चुनावों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका एवं सीमाएं

31 मार्च 2023 को अमेरिका की ग्रैंड ज्यूरी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ (Artificial intelligence role in elections) आरोप तय कर दिए थे इसके बाद एक वीडियो वायरल किया गया जिसमें राष्ट्रपति जो बिडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस व्हाइट हाउस में इस घटना का जश्न मानते नजर आते हैं। इस वीडियो को अगर से देखें तो हम पाते हैं कि कमला हैरिस की हाथों में 6 उंगलियां थी। उस दिन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों ही व्हाइट हाउस में मौजूद नहीं थे यह एक फेक तस्वीर थी और अमेरिका में लाखों लोगों को भेजी गई। भेज कर डोनाल्ड ट्रंप के पक्ष में उत्पन्न की गई। यह सब AI (Artificial Intelligence) की मदद से किया गया। इसमें राजनीतिक विशेषज्ञों को यह सोचने पर विवश कर दिया कि चुनावों में आर्टिफिकल इंटेलिजेंस का उपयोग कर किस तरह मतों को बदला और प्रभावित किया जा सकता है। आइये जानते है चुनावों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका एवं सीमाएं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव चुनावों पर समझेंगे लेकिन उससे पहले आइए जान लेते है आखिरआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या बला है?

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्या है?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का हिंदी में अनुवाद होता है “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” ये कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Artificial intelligence role in elections) द्वारा मानव मस्तिष्क और क्रियाविधि की कृत्रिम नकल करने का विज्ञान है। आसान भाषा में कहें तो यह एक वर्चुअल रोबोट है जो मानव की हर गतिविधियों की नकल कर सकता है। मशीनों के क्रियाविधि देखकर सीख सकता है। जैसे- बोलना, सोचना, लिखना, नकल करना, मेमोरी से खुद-ब-खुद डाटा खोजकर प्रोसेस करना और मशीनों को नियंत्रित करना आदि आदि. AI (Artificial Intelligence) क्या क्या कर सकता है इसका पूर्ण अनुमान आज तक वैज्ञानिक भी नही लगा सके है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता लोकतंत्र के लिए वरदान और अभिशाप दोनो सिद्ध हो सकते है। आइए चुनावों एवं लोकतंत्र में AI (Artificial Intelligence) की भूमिका को समझते है। AI (Artificial Intelligence) का चुनावों में सकारात्मक उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है:

चुनावों में AI का सकारात्मक उपयोग

  • चुनाव आयोग द्वारा भारत के नवयुवकों को मतदान की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदार बनाने के लिए अलग- अलग युवाओं के रुचि अनुसार उन्हें मत देने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
  • राजनीतिक दल अपना प्रचार प्रसार कम से कम खर्चों में डिजिटल मीडिया, एवं सोशल मीडिया के माध्यम से प्रभावी तरीके से कर पाएंगे। इससे चुनावों में धन का दुरुपयोग रूक सकता है। जैसे अपनी आवाज, प्रचार सामग्री और कॉन्टेट सिलेक्टेड लोगों को भेजा जा सकता है।
  • आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए अब उम्मीदवार मतदाताओं के जरिए उनकी प्रोफाइल, सोच और प्राथमिकताओं का पता लगाकर उसी के अनुरूप अपने मैसेज और प्रचार सामग्री को ढाल सकते है।
  • आगामी चुनावों में जनरेटिव AI (Artificial Intelligence) यानी सेल्फ जनरेटेड AI (Artificial Intelligence) की मदद से मतदाताओं की प्रोफाइल और सोच के आधार पर फोटो, वीडियो और ऑडियो जैसे चुनाव सामाग्री बड़े पैमाने पर बनाकर तेज रफ्तार से मतदाताओं तक पहुंचा सकती है।
  • बेट्सी हूवर (हायर ग्राउंड्स लैब की सह संस्थापक) द्वारा BBC को दिए गए एक इंटरव्यू में कहती है कि राजनीतिक दल चुनाव के समय बहुत सारे कंटेंट राइटर और चुनाव रणनीतिकार रखते है। जो मूल प्रचार सामग्री के हजारों वैरिएशन बनाकर मतदाताओं तक पहुंचाते है। AI (Artificial Intelligence) यह काम बहुत आसानी से और तेजी से कर छोटे छोटे गुटों के संदेश पहुंचा सकता है।
  • अमेरिका स्थित स्टर्लिंग कंपनी के CEO ने AI (Artificial Intelligence) की मदद से वहां के राजनीतिक दलों को चुनाव में चंदा दे सकने वाले संभावित दाताओं की सूची, राजनीतिक दलों को सौंपी थी इससे राजनीतिक दलों को 2 नंबर से मिलने वाले धनो पर निर्भरता कम होगी और लोकतंत्र स्वच्छ होगा..!
  • अभी राजनीतिक दल योजना या घोषणापत्र में उनके लिए क्या है वर्ग वार या आयु के हिसाब से नही भेज पाती। AI की मदद से चुनावी घोषणा जैसे महिलाओं को 1000 रुपए स्वालंबन राशि प्रतिमाह दिया जाएगा। केवल महिलाओं तक भेजा जाएगा। युवाओं को नए स्कॉलरशिप की घोषणा केवल युवाओं तक पहुंचाने की घोषणा केवल युवक युवतियों तक पहुंचाना एक प्रभावी और दक्ष चुनावी प्रचार हो सकता है। इनकी वर्ग वार, आयुवार और क्षेत्रवार सूची AI की मदद से मिनटों में निकाला जा सकता है।
  • वोटरों के छोटे छोटे समूहों की रुचि अनुसार बाते, मुद्दे और विषय AI (Artificial Intelligence) की मदद से तैयार किए जा सकते है। यह अत्यंत कारगर हो सकता है मतों को प्रभावित करने में!
  • छोटे छोटे बूथ स्तर के नेताओं के वीडियो उन्ही के आवाज में बनाकर भेजने में भी AI (Artificial Intelligence) सक्षम है। केवल बड़े नेताओं के भाषणों और प्रचार सामग्रियों पर निर्भरता कम हो सकेगी।

लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जितना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सकारात्मक उपयोग कर लोकतंत्र को समृद्ध बनाया जा सकता है उतना ही नकारात्मक उपयोग कर लोकतंत्र का विनाश भी किया जा सकता है आइए समझते हैं AI का नकारात्मक उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नकारात्मक उपयोग

  • फेक न्यूज फैलाने में: “सच जब तक अपने जूते पहन रहा होता है, तब तक झूठ आधी दुनिया का सफ़र तय कर लेता है।” मार्क ट्वैन का कथन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के जमाने में 100% फिट बैठता है। आलेख के प्रथम पैराग्राफ में हम लोगों ने पढ़ा कि किस प्रकार अमेरिका जैसे विकसित लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी फेक न्यूज़ ने अपना काम किया।
  • भारत जैसे विविधतापूर्ण लोकतंत्र और विविधता से युक्त सामाजिक संरचना में हिंदू-मुस्लिम बलवे कट्टर राजनीतिक दल ध्रुवीकरण कर लिए फेक न्यूज के माध्यम से कराते रहे है। भारत में कुछ जातिवादी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियां है जो अपने अल्पलाभ के लिए जातिगत वैमनस्यता (Artificial intelligence role in elections) फैला देते है। AI (Artificial Intelligence) द्वारा इसमें आग में घी के समान काम करेगा। यह चुनाव के दौरान कोई तीसरा पक्ष भी अंजाम दे सकता है राजनीतिक दलों को लगेगा ये उसके प्रतिद्वंदी की कोई साजिश है।
  • भारत में जहां लोकतंत्र एक विकाशील दौर से गुजर रहा है, राजनीतिक दलों द्वारा उन्नत AI (Artificial Intelligence) साफ्टवेयर तकनीकों का उपयोग करके मतदाताओं को बरगलाने में किया जायेगा इससे लोकतंत्र कमजोर होगा। चुनावों में धन का उपयोग बढ़ेगा या यूं कहे पूंजीपतियों का सरकार में दबदबा हो जायेगा।
  • सड़क पर आंदोलन करते दिल्ली में महिला रेसलरों को 28 मई 2023 दोपहर को दिल्ली पुलिस गिरफ्तार कर बस में ले जाती है। रेसलर विनेश फोगाट और संगीत फोगाट ने सोशल मीडिया एक इमेज मैसेज पोस्ट किया कि न्याय के लिए आंदोलन करते रेसलरों को दिल्ली पुलिस ने बर्बरता पूर्वक गिरफ्तार किया। इस सेल्फी इमेज में कुल आठ रेसलर एक बस में बहुत ही दारुण मुद्रा यानी विलाप की मुद्रा में दिख रहे थे। इस फोटो को सोशल मीडिया पर बहुत कम लोगों ने देखा। शाम को अचानक ट्विटर में इन्ही फोटो को हंसते हुए और गिरफ्तारी के बाद खिलखिलाते हुए जारी किया गया। ऐसा नैरेटिव क्रिएट करने की कोशिश की गई कि सड़क पर आंदोलन करते ये खिलाड़ी असल में केवल नौटंकी कर रहे है। ये गिरफ्तारी के बाद हंसते खिलखिलाते समय गुजारते है। इस प्रकार यह लोकतान्त्रिक आन्दोलनों का भी दमन कर सकती है.
  • इस पोस्ट के बहुत अधिक वायरल हो जाने के बाद रेसलर बजरंग पुनिया द्वारा ओरिजनल तस्वीर को सार्वजनिक किया जाता है। और यह आरोप लगाया जाता है कि भाजपा IT सेल द्वारा AI (Artificial Intelligence) की मदद से रोते चेहरों को हंसते चेहरों में बदलकर रेसलरों की छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। पर जैसे कि मार्क ट्वेन ने कहा था झूठ कई किलोमीटर का सफर तय कर चुका था।
  • जेनरेटिव AI (Artificial Intelligence) की मदद से वॉइस क्लोनिंग यानी आवाज की कॉपी करना और किसी भी नेता का कुछ सेकंडो का फर्जी बयान दिलवाना जैसे काम कराकर भारी गड़बड़ी फैला सकते है।

चुनावों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सीमाएं

  • यह केवल डिजिटल माध्यमों और विकसित सूचना और संचार तंत्र वाले इलाकों में कारगर है। “इंटरनेट इन इंडिया रिपोर्ट्स 2022” के मुताबिक भारत में 2022 में कुल 76 करोड़ सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता है। जो की भारत की कुल आबादी का महज 50 से 60% ही है। इसमें भी अधिकांश लोग शहरी क्षेत्रों के है। हालांकि आने वाले समय में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ेगा।
  • डिजिटल प्रचार की अपनी एक सीमा होती है। लोग ऐसे प्रतिनिधि चुनना ज्यादा पसंद करते है जो उनके बीच आता जाता हो उनसे सीधा संवाद करता है और प्रत्यक्ष तरीके से उनके बीच काम करता है। सोशल मीडिया और AI केवल मददगार साबित हो सकती भौतिक प्रचार का विकल्प नहीं बन सकता।
  • AI सॉफ्टवेयर (Artificial Intelligence) तभी काम करेगा जब उसमे हम डाटा जैसे की वोटरों की जानकारी, उनके प्रोफाइल और उनका फोटो देंगे। मान लीजिए AI के मदद से एक बूथ स्तर पर मतदाताओं के रुचि, सोच और प्रोफाइल में से कोई सूची AI को तैयार करना है तो पहले उस कंप्यूटर में यह जानकारियां हमे डालनी होगी तभी AI (Artificial Intelligence) फेच कर पाएगा।
  • कई मामलों में गुणवत्ताहीन AI (Artificial Intelligence) सॉफ्टवेयर राजनीतिक छवि बनाने की जगह बिगाड़ भी देगा। जन-जन में हंसी का पात्र भी बना देगा। स्थानीय भाषा में किसी शब्द, उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ी में लिखें भाषण को यदि हमें बुलवाना है- “मैं छत्तीसगढ़िया हरव मडिया पेज पीथो” बोलना है और AI (Artificial Intelligence) ने इसे उच्चारित किया “मैं छत्तीस गाड़ियां हरव मारिया पेज पीठों” तो अर्थ का अनर्थ हो जायेगा और एक भद्दा मजाक क्षेत्र में प्रतिनिधि का बन जायेगा..!
  • चुनाव आयोग और रेगुलेटरी संस्थाएं यद्यपि अभी इसपर कोई ठोस गाइडलाइन (Artificial intelligence role in elections) जारी नही की है लेकिन यदि एकाएक इस तरह के AI जेनरेटेड वीडियो, ऑडियो और इमेज सामग्री को बैन कर दे इस बात बात के मद्दे नजर कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए हानिकारक है। अमेरिका में 2024 चुनाव के पूर्व इसपर रेगुलेशन की बात की जा रही है।

इस प्रकार AI (Artificial Intelligence) का चुनावों में उपयोग सकारात्मक और नकारात्मक दोनो तरीके से किया जा सकता है और इसकी कुछ सीमाएं है जिसे भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। आने वाले समय में AI का उपयोग नई पीढ़ी किसी तरह से करती है और AI (Artificial Intelligence) स्वयं को कितना विकसित करता है देखना रोचक होगा। भारत जैसे देश में AI (Artificial Intelligence) अभी प्रारंभिक अवस्था में है जहां AI न्यूज एंकरों द्वारा मौसम समाचार, टॉप खबरें पढ़ाना, कुछ जानकारियां खोजना, वीडियो, ऑडियो मेसेज बनाना जैसे कामों के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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