संघीय व्यवस्था की विशेषताएं features of federal system

हालिया दिनों में ईडी CBI और इनकम टैक्स के छापों के बाद भूपेश सरकार ममता सरकार और केजरीवाल सरकार ने संघीय ढांचे पर हमले की बात करते है। राज्य सरकारें ऐसा क्यों कहती जानेंगे लेकिन उससे पहले आइए समझते हैं संघीय ढांचा (Features of federal system) है और संघीय सरकार है क्या?

राज्य सरकार और केंद्र की सरकार के मध्य शक्तियों के बंटवारे के आधार पर राजनीति शास्त्रियों ने सरकार को दो भागों में वर्गीकृत किया है पहला संघीय सरकार और दूसरा एकात्मक सरकार। यदि आप संविधान की थोड़ी बहुत समझ रखते हैं तो आप उदाहरण के जरिए बेहतर तरीके से इस व्यवस्था को समझ सकते हैं संघीय व्यवस्था (Features of federal system) अमेरिका में कायम है जबकि एकात्मक व्यवस्था ग्रेट ब्रिटेन में कायम है जबकि भारत में दोनों का स्वरूप शामिल है इसलिए विशेषज्ञ जैसे के. सी. व्हेयर इसे “अल्प संघीय” (Quasi Federal) करार दिया है।

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किसी भी संविधान में संघीय व्यवस्था की निम्नलिखित विशेषताएं होती है-

1. द्वैध राज्यपद्धति (diarchy)

द्वैध राज्यपद्धति का अर्थ होता है संविधान में वर्णित विषयों पर केंद्र और राज्य अलग-अलग कानून बना सकते हैं। जैसे-अमेरिका में किसी राज्य की शिक्षा पद्धति केंद्र की शिक्षा पद्धति से अलग हो सकती है। जबकि भारत में केंद्र, राज्य और समवर्ती सूची तीन तरह की सूचियां है। जिस पर कुछ पर केंद्र का एकाधिकार है कुछ पल राज्य का जबकि कुछ सूचियों पर दोनों का अधिकार है जैसे की हम सब देखते हैं शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और इस पर केंद्र और राज्य दोनों ही कानून बना सकते हैं।

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2. कठोर संविधान (Rigid Constitution)

संघर्षों में संविधान संशोधन कठोर होता है अर्थात आसानी से या कुछ सदस्य मिलकर उस देश की संविधान को नहीं बदल सकते यदि बदल भी लेते हैं तो राष्ट्रपति द्वारा उसे नकारा जा सकता है। अंग्रेजी में इसे “चेक एंड बैलेंस” का सिद्धांत कहा जाता है। जबकि भारत में लचीले और कठोर संशोधन प्रणाली का मिश्रण अपनाया गया है अर्थात यहां संविधान संशोधन मूल ढांचे को छोड़कर संशोधित करना ना अत्यधिक कठिन है और न ही अत्यधिक सरल।

3. संविधान की सर्वोच्चता (supremacy of constitution)

संघीय व्यवस्था में संविधान की सर्वोच्चता होती है और संविधान ही वह रूलबुक होता है जिस पर केंद्र और राज्य चलते हैं। जबकि संसद और जनता सर्वोच्च है यहां जनता संसद के माध्यम से मूल ढांचे के अलावा बाकी सभी प्रावधानों को संशोधित कर सकती है।

4. द्विसदनीयता (bicameral)

इसका अर्थ होता है उच्च और निम्न सदन का होना। संघीय संविधान को अपनाने वाले देशों में यह अनिवार्य विशेषता के रूप में होता है जैसे अमेरिका में हाउस ऑफ कॉमन्स (HoC) एवं हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (HoR). उच्च सदन में सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व दिया जाता है। जबकि भारत में द्विसदनीय व्यवस्था है लेकिन उच्च सदन में राज्यों को जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जाता है।

5. स्वतंत्र न्यायपालिका (independent judiciary)

संघीय व्यवस्थाओं में स्वतंत्र न्यायपालिका की उपस्थिति होती है क्योंकि यह अनिवार्य रूप से केंद्र और राज्य के मध्य उपजे विवाद को निपटाने का काम करती है। जबकि भारत में एकीकृत न्याय तंत्र उपस्थित है।

6. शक्ति का विभाजन (separation of power)

संघीय व्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता में से एक शक्ति का विभाजन है क्योंकि यह देश अपने राज्यों से समझौते जिसे संविधान यह शक्तियों का विभाजन कहा जाता है के द्वारा आपस में मिलकर एक देश का निर्माण करते हैं इसलिए केंद्र और राज्य की इकाई के बीच शक्ति का विभाजन अनिवार्य रूप से होता है और केंद्र राज्यों की शक्ति का अतिक्रमण नहीं कर सकती और ना ही राज्य केंद्र की शक्तियों का अतिक्रमण कर सकती है। भारत में केंद्र की ओर झुका हुआ शक्ति विभाजन है जिसमें राष्ट्रीय महत्व के विषयों को केंद्र अपने पास रख कर उस पर नियम और शासन करती है जैसे अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, रक्षा, इंटरनेट, हवाई यातायात, रेलवे आदि।

7. लिखित संविधान (written constitution)

लिखित संविधान संघीय व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता है इसी के माध्यम से न्यायालय केंद्र और राज्य इकाई के मध्य उत्पन्न विवादों का समाधान करती है और यही संविधान केंद्र और राज्य इकाई को एक विशेष दिशा और उद्देश्यों के लिए कार्य करने के लिए अनुदेशित करती है।

 

 

 

उपरोक्त विशेषताओं से आप समझ गए होंगे कि सिद्धांत में भारत का संविधान एक पूर्ण संघीय सरकार (Features of federal system) की स्थापना नहीं करता बल्कि मजबूत केंद्र के साथ सहयोगी राज्य की कल्पना करता है। हालांकि बोम्मई मामले (1994) में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि “राज्य केंद्र की इकाई नहीं है बल्कि उसका एक स्वतंत्र अस्तित्व है नहीं राज्य केंद्र का एजेंट है”। लेकिन व्यवहार में इसका पालन नहीं होता।

इसलिए राज्यों पर सीबीआई, ईडी और एनआईए जैसी जांच एजेंसियों के छापे पड़ते है तो राज्य विरोध दर्ज करने लगते है। इसके पीछे राजनीतिक और वास्तविक दोनो कारण निहित जिसपर आए दिन बहस होती है। कई विवाद का समाधान न्यायपालिका के माध्यम से होता है?

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