बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों (petrol-diesel price) ने लोगों के जेब पर आग लगा दी है। महज एक महीने में ही देश के कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल दाम 25% तक बढ़ चूके है। लेकिन सुकून भरी खबर आई है पेट्रोलियम मंत्रालय से कि सरकार बढ़ती कीमत से लड़ने के लिए तात्कालिक प्रयास पर ध्यान केंद्रित नहीं करके, दीर्घ कालिक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
इससे आने वाले समय में पेट्रोल डीजल की कीमतों (petrol-diesel price) में 25-30 रुपए तक की गिरावट आ सकती है। इन्ही प्रयासों की चर्चा करेंगे लेकिन इससे पहले पेट्रोल डीजल के वर्तमान परिदृश्य पर नज़र डालते है।
भारत कच्चे तेल की अपने जरूरत का लगभग 85% हिस्सा आयात करता है। पहले मध्य पूर्व देशों से सर्वाधिक (लगभग 60%) आयात किया जाता था लेकिन इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता एवं अशांति अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था की बजट बिगाड़ देता था। इसलिए भारत ने अपने आयातों का विविधिकरण किया। आज अपनी कुल जरूरत का लगभग 52% मध्य एशिया से, 15% आफ्रीका से और 14% संयुक्त राज्य से करता है। लेकिन इन सब के बावजूद कीमतें बढ़ी और इसका बड़ा कारण कोरोना महामारी के बाद OPEC (Organization of petroleum exporting countries) देशों द्वारा पेट्रोल की कीमत बढ़ाया जाना था।
इसके साथ ही भारत में इसपर लगने वाले टैक्स, एक्साइज ड्यूटी (केंद्र द्वारा) और वैट (राज्य सरकार) भी कहीं ज्यादा है। सरकार की मजबूरी मुख्य रूप से यह रही की कोराेना की मार से अन्य से सेक्टर जहां राजस्व की आवश्यकता पूरा नहीं कर पा रहे थे वहीं पेट्रोल,डीजल,एलपीजी गैस, मादक द्रव्य और लक्सरी वस्तुएं (जैसे कार, एसी) राजस्व के स्त्रोत के रूप में दिखे।
पेट्रोल डीजल की कीमतों (petrol-diesel price) में आग लगी ही थी कि इस आग में घी डालने का काम किया रूस-यूक्रेन युद्ध ने। ज्ञात हो कि नीदरलैंड्स के बाद रूस दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइंड पेट्रोल निर्यातक देश है वही कच्चे तेल के निर्यात के मामले में सउदी अरब के बाद दूसरे नंबर पर आता है। अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों के चलते रूस से दुनिया को आपूर्ति श्रंखला (Supply Chain) बाधित हो गई है और महंगाई आसमान छू रही है।
इस समस्या से निपटने के लिए सरकार कदम उठाने के लिए तत्पर है। सरकार निकट भविष्य में निम्न कदम उठाने जा रही है, इससे पेट्रोल डीजल के दामों (petrol-diesel price) में दीर्घकाल में 25-30 रुपए तक की गिरावट देखने मिल सकता है।
1. भारत ऐसे देशों से तेल आयात के लिए समझौते कर रही है जो OPEC के सदस्य नही है। जैसे- अमेरिका, रूस, कनाडा। इससे पेट्रोल डीजल के दामों (petrol-diesel prices) पर OPEC देशों की नीति का प्रभाव कम होगा।
2. भारत UAE जैसे देशों की मदद से पेट्रोलियम बफर बनाने के लिए समझौते कर रहा ताकि संकट के समय में कीमतें बढ़ने पर इसका उपयोग किया जा सके। भारत के पास वर्तमान में महज 12 दिन का ही बफर स्टॉक है जबकि अमेरिका और चीन के पास क्रमशः तीन और दो महीने का बफर स्टॉक है।
3. भारत ने पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता कम करने के लिए EBP (इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल) इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। 2030 तक इसे 20% करने का निर्णय लिया गया है। जबकि वर्तमान में यह 10% तक की अनुमति है।
4. देश के अलग-अलग राज्यों द्वारा थोपे जाने वाले भारी भरकम वैट के बोझ से जनता को मुक्त करने के लिए, पेट्रोल और डीजल के दाम को GST के दायरे में लाने के प्रयास चल रहे है, जिसका कि राज्य विरोध करते है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल डीजल के दाम (petrol-diesel price) (20 अप्रैल 2022)
5. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्रोत्साहित कर रही है, सरकार का लक्ष्य है की 2030 तक पूर्ण रूप से सड़को पर इलेक्ट्रिक गाडियां दौड़े। इसके लिए फेम योजना, सब्सिडी और चार्जिंग स्टेशन बनाने पर जोर दे रही है।
रूस से सस्ती कीमत तेल आयात का समझौता किया गया है, अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए यह फैसला उठाया गया है। इससे जल्द ही पेट्रोल डीजल के दाम (petrol-diesel price) कम होने का अनुमान है।
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