बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने आजीवन समाज के शोषित वंचित और पीड़ित वर्ग की आवाज उठाई उस वर्ग को बाबा भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक अधिकारों से सशक्त किया प्रतिनिधित्व का अधिकार दिया और शिक्षा और रोजगार के लिए मार्ग प्रशस्त किया आज जब पूरा देश डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती (dr bhimrao ambedkar jayanti) मना रहा है तक कुछ ऐसे लोग भी हैं जो भावविभोर होकर अंबेडकर को श्रद्धांजली दे रहे हैं वहीं कई ऐसे लोग भी हैं जो अंबेडकर के बारे में वह सब भी लिख रहे हैं जो उन्हें नहीं लिखना चाहिए।
सोशल मीडिया पर लिखे गए ऐसे ही कुछ रोचक पोस्ट के बारे में हम इस आर्टिकल में पड़ेंगे। इसे पढ़ने से पहले इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि आज अंबेडकर किसी जाति विशेष के प्रतिनिधि या नेता नहीं है या केवल जातिवादी नेता भी नही है। बाबा साहेब आंबेडकर (dr bhimrao ambedkar jayanti) हर शोषित, पीड़ित, वंचितों की आवाज थे। महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और विचारक थे। संविधान के शिल्पी और विकसित भारत के स्वप्नदृष्टा थे। उनकी सराहना, गांधी, नेहरू, पटेल सभी करते थे।
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उनकी जयंती पर @jainkhabar नामक ट्विटर यूजर लिखते है-
अंबेडकर जी को को पहले जैन धर्म और बौद्ध धर्म ही पसंद आए थे। वे अपने 7,00000 फॉलोवर्स के साथ जैन धर्म अंगीकार करने वाले थे, और इसके लिए वे चारित्र चक्रवर्ती शांति सागर जी महाराज के पास पहुंचे और उनसे कहा कि आप इन्हें दीक्षित कर दीजिए।
लेकिन शांति सागर जी महाराज ने कहा कि पहले वे मांस मदिरा आदि का त्याग करके आधारभूत नियमों का पालन करें तो हम इन्हें दीक्षित करेंगे, लेकिन अंबेडकर चाहते थे कि पहले दीक्षित कर दिया जाए यह सब नियम बाद में अंगीकार होते रहेंगे, बस बात यहीं पर नहीं बन पाई और उन्होंने सात लाख लोगों
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के साथ 1956 में नागपुर में बौद्ध धर्म अंगीकार कर लिया।मानव समुदाय में ऊंच-नीच की भावना भरने वाले हिंदू धर्म के ग्रंथ मनुस्मृति को भीड भरे चौराहे पर जला दिया। उनका कहना था कि प्रत्येक मनुष्य समान है कोई भी ऊंच-नीच नहीं है जाति-भेदभाव से परे उन्होंने संविधान बनाने में सहयोग किया।
Retired IPS RK Vij ने अंबेडकर के सुविचार के साथ उन्हें याद करते हुए लिखते है- “मुझे वह धर्म प्यारा है जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता हो।”
संजय चौहान नामक एक ट्विटर यूजर ने लखनऊ से जारी महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के वीडियो संदेश को प्रसारित किया जिसमे उन्होंने कहा है कि ” बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर मेरे लिए भगवान है। मैं आज आपके सामने खड़ी हूं तो यह बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की वजह से है” इस वीडियो में लिखा गया है कि इतिहास गवाह है महिलाओं को न्याय दिलाने का काम जो बाबा। साहेब ने किया है वह कोई भी नही कर पाया था।
शिमला मीना (@ShimlaMeena9) यूजर द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बाबा साहेब के पहल को याद करते हुए लिखा गया है-
महिलाओं का जीना आसान नहीं होता,
यदि दुनिया में पैदा कोई भीम नहीं होता,
मनुवाद की गुलामी से कोई घूंघट में रोता,
फिर सर उठा कर जीना आसान नहीं होता,
बाबा ने तेरी हाथों की बेंडियो को तोड़ा,
वरना कलम चलाना आसान नहीं होता,
डीएम सीएम पीएम कोई महिला नहीं बनती,
अगर बाबा साहब का लिखा संविधान नहीं होता!!
रवि सगरमे (@ravisagarme) नामक ट्विटर यूजर ने एक वीडियो संदेश को जारी किया है जिसमे कहा गया है –
“एक महिला कभी मस्जिद की मौलाना नहीं बन सकती, एक महिला कभी मंदिर की मुख्य पुजारी नहीं बन सकी, एक महिला कभी चर्च की मुख्य पादरी नहीं बन सकती, कोई भी महिला कभी भी किसी भी धर्म की विश्वविख्यात गुरु नहीं बन सकी। मगर एक महिला विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, राष्ट्रपति, आईएएस, आईपीएस और सचिव सब कुछ बन सकती है। जो अधिकार धर्म नहीं दे पाया वह सब अधिकार डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संविधान ने महिलाओं को दे दिया। इसलिए भारत की महिलाओं को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के प्रति ईमानदार होकर उनके दिखाए रास्ते पर चलना चाहिए। मगर आज की महिलाएं धर्म और कर्मकांड के चक्कर में पड़ कर अपना जीवन बर्बाद कर रही है” dr bhimrao ambedkar jayanti
राष्ट्रवादी पत्रकार सुरेश चवनके के लिखते हैं –
“आख़िरी मुसलमान जब तक पाकिस्तान नहीं चला जाता और आख़िरी हिंदू जब तक हिंदुस्थान नहीं आ जाता, तब तक मैं देश के इस विभाजन को नहीं मानूंगा”- भारत रत्न #डॉ_बाबासाहेब_आंबेडकर जी आज उनकी स्मृति को कोटि- कोटि नमन..
इसके साथ ही चावहांके ने बाबा साहेब की तस्वीर भी पोस्ट की जिसपर उन्होंने लाल टीका भी आर्टिफिशियल तरीके से लगा दिया था।
उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री लिखते है -“समाज के हर वंचित, हर पीड़ित, हर दलित की आवाज को धार देने, उनके संघर्ष को आगे बढ़ाने वाले ‘भारत रत्न’ बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर को कोटि-कोटि नमन!”
आईपीएस प्रह्लाद मीना ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमे अंबेडकर के नाम से कहा गया है कि “तुम्हारे पैरों में जूते भले ना हो पर हाथों में किताब अवश्य होना चाहिए”
वही अधिकतर लोगों ने “Be Educated, Be Organised and Be Agitated (शिक्षित बनो , संगठित रहो , संघर्ष करो)” और “हजार तलवारों से ज्यादा ताकत एक कलम में होती है।” प्रेरणादायक सुविचार भी उनके जन्म दिवस के अवसर पर लिखा।