15 अगस्त 1947 तक भारत की एक्सो 36 रियासतें भारतीय क्षेत्राधिकार में सम्मिलित हो चुकी थी। अपनी संप्रभुता अस्थाई भारत सरकार को सौंप दी थी। लेकिन कुछ रियासतें ऐसी भी थी जिन्होंने स्वयं को इस व्यवस्था से अलग रखा था। इन राज्यों के बारे में जानेंगे लेकिन आइए उससे पहले जान लेते हैं। रियासतों के विलय (Princely states india trick) की भूमिका के बारे में।
डोमेनियन राज्य भारत
जून 1947 को माउंटबेटन योजना तथा एटली की घोषणा में रियासतों को यह अधिकार दिया गया था कि वे भारत या पाकिस्तान किसी भी डोमिनियन में सम्मिलित हो सकती हैं। (बता दें कि अंग्रेजों ने भारत व पाकिस्तान दो डोमिनियन राज्यों को स्वतंत्र किया नक्की दो स्वतंत्र राष्ट्रों को) लॉर्ड माउंटबेटन ने रियासतों को संप्रभुता का अधिकार देने यह तीसरी शक्ति के रूप में मान्यता देने से स्पष्ट तौर पर इंकार कर दिया था। वे रियासत जो मुश्किल से भारत में जुड़े ट्रिक Trick
क्षेत्रफल के अनुसार विश्व के 7 सबसे बड़े देशों की सूची व ट्रिक
फैक्ट फाइल
क्रिप्स मिशन (1942)
वैवेल योजना (1945)
कैबिनेट मिशन (1946)
एटली की घोषणा (1947)
माउंटबेटन योजना (1947)
क्या आप जानते हैं राष्ट्रीय अस्थाई सरकार में रियासत विभाग का जिम्मा सरदार बल्लभ भाई पटेल को सौंपा गया था इन्होंने मंत्रालय के सचिव के रूप में वी.पी. मैनन को नियुक्त किया था सरदार वल्लभभाई पटेल ने साम, दाम, दंड, भेद की नीति से रियासतों को बहुत ही कम समय में भारत में विलय (Princely states india trick) के लिए विवश कर दिया। इसी मजबूत इरादे के चलते उन्हें “लौह पुरुष” की उपमा दी जाती है। 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्म जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
तीन रियासतें जो मुश्किल से भारत में शामिल होगी वह इस प्रकार है:
1. जूनागढ़:
हिंदू बहुल जूनागढ़ में मुस्लिम नवाब का शासन था हिंदुओं का पाकिस्तान में शामिल होने से इनकार देखकर नवाब ने दमनकारी नीति अपनाना प्रारंभ कर दिया। इसे देखते हुए जनमत संग्रह कराया गया जिसमें जनता ने भारी बहुमत से भारत में सम्मिलित होने के पक्ष में निर्णय दिया।
2. हैदराबाद:
हैदराबाद तत्कालीन भारत की सबसे सशक्त और आर्थिक रूप से समृद्ध रियासत थी अतः इसके निजाम ने हैदराबाद को पृथक राष्ट्र के रूप में कल्पित किया परंतु भारत के बीचो बीच स्थित पृथक राज्य भारत के लिए सामरिक दृष्टि से खतरनाक हो सकता था खासकर तब जब शासक निजाम पाकिस्तान का करीबी हो यहां की अधिसंख्य जनसंख्या भारत में विलय के लिए अपनी रुचि जाहिर कर चुकी थी जिनका नवाब ने दमन करना प्रारंभ कर दिया था।
29 नवंबर 1947 को निजाम ने भारत सरकार के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए किंतु इसके बावजूद उसकी दमनकारी नीतियां और तेज हो गई। अंततः सरदार पटेल को भारतीय सेनाएं मैदान में उतारने पड़ी 13 सितंबर 1948 को भारतीय सेना हैदराबाद रियासत के सीमा क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है। जिसके पश्चात विवश होकर 18 सितंबर को निजाम आत्मसमर्पण कर देता है। नवंबर 1949 में हैदराबाद को भारत संघ में सम्मिलित कर लिया गया। वे रियासत जो मुश्किल से भारत में जुड़े ट्रिक Trick
3. कश्मीर:
यहां मामला बहुत ही पेचीदा था जिसकी सूरज ने की संभावना कम और उलझने की संभावना दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी कश्मीर प्रशासक अपनी संप्रभुता बनाए रखना चाहता था और भारत और पाकिस्तान किसी में भी सम्मिलित नहीं होना चाहता था ज्ञात हो कि कश्मीर का राजा हिंदू था और अधिसंख्य आबादी मुस्लिम थी। कश्मीर पर्यटन, सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत ही विशिष्ट स्थान पर मौजूद था इस वजह से पूरी दुनिया की निगाहें इस समस्या पर टिक गई थी।
कश्मीर को बलपूर्वक अपने डोमिनियन में विलय करने के लिए अपनी कबाइली टुकड़ियों को कश्मीर की ओर रवाना कर दिया कबाइली तेजी से श्रीनगर की ओर बढ़ने लगे। कबाइलियों के समर्थन में पाकिस्तान ने भी अपनी सेना भेज दी। इस परिस्थिति में भारत से सहारा मांगा भारत ने मदद के लिए शर्त रखी विलय पत्र पर हस्ताक्षर की। अंत में विवश होकर कश्मीर के शासक ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत डोमेनियन में शामिल होने के लिए विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
इस प्रकार हम देखते है जूनागढ़ जनमत संग्रह से, हैदराबाद सैन्य कार्रवाई से और कश्मीर विलय पत्र के माध्यम से भारत का हिस्सा बना। इन रियासतों को “जुहक” (JuHyk) ट्रिक (वे रियासत जो मुश्किल से भारत में जुड़े ट्रिक Trick) के द्वारा आप याद रख सकते है। इस आर्टिकल से प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर प्रश्न पूछे जाते है। Princely states india trick