवार 12 फरवरी को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा मणिपुर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त कर दिया गया। साथ ही कर्नाटक के वर्तमान राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन को छत्तीसगढ़ का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया। New Governor Of Chhattisgarh

आइए जानते है छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल कौन है?

पेशे से वकील और लेखक रहे हरिचंदन जी उड़ीसा राज्य के मूल निवासी है। 2019 से 23 के बीच वे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल रहे है। पूर्वी उड़ीसा की राजनीति में उनका काफी दबदबा था। वे पूर्व में मंत्री भी रह चुके है।

हालांकि उनकी उम्र 88 साल हो गई है। इस लिहाज से वे छत्तीसगढ़ के सबसे उम्रदराज राज्यपाल बन गए है। आने वाले समय में उड़ीसा, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में चुनाव है। जिसे देखते हुए उनकी नियुक्ति को महत्वपूर्ण नजर से देखा जा रहा है। New Governor Of Chhattisgarh

अनुसुइया उइके को क्यों हटाया गया?

भारत सरकार ने केवल उन्हें नही बल्कि 13 राज्यो में नए राज्यपाल भी नियुक्त किए है। लंबे कार्यकाल के बाद एवं नए चेहरों को राज्यपाल बनाने के लिए केंद्र सरकार यह फैसला लेती है।

बस्तर भाजपा नेताओं की हत्या का मामला गूंजा संसद में

हालांकि विशेषज्ञ यह मानते है कि आरक्षण विधेयक पर BJP बैकफुट पर थी। ज्ञात हो कि 3 दिसंबर से सर्वसम्मति से पारित आरक्षण विधेयक राजभवन में लंबित है। New Governor Of Chhattisgarh

और राजभवन का नाम काफी उछाला जा रहा था। अब नए राज्यपाल के संज्ञान में जब तक पूरा मामला आयेगा तब तक चुनाव बहुत नजदीक आ चुका होगा। बीजेपी आरक्षण को बड़ा चुनावी मुद्दा बना सकती है।

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बस्तर भाजपा नेताओं की हत्या का मामला गूंजा संसद में https://nitinbharat.com/bastar-bjp-leader-killed-issue-raised-in-parliament/ https://nitinbharat.com/bastar-bjp-leader-killed-issue-raised-in-parliament/#comments Mon, 13 Feb 2023 12:12:10 +0000 https://nitinbharat.com/?p=580 बस्तर: विगत एक माह में सिलसिलेवार तरीके से 4 भाजपा नेताओं की हत्या का मामला प्रदेश में गर्मा गया है। इसके विरोध में भाजपा नेताओं ने सड़क...

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बस्तर: विगत एक माह में सिलसिलेवार तरीके से 4 भाजपा नेताओं की हत्या का मामला प्रदेश में गर्मा गया है। इसके विरोध में भाजपा नेताओं ने सड़क में मशाल जुलूस से लेकर संसद तक आवाज उठाई है। Bastar bjp leader killed

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य

भाजपा नेताओं के बयान;

डॉक्टर रमन सिंह पूर्व मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ ने इन हत्याओं को टारगेट किलिंग बताया। भाजपा ने प्रेस कान्फ्रेस कर इसमें राजनीतिक षडयंत्र की आशंका जताई। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा भूपेश बघेल नक्सलियों के सामने सरेंडर कर चुके है। जबकि संसद में उठाए जाने के वक्त बीजेपी सांसदों ने स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की।Bastar bjp leader killed

कांग्रेसी नेताओ का पक्ष;

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकार वार्ता में कहा बीजेपी राजनीति न करे। कुछ आशंका है तो NIA से जांच करवा ले। भाजपा नेता भीमा मंडावी की हत्या की छत्तीसगढ़ पुलिस जांच कर रही थी लेकिन केंद्र ने एनआईए को भेज दिया। रिपोर्ट आज तक नही आई।कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख ने कहा भाजपा अपने ही नेताओ की हत्या पर राजनीतिक रोटियां सेंकना बंद करें। Bastar bjp leader killed

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा बस्तर में कांग्रेस ने नक्सलियों को बहुत पीछे धकेल दिया। काफी विकास किया इसलिए तिमिलाहट में ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे है। 13 फरवरी को उन्होंने क्षेत्र के एसपी को सर्व दलीय बैठक बुलाने कहा।

क्या भाजपा को राजनीतिक लाभ मिलेगा?

छत्तीसगढ़ में सत्ता का गलियारा बस्तर के रास्ते से होकर गुजरता है। यहां कहा जाता है जिसने बस्तर को साध लिया उसने छत्तीसगढ़ को साध लिया। इन हत्याओं के बाद बस्तर में शून्य दिख रहे बीजेपी के हाथ अवश्य एक बड़ा मुद्दा हाथ लगा है।

लेकिन जितना मीडिया और बड़े शहरों में माहौल बनाया गया है यह सुदूर बस्तर में भी दिखेगा इसकी उम्मीद कम ही लगती है। कितने लंबे समय तक इस मुद्दे को भुनाए रख सकती है इस पर भी निर्भर करेगा। Bastar bjp leader killed

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भानुप्रतापपुर उपचुनाव की कुछ रोचक और हैरान कर देने वाले पहलु  https://nitinbharat.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%89%e0%a4%aa%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b5-%e0%a4%95%e0%a5%80/ https://nitinbharat.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%aa%e0%a5%81%e0%a4%b0-%e0%a4%89%e0%a4%aa%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b5-%e0%a4%95%e0%a5%80/#respond Thu, 08 Dec 2022 10:25:06 +0000 https://nitinbharat.com/?p=422 भानुप्रतापपुर उपचुनाव को बीजेपी और कांग्रेस आगामी 2023 विधानसभा के पूर्व सेमीफाइनल मुकाबले की तरह देख रही थी। इस चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ने...

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भानुप्रतापपुर उपचुनाव को बीजेपी और कांग्रेस आगामी 2023 विधानसभा के पूर्व सेमीफाइनल मुकाबले की तरह देख रही थी। इस चुनाव में सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों का खेल बिगाड़ने की कोशिश की लेकिन बाजी कांग्रेस मार ले गई। आइए इस चुनाव की कुछ हैरान कर देने वाले पहलुओं पर नजर डालते है। Bhanupratappur by election 2022

मतगणना के सभी राउंड में आगे रही सावित्री मंडावी

Bhanupratappur by election 2022: यह बड़े बड़े चुनावी रणनीतिकारों के लिए हैरान कर देने वाली बात थी कि मतगणना के सभी 19 राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी दोनो ही अन्य प्रतिद्वंदियों से 20 रहीं। नही तो कोई खास क्षेत्र ऐसा जरूर होता है जहां किसी पार्टी या प्रतिनिधि का गढ़ होता है परंतु एक तरफा बढ़त सभी को हैरान करने वाला था।

सर्व आदिवासी समाज ने काटा भाजपा का वोट

भाजपा के नेता और कार्यकर्ता यहां तक दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित प्रिंट मीडिया और IBC 24 जैसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया समेत हर जगह यही चर्चा की जा रही थी कि सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर कोर्राम कांग्रेस का वोट काटेंगे। लेकिन सभी विश्लेषक यह भूल गए कि आदिवासियों के असंतोष का जो लाभ भाजपा को वोट के रूप मिल सकता था वह अकबर कोर्राम को मिला इस प्रकार सर्व आदिवासी समाज ने भाजपा का वोट जबरदस्त काटा है। वहीं कांग्रेस का परंपरागत वोट जो स्व. मनोज मंडावी के काम, भूपेश बघेल के काम और गांधी परिवार नाम प्रारंभ से वोट देते आ रहें है उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया ही। साथ ही मनोज सिंह मंडावी के निधन के बाद उनकी पत्नी को सहानुभूति वोट भी मिले। Bhanupratappur by election 2022

झारखंड पुलिस और कांग्रेस की कूटनीति

इस उपचुनाव (Bhanupratappur by election 2022) में भाजपा प्रत्याशी पर दुष्कर्म का आरोप लगाकर कांग्रेस वॉकओवर ले चुकी है प्रतीत हो रहा था। लेकिन भाजपा के रणनीतिकार और प्रत्याशी द्वारा दमदारी से चुनाव लड़ा गया। जिसके बाद झारखंड पुलिस की हुई एंट्री ने भाजपा के पूरे कैंपेन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। इसके साथ ही जगह-जगह पर भाजपा प्रत्याशी को बलात्कारी के रूप में प्रस्तुत करना जबकि प्रत्याशी पर दर्ज मामले की सूचना प्रत्याशी तक को नहीं थी बताया जा रहा। इसके बाद पोस्टरों बैनरों में प्रत्याशी को अर्थात आरोपी को अपराधी बताना एक प्रकार की आक्रामक कूटनीति का ही उदाहरण रहा।

भानूप्रतापपुर उपचुनाव: किन मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

स्टार प्रचारकों की भूमिका

भानुप्रतापपुर उपचुनाव (Bhanupratappur by election 2022) एक खास तरह का चुनाव था जिसमे हर शहर के होटल फुल थे। करीब 200 VVIP दोनों ही दल के विधानसभा क्षेत्र में डेरा डाले हुए थे। कार्यालयों में कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ के तमाम दिग्गज नेता को अपने सामने देख पा रहे थे। वहीं जनता तक पहुंचने के लिए भाजपा, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष समेत सभी स्टार प्रचारकों ने डोर टू डोर जाकर भी लोगों से वोट मांगे। पैदल भी चले।

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य

सावित्री मंडावी ने लिया पति के हार का बदला?

कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा यह कहा जा रहा है कि जिस ब्रम्हानंद नेताम ने 2008 में स्व मनोज मंडावी को हराया था। उसका सावित्री मंडावी ने बदला लिया है। हालांकि तब मनोज मंडावी कांग्रेस से नही बल्कि निर्दलीय चुनाव लड़े थे।

बहरहाल, राजनीतिक विश्लेषक और विशेषज्ञ पत्रकार यदि स्टूडियो पर बैठकर सभी नतीजें भांप लेते तो जनता और लोकतंत्र में लोकमत का कोई महत्व नहीं रह जाता। सावित्री मंडावी ने 21171 वोटों के बड़े अंतर से उपचुनाव (Bhanupratappur by election 2022) जीत लिया है। लोकतंत्र में लोकमत सर्वोपरि है जनता जो फैसला लेती है वह श्रेष्ठ है।

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बड़े अंतर से चुनाव जीत रहे ब्रह्मानंद नेताम? https://nitinbharat.com/bhanupratappur-chunav-bramhanand-netam-is-winning-with-big-margin/ https://nitinbharat.com/bhanupratappur-chunav-bramhanand-netam-is-winning-with-big-margin/#respond Mon, 28 Nov 2022 17:48:59 +0000 https://nitinbharat.com/?p=410 कांकेर | भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव की गहमागहमी में हर दिन बड़े उलटफेर देखने मिल रहा है। इस उपचुनाव को दोनों ही पार्टी अपने प्राण प्रतिष्ठा की लड़ाई...

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कांकेर | भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव की गहमागहमी में हर दिन बड़े उलटफेर देखने मिल रहा है। इस उपचुनाव को दोनों ही पार्टी अपने प्राण प्रतिष्ठा की लड़ाई समझकर लड़ रही है क्योंकि इस चुनाव के परिणाम से राज्य की जनता में बहुत बड़ा संदेश जाने वाला है। आइए समझने की कोशिश वे कौन से कारक है जिनके चलते ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा प्रत्याशी ब्रह्मानंद नेताम की बड़े अंतर से जीत होगी। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य

सर्व आदिवासी समाज बना कांग्रेस के लिए चुनौती


उपचुनाव की घोषणा के बाद से ही 32% आरक्षण को लेकर नाराज सर्व आदिवासी समाज ने पहले तो कांग्रेस का वोट काटने के लिए हर बूथ पर अपने करीब 300 प्रत्याशी उतारने की घोषणा की। बाद में अपना प्रत्याशी खड़ा करके गांव गांव में यह शपथ दिलवाई कि कांग्रेस और भाजपा को वोट न डालकर सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी को ही वोट दिया जाएगा। यह निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए सरदर्द बन गया है।

पृथक भानुप्रतापपुर जिले का मुद्दा

भानुप्रतापपुर विधानसभा के कई गांव से ऐसी खबरें रोज समाचारों में छप रही है कि ग्रामवासियों ने अलग जिले की घोषणा न करने पर कांग्रेस को वोट नहीं देने की ठान कर बैठे है। ये सीधे तौर पर कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

भानूप्रतापपुर उपचुनाव: किन मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

नेताम की गिरफ्तारी की खबर बिगाड़ सकती है खेल

2019 के प्रकरण में झारखंड पुलिस द्वारा भाजपा प्रत्याशी के विरुद्ध गंभीर धाराओं में अपराध पंजीबद्ध को ठीक चुनाव के पूर्व उजागर करना फिर झारखंड पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के लिए भानुप्रतापपुर पहुंचकर पतासाजी करना कांग्रेस के लिए बैक फायर भी साबित हो सकता है।

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि जिन गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है उसमे बिना वारंट के भी तत्काल गिरफ्तारी की जा सकती है परंतु यदि उन्हें गिरफ्तार नही किया जाता तो भाजपा यह प्रचारित करने में कामयाब हो जायेगी कि कांग्रेस केवल राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे प्रपंच रच रही है। यह नेताम को सहानुभूति वोट दिलवा सकते है। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

अकबर कोर्राम काटेंगे कांग्रेस का वोट?

सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी आदिवासी बाहुल भानुप्रतापपुर क्षेत्र में कांग्रेस के वोट काटेंगे ऐसी बाते भानुप्रतापपुर में आम है। दरअसल जो भाजपा के ओबीसी और परंपरागत वोटर है जो सालों से भाजपा को वोट देते आ रहे है वो तो भाजपा को देंगे ही लेकिन जिस 40-60 हजार वोट से जीत हार का फैसला होता है यदि वो कांग्रेस से छीन गया तो ब्रह्मानंद नेताम बड़े अंतर से चुनाव जीत सकते है। Bhanupratappur chunav bramhanand netam

नही देंगे इस बार कई लोग वोट?

ग्रामीण इलाकों में समाज स्तर पर यह निर्धारित किए जाने कि खबर है कि भाजपा और कांग्रेस की रैली, सभा में शामिल न हो। बात नही मानने वाले पर 5000 रुपए का जुर्माना भी बांधा गया है। इससे कई लोग मतदान प्रक्रिया में भाग नही लेंगे ऐसा अनुमान भी लगाया जा रहा है

तो ये वो तमाम कारक और वजहें है जिन्होंने कांग्रेसी खेमे में खलबली मचा दी है। भाजपा की नींद भी हराम है क्योंकि उनके प्रत्याशी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। बहरहाल चुनाव का परिणाम क्या होगा यह तो मतपत्र खुलने के बाद ही पता चलेगा लेकिन जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे यह उपचुनाव बहुत ही रोचक होता जा रहा है।

 

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छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद: इतिहास, वर्तमान और भविष्य https://nitinbharat.com/reservation-dispute-in-chhattisgarh-history-prensent-and-future/ https://nitinbharat.com/reservation-dispute-in-chhattisgarh-history-prensent-and-future/#comments Sun, 20 Nov 2022 15:56:02 +0000 https://nitinbharat.com/?p=403 32% आरक्षण छीने जाने के बाद से आदिवासी समाज उबल रहा है सत्ता के गलियारों में घमासान मचा हुआ है आरोपों की बौछार हो रही है हर...

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32% आरक्षण छीने जाने के बाद से आदिवासी समाज उबल रहा है सत्ता के गलियारों में घमासान मचा हुआ है आरोपों की बौछार हो रही है हर पार्टी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है जबरदस्त बैकफुट पर गई कांग्रेस अब आरक्षण पर विधेयक लाने का मूड बना रही है।reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद

भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसके लिए बकायदा 1-2 दिसंबर का दिन निर्धारित किया है सूचना है कि इस दिन कांग्रेस सरकार जनजातीय समेत अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति तथा आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए आरक्षण के नए प्रावधान लाने जा रही है। आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते है पूरा विवाद और आने वाले दिनों में संभावनाएं और जटिलताएं। reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ ने जनसंख्या प्रतिशत के आधार पर आरक्षण:

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे जनगणना के हिसाब से छत्तीसगढ़ में जातियों की प्रतिशत के आधार पर आरक्षण देना चाहते हैं इस संदर्भ में कोई पहले भी अन्य पिछड़ा वर्ग को 27% का आरक्षण दे चुके थे लेकिन इंदिरा साहनी वाद को मद्देनजर रखते हुए (जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है नौकरियों में आरक्षण 50% से अधिक कोई भी सरकार नहीं दे सकती) निरस्त घोषित कर दिया था।

हालिया में मराठा आरक्षण को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने पांच जज वाले संवैधानिक पीठ के माध्यम से इंदिरा साहनी वाद में दिए गए निर्णय को उचित ठहराया था।

Bhanupratappur भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद की पृष्ठभूमि:

नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर सन 2000 को मध्य प्रदेश से विभाजित होकर अस्तित्व में आया। जिसके बाद राज्य को अपना पृथक आरक्षण कानून लाना था। साथ ही भारतीयों पर नया रोस्टर भी जारी करना था जो राज्य के जातीय समीकरण सामुदायों की स्थिति परिस्थिति के अनुकूल हो। लेकिन इतने जटिल विषय को छेड़ना कौन चाहेगा। उस समय अजीत जोगी सरकार ने छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर कोई भी फैसला ना करते हुए यथावत रखा। reservation dispute in chhattisgarh

2012 के पूर्व राज्य में आरक्षण की स्थिति:

2012 के पूर्व मध्यप्रदेश सरकार ने इंदिरा साहनी वाद के फैसले के मद्देनजर 1994 में आरक्षण विधेयक जारी किया जिसके अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग को 16% का आरक्षण, अनुसूचित जनजाति वर्ग को 20% का आरक्षण तथा पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण दिया जा रहा था।

2008 में आदिवासी बहुल इलाकों में यह वादा किया था कि उन्हें 32% आरक्षण देंगे। इसी के चलते जनसंख्या के नवीन आंकड़ों के 2011 में प्रकाशित होते ही उन्होंने आरक्षण संशोधन विधेयक लाया। और महत्वपूर्ण बदलाव किए।

रमन सिंह सरकार का फैसला:

डॉ रमन सिंह की कैबिनेट में 2012 ने एक विधेयक लाकर जिसे राज्यपाल की विशेष स्वीकृति प्राप्त थी के बाद आरक्षण को 58% तक ले जाया गया जिसमें ओबीसी समुदाय को 14% आरक्षण अनुसूचित जनजाति वर्ग को उनके आबादी के अनुसार 32% आरक्षण जबकि अनुसूचित जनजाति वर्ग को 12% उनकी आबादी के अनुसार आरक्षण दिया गया। reservation dispute in chhattisgarh

यहीं से अर्थात 2012 से ही आरक्षण को लेकर न्यायालय में वाद-विवाद का दौर जारी है। जब तक भाजपा की सरकार रही इसे डिफेंड किया गया। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के 4 वर्ष बाद इसे उच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।

भूपेश बघेल का जीवन परिचय : राजनीतिक सफर और प्रमुख कार्य

2012 के पूर्व अनुसूचित जाति का आरक्षण:

ज्ञात हो कि अनुसूचित जनजाति जिसका कि आरक्षण संयुक्त मध्यप्रदेश में 16% चले आ रहा था उसे राज्य की रमन सरकार ने घटाकर 12% कर दिया। अनुसूचित जनजाति वर्ग में इसे लेकर गहरा असंतोष व्याप्त हुआ और इस असंतोष का प्रतिनिधित्व किया गुरू घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बिलासपुर ने। 12 से 13% आबादी वाला अनुसूचित जाति समुदाय यह बताने में प्रयासरत रही कि क्यों आदिवासियों अनुसूचित जनजातियों को 32% आरक्षण नहीं मिलना चाहिए बजाय इसके कि क्यों उनका आरक्षण 16% किया जाए।

केपी खांडे और आरक्षण विवाद क्या है?

इसी के चलते कई बार दोनों समुदाय के नेताओं के मध्य जुबानी जंग और तनाव साफ दिखती है। एक तथ्य यह भी है कि गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बिलासपुर के प्रमुख केपी खांडे ने उच्च न्यायालय में अनुसूचित जनजातियों को दिए जा रहे 32% आरक्षण के विरुद्ध मुख्य रूप से आवाज उठाई एक मुख्य प्रतिवादी रहे (हालांकि वे संस्था के माध्यम से प्रतिवादी रहे) जिन्हें हाल ही में राज्य अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया भूपेश बघेल सरकार की इस नीति की आलोचना भारतीय जनता पार्टी ने इस रूप में किया कि “कांग्रेस पार्टी और केपी खांडे दोनों के षडयंत्र से आदिवासियों का आरक्षण छीना।” reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण 85% तक हो जायेगी?

आइए जानने की कोशिश करते हैं यदि कांग्रेस पार्टी आरक्षण पर विधेयक लेकर आती है तो इसके क्या कुछ परिणाम और मुद्दे पुनः उभर कर आ सकते हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग को मंडल आयोग के अनुशंसा के अनुसार प्रदेश में 27% आरक्षण देने का विचार कर रही है साथ ही अनुसूचित जनजाति वर्ग को उनके आबादी के अनुपात में 32% का आरक्षण बहाल करने जा रही है। reservation dispute in chhattisgarh

लेकिन अनुसूचित जाति का आरक्षण जोकि 12% 2012 से चला आ रहा था और न्यायालय निर्णय से 19 सितंबर 2022 सीजी से 16% माना जा रहा था वह घटकर अब 13% हो जाएगा इसके साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए 10% का अतिरिक्त आरक्षण जारी किया जाएगा हालांकि यह आरक्षण क्षितिज आरक्षण है ना कि ऊर्ध्वाधर आरक्षण।

आरक्षण विधेयक के निरस्त होने की संभावना?

मानकर चलते हैं कि यदि अनुसूचित जाति वर्ग को नाराज ना करते हुए भूपेश बघेल सरकार उन्हें 16% का आरक्षण 2012 के पूर्व के अनुसार प्रदान करती है तो राज्य में कुल आरक्षण बढ़कर 85% हो जाएगा जिसे न्यायालय द्वारा निरस्त करने की अथवा अपास्त करने की संभावना अधिक तेज हो जाएगी। राज्य सरकार यह बात भली-भांति जानती है इसलिए इस स्थिति से पल्ला झाड़ने के लिए एक प्रस्ताव अथवा संकल्प पत्र भी जारी करने का निर्णय किया है।

केंद्र के पाले में डालने की नीति?

संकल्प पत्र के अनुसार राज्य सरकार विधेयक में किए गए प्रावधानों को लेकर विधानसभा संकल्पित है ऐसा कथन जारी किया जाएगा साथ ही संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से यानी भारतीय संसद से या अनुरोध भी किया जाएगा कि इस विधेयक को वे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर ले ताकि न्यायायिक पुनरावलोकन से संरक्षित किया जा सके (9वी अनुसूची के बारे में आगे चर्चा की गई है) अर्थात पूरी गेंद कांग्रेस अब केंद्र पाले में डालने कि फ़िराक में है। और यही राजनीति है यदि कांग्रेस के जगह भाजपा रहती तो वो भी यही करते। reservation dispute in chhattisgarh

यदि केंद्र सरकार राज्य संघ के संकल्प पत्र को गंभीरता से ना लेते हुए कोई कार्यवाही नहीं करती है तो कांग्रेस के पास यह बोलने का हमेशा रास्ता रहेगा की केंद्र की भाजपा सरकार राज्य के हितों के प्रति गंभीर नहीं है अथवा उसके बाद की परिस्थिति के लिए पूरी तरीके से केंद्र जिम्मेदार है।

संविधान की 9वीं अनुसूची क्या है?

नवीं अनुसूची को तात्कालिक प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी द्वारा 1951 में प्रथम संविधान संशोधन के माध्यम से जारी किया था। जिसके अनुसार इसमें उन केंद्रीय और राज्य कानूनों को रखा जाता था जिसे न्यायालय की पुनर्विलोकन प्रक्रिया से दूर रखा जाना चाहिए।

क्या नवीं अनुसूची का न्यायिक समीक्षा हो सकती है?

वर्तमान में इसमें तकरीबन 284 विषय और लगभग 13 कानूनो को 9वीं अनुसूची में शामिल किया गया है लेकिन केशवानंद भारती बनाम भारत संघ मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के 13 जजों की संवैधानिक पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन सभी कानूनों की समीक्षा की जा सकती है जो संविधान के मूल ढांचे का उलंघन करती है। इसलिए 24 अप्रैल 1973 के बाद से शामिल किए गए सभी कानूनों की पुनर्विलोकन की जा सकती है यदि वह मूल अधिकारों और संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करती है।

इस प्रकार यदि 50% आरक्षण को मूल ढांचा मान लिया जाता है और यदि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ राज्य के विधायक को नवीं अनुसूची में शामिल भी कर लेती है तब भी वह निरस्त घोषित हो जाएगा। लेकिन जनता को या आमजन जिन्हें कानून की समझ कम है उन्हें यह लगता है की नवीं अनुसूची में किसी कानून को डाल देने पर उसका न्यायिक पुराना अवलोकन नहीं हो सकता। जोकि असत्य है। reservation dispute in chhattisgarh

बताना होगा विशेष परिस्थिति:

अब प्रश्न यह उठता है की भूपेश बघेल सरकार इसके स्थान पर क्या कर सकती है? संविधान विशेषज्ञों की माने तो इस तरीके के हालात में अथवा 58% की अथवा 50% से ऊपर को किसी राज्य में लागू करने के लिए संदर्भित समुदाय अथवा परिस्थिति का युक्तियुक्त विवरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना होता है परंतु की मंशा और इरादे से यह प्रतीत नहीं होता कि वे 2012 के विधेयक को नाम मात्र की संशोधन के साथ जारी करेगी बल्कि उसमें आमूलचूल परिवर्तन के साथ जारी किए जाने की संभावना है। जिसके बाद आरक्षण 82 से 85% तक हो जायेगा।

युवाओं के लिए कितनी अच्छी खबर?

आरक्षण संशोधन विधेयक पारित होने के बाद राज्य के शासकीय प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते युवाओं को राहत मिलने की संभावना कम ही है इस विधेयक के अपास्त होने की संभावना बहुत अधिक है क्योंकि यह इंदिरा साहनी बाद में दिए गए 50% सीमा का स्पष्ट रूप से उल्लंघन होगा। फाइनल में यदि भर्तियों के रोस्टर जारी करके भर्तियां कर भी भी जाती है तो न्यायालय द्वारा अपास्त होने की स्थिति में सभी नियुक्तियां खतरे में पड़ जाएगी इस प्रकार निकट भविष्य में परीक्षार्थियों के लिए छत्तीसगढ़ में शासकीय नौकरियां बमुश्किल ही नसीब होने वाली है। यदि इस विधेयक में किसी भी समुदाय को उनकी अपेक्षाओं से कम आरक्षण दिया गया तो इसके निरस्त होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएगी। reservation dispute in chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में आरक्षण विवाद का अंत कब होगा?

आरक्षण विवाद का अंत कब होगा इसके बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता क्योंकि राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय यदि लामबंद होते हैं तो 27% आरक्षण राज्य में ठीक उसी प्रकार का विवाद स्थापित कर देगा जिस प्रकार का केंद्र में 80 के दशक में हुआ था और मंडल कमीशन के बाद शांत हुआ था। राज्य में 10 साल से 32% आरक्षण का आनंद लेते हुए जनजातीय समुदाय कदापि इस बात को स्वीकार नहीं करेगी कि उन्हें 32% से कम आरक्षण दिया जाए। ना हीं लगातार 10 वर्षों तक 32% आरक्षण के विरुद्ध पैरों कार्य करने वाले अनुसूचित जाति समुदाय भी यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगी कि उनका आरक्षण 16% से कम किया जाए इस प्रकार निकट भविष्य में यह एक अंतहीन दुष्चक्र साबित होने की संभावना है । राजनीतिक दल वोट बैंक के अनुसार इसे अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश करते रहेंगे। reservation dispute in chhattisgarh

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भानूप्रतापपुर उपचुनाव: किन मुद्दों पर लड़े जायेंगे? https://nitinbharat.com/bhanupratappur-by-election-chhattisgarh-2022-issues/ https://nitinbharat.com/bhanupratappur-by-election-chhattisgarh-2022-issues/#comments Thu, 17 Nov 2022 17:50:44 +0000 https://nitinbharat.com/?p=391 भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे? Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022: मनोज मंडावी के निधन से खाली हुई विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ भाजपा और कांग्रेस के लिए...

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भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022: मनोज मंडावी के निधन से खाली हुई विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ भाजपा और कांग्रेस के लिए प्राण प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है। दोनों दलों ने नामांकन के दिन 17 नवंबर पूरे दमखम के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए प्रत्याशियों का नामांकन दाखिल किया।

भानुप्रतापपुर उपचुनाव की सरगर्मी

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह समेत कई बड़े नेता जिनमे सांसद से लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी मौजूद रहे। 17 नवंबर को भाजपा के लगभग सभी बड़े नेता कांकेर में मौजूद थे। Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022

भूपेश बघेल का जीवन परिचय : राजनीतिक सफर और प्रमुख कार्य

वही कांग्रेस के तरफ से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं जाकर प्रत्याशी श्रीमती सावित्री मंडावी के लिए नामांकन भरा। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है।

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ये होंगे मुख्य मुद्दे

भाजपा जहां इसे आगामी विधानसभा के पूर्व जीतकर जनता के सामने भूपेश बघेल के विपरीत रुझान के तौर पर प्रस्तुत करेगी वहीं कांग्रेस जीत दर्ज कर यह बताने की कोशिश करेगी कि छत्तीसगढ़ की जनता भूपेश बघेल सरकार के कार्यों नीतियों को बेहद पसंद कर रही है। Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022

भानूप्रतापपुर उपचुनाव किन है मुद्दों पर लड़े जायेंगे?

कांग्रेस जहां अपने चार वर्षो के कार्यों को उपलब्धियों की तरह पेश करने जायेगी वहीं भाजपा आक्रामक विपक्षी दल की तरह विभिन्न मुद्दों को जोर सोर से उठाएगी। चूंकि भानुप्रतापुर जनजातीय बहुल इलाका है इसलिए जनजातियों के मुद्दे चुनाव पर हावी रहेंगे।

भानुप्रतापुर उपचुनाव (Bhanupratappur by-election chhattisgarh 2022) में ये मुख्य मुद्दे है जो पूरे चुनाव के दौरान गरम रहने वाले है –

1. आदिवासियों का 32% आरक्षण

2. स्थानीय भर्ती आरक्षण

3. भानुप्रतापुर नया जिला

4. पेसा कानून में छेड़छाड़

5. वन अधिकार संरक्षण कानून

6. खराब सड़क

7. शराब बिक्री

8. खनन और रेत माफिया

9. वन अधिकार पट्टा

10. प्रधानमंत्री आवास योजना

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