ब्रह्मपुत्र नदी दुनिया की 15वी सबसे लंबी नदी है। कई राज्य और केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में इससे संबंधित प्रश्न पूछे जाते है, जिसमे इसके सहायक नदियों के बारे में सबसे ज्यादा प्रश्न पूछे जाते है।
ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी को याद करने की ट्रिक
आइए जानते है इसे याद करने की सबसे आसान ट्रिक। लेकिन इससे पहले छोटी से जानकारी ले लेते है ब्रह्मपुत्र नदी के बारे में ।
ब्रह्मपुत्र नदी कहाँ से निकली?ब्रह्मपुत्र नदी की लंबाई कितनी है?
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम “कैलाश पर्वत” में चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से 5300 मीटर की ऊंचाई से होता है। इसकी लंबाई 3848 किलोमीटर है। लेकिन भारत में इसकी लंबाई महज 916 किलोमीटर है।
ब्रह्मपुत्र नदी भारत के कितने राज्यों से होकर गुजरती है?
यह भारत की दो राज्यों अरुणाचल प्रदेश और असम से होकर गुजरती है। अरुणाचल प्रदेश में जहां इसे यह एक अंतराष्ट्रीय नदी है जो चीन(तिब्बत),भारत और बांग्लादेश में प्रवाहित होने के बाद एक वृहत डेल्टा(सुंदरबन) बनाकर बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है। अरुणाचल प्रदेश में इसे सियांग या दिहांग नाम से जाना जाता है। वही असम में इसे ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है।
ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित शहर
ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित शहरों में डिब्रूगढ़, तेजपुर एंव गुवाहाटी प्रमुख हैं। प्रायः भारतीय नदियों के नाम स्त्रीलिंग में होते हैं पर ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है।
ब्रह्मपुत्र के किनारे स्थित नेशनल पार्क एवं वन्यजीव अभ्यारण्य
कई मशहूर नेशनल पार्क एवं वन्यजीव अभ्यारण्य ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है। इनमे ओरांग नेशनल पार्क,कांजीरंगा नेशनल पार्क, दिब्रु सैखोवा नेशनल पार्क का नाम शामिल है।
ब्रह्मपुत्र के द्वारा बनाए गए विश्व के सबसे बड़े नदीय द्वीप का नाम क्या है?
ब्रह्मपुत्र नदी के में ही दुनिया का सबसे बड़ा नदी द्वीप स्थित है। इसका नाम माजुली द्वीप है यह असम का एक जिला भी है जिसका मुख्यालय जोरहट है।
ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी कौन सी है?
आइए इसके सबसे प्रमुख सहायक नदियों के बारे में जानते है। घड़ी के कांटे के दिशा के विपरीत चलने पर क्रमश: कालांगी, धनसिरी,लोहित,दिबांग, दिहाँग (बूढ़ी दिहंग), सुबनसिरी,कामेंग,मानस,संकोशी, तीस्ता और रैडक।
ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी को याद करने की ट्रिक
“काला धन लो दीदी सुकामा संकोश मत करो”
- काला- कालांगी
- धन- धनसिरी
- लो- लोहित
- दी- दिबांग
- दी- दिहांग
- सु- सुबनसीरी
- का- कामेंग
- मा- मानस
- संकोष- संकोषी
- (म)त- तीस्ता
- (क)रो- रैडक
“काला धन लो दीदी सुकामा संकोश मत करो” वाक्य को आप दो से तीन बार ही बोलेंगे और आपको ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां मुंह जुबानी याद हो जाएंगी ये इतना आसान ट्रिक है कि इसे एक बार याद रख लेने पर आप इसे शायद ही कभी भूलेंगे।
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