“गूगल के दौर में ‘मुग़ल का चैप्टर’ हटा देने से इतिहास नहीं बदल जाता है।” यह कहना है भारत के मशहूर पत्रकार रविश कुमार का। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मुगल को इतिहास से हटाना नही चाहिए बल्कि उनकी निर्दयिता, अत्याचार, हैवानियत और बर्बरता को विस्तार पूर्वक भावी पीढ़ी को पढ़ाना चाहिए। NCERT History Chapter Removed
सब का अपना अपना पक्ष:
लेकिन मुस्लिम विरोधी और दक्षिणपंथी विचारधारा को समर्थन देने वाले लगातार यह मांग कर रहे थे कि मुगलों का पाठ्यक्रम में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। आइए समझने की कोशिश करते है। आखिर मुगलों को पाठ्यक्रम से हटाने के क्या नफे नुकसान है। हालांकि उससे पहले यह अवश्य जान ले पूरी मुगल इतिहास नही हटाया गया है बल्कि कुछ विवादित हिस्सो को NCERT की अनुशंसा पर हटाया (NCERT History Chapter Removed) गया है।
आपको बता दें कि भारत में NCERT और राज्य बोर्डों के पाठ्यक्रमों में बदलाव पहली बार नहीं हुआ है। ये बदलाव सरकार और समय बदलने के साथ साथ होते रहे है और जब भी बदलाव होते है हो हल्ला मचाया ही जाता है। बहरहाल आइए अब समझने की कोशिश करते है पाठ्यक्रम बदलने के पक्ष और विपक्ष में क्या बातें कही जा रही है?
पक्ष:
एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी का कहना है कि कोरोना काल में बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम करने के लिए कोर्स में कुछ बदलाव किए गए थे। यह कोई बड़ी बात नहीं है। ग्यारहवीं कक्षा के सिलेबस से सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स, संस्कृतियों का टकराव और औद्योगिक क्रांति जैसे चैप्टर को हटा दिया गया, बारहवीं कक्षा की नागरिक शास्त्र की किताब से ‘लोकप्रिय आंदोलनों का उदय’ और ‘एक दलीय प्रभुत्व का युग’ जैसे चैप्टर्स को हटा दिया गया। 10वीं क्लास की ‘डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स’ किताब से ‘डेमोक्रेसी एंड डायवर्सिटी’, ‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’, ‘लोकतंत्र की चुनौतियां’ जैसे चैप्टर हटा दिए गए हैं। एनसीईआरटी निदेशक ने इस पूरी बहस को गैर-जरूरी करार दिया। NCERT History Chapter Removed
पत्रकार रजत शर्मा कहते है फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, ज्योग्राफी और कॉमर्स जैसे विषयों में भी बदलाव किए गए है और आधुनिकता और नवीन जानकारियों का समावेश पाठ्यक्रमों में किया गया है। लेकिन विरोध सिर्फ इतिहास का क्यों? वे आगे कहते है “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार इस पर संजीदगी से काम किया। पूरी शिक्षा नीति बदल दी और जब शिक्षा नीति बदलती है तो कुछ पुरानी चीज़ें हटती हैं और कुछ नई चीजें जुड़ती हैं। सिलेबस में जो बदलाव हुए हैं वो अस्थायी हैं। इन्हें फिर से बदला जा सकता है।”
विपक्ष:
पत्रकार रविश कुमार इसे इतिहास बदलने की साजिश मानते हुए कहते है “गूगल के दौर में ‘मुग़ल का चैप्टर’ हटा देने से इतिहास नहीं बदल जाता है।”
वहीं असदउद्दीन ओवेशी ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा सिलेबस में बदलाव कर अपनी विचारधारा बच्चों पर थोपना चाहती है। लेकिन सच बदल नही सकते।
वही कांग्रेस पार्टी ने ट्विट कर लिखा कि
• गोडसे की सच्चाई
• RSS बैन
• गुजरात दंगे
NCERT की किताबों से इन्हें हटा दिया गया है, अब बच्चों को ये नहीं पढ़ाया जाएगा। मोदी जी, इतिहास बदला नहीं बनाया जाता है… और इतिहास आपको अडानी के काले कारनामों के लिए याद करेगा।
शिक्षाविदों ने दुख जाहिर करते हुए लिखा कि मध्यकालीन मुगल इतिहास भारतीय वास्तुकला और साहित्य के स्वर्णिम काल के रूप में जाना जाता है कक्षा 12वीं के पुस्तक से कुछ पाठ्यक्रम को हटाना दुर्भाग्यजनक है।
वही कुछ लोगों को द्वारा तंज कसते हुए लिखा गया है कि जो लोग इतिहास बदल नही सकतें इतिहास मिटाने की कोशिश करते है।
दौर सोशल मीडिया का है यहां छोटी बात बड़ी बन जाती है और सोशल मीडिया और गूगल के AI आप तक आपके पसंदीदा विचारधारा को सामने लाकर रख देता है। और विषय गंभीर और बड़ा लगने लगता है। सिर्फ विरोध के नामपर विरोध नही और विचारधार के नाम पर समर्थन नहीं किया जाना चाहिए बल्कि अपने विरोध के पीछे मजबूत तर्क रखने चाहिए।
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एनसीईआरटी के पीछे भारत सरकार खड़ी होकर पाठ्यक्रम में संशोधन कर रही है ऐसा कुछ लोगों का मानना है। मेरा मानना है सरकार इसी लिए चुनी जाती है कि वह आपके भौतिक और मानसिक विकास कर सके। यदि NDA सरकार प्रचंड बहुमत लेकर आई है तो वो आपका वैचारिक विकास किसी दूसरी पार्टी के विचारधारा अनुरूप करेगी इसकी अपेक्षा आपको नही रखनी चाहिए।
हालांकि एक आदर्श लोकतांत्रिक सरकार सभी विचारों को बराबर स्थान देती है।