भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत
विश्व जनसँख्या दिवस के अवसर पर यानी 11 जुलाई को यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (डब्लूपीपी) 2022 में कई चौकाने वाली बातें जाहिर की गई है. इसमें एक अध्याय भारत की जनसँख्या 2022 को लेकर भी है. भारत की जनसंख्या 2022 को लेकर इसमें यह अनुमान लगाया गया है, कि अगले ही वर्ष यानी 2023 में ही भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या को पीछे पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जायेगा.
भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत
इस रिपोर्ट पर भारत में तरह-तरह की टिप्पणियां और विमर्श का दौर जारी है. इस आर्टिकल में हम इन्ही जनसंख्या विमर्श निचोड़ जानने की कोशिश करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कई बहुचर्चित सवालों के जवाब जो रोचक के साथ-साथ बेहद जरुरी भी है. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?
2022 में भारत की जनसंख्या कितनी है ?
भारत की जनसंख्या 2022 को लेकर इतनी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि भारतीय जनगणना 2021 (population of india 2022) के आंकड़े जो कि 2021 में जारी होने वाले थे अभी तक जारी नहीं किये जा सके है. इसीलिए 2022 में भारत की जनसंख्या कितनी है? इस प्रश्न का आधिकारिक उत्तर तो 121 करोड़ ही है, जो कि भारतीय जनगणना 2011 के आंकड़ों पर आधारित है, लेकिन यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (डब्लूपीपी) 2022 के अनुसार भारत की जनसंख्या (population of india) 141 करोड़ हो गयी है. जो कि चीन की जनसंख्या 2022 से महज 1 करोड़ कम है. गौरतलब है कि इसी रिपोर्ट में चीन की जनसंख्या 142 करोड़ बताई गयी है. इस रिपोर्ट की बात को यदि सच माने तो भारत अगले ही वर्ष चीन की जनसँख्या (population of china) को पीछे कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा.
जनगणना 2021 (Census 2021)
भारतीय जनगणना इतिहास में विरले ही ऐसा हुआ है जब नियमित जनसंख्या के आंकड़ो के प्रकाशन में विलम्ब हुआ हो. लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी के चलते जनगणना 2021 (census 2021) के आंकड़े प्रकाशित नही हुए. सरकार ने स्पष्ट किया है जनगणना 2021 (census 2021) पिछली जनगणनाओं की तुलना में अलग होगा क्योंकि इसमें गणना डिजिटल तकनीको का उपयोग करके प्रकाशित किया जाएगा.
भारत की जनसंख्या को लेकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह जनगणना 2021 (census 2021) तक 135 करोड़ को पार कर चुकी होगी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कई भाषणों में सवा सौ करोड़ भारतवासी और 130 करोड़ भारतीय जैसे संबोधन जारी कर चुके है, वह भी आज से करीब पांच वर्ष पहले. इस हिसाब से अनुमान लगाया जा सकता है कि जनगणना 2021 (census 2021) के आंकड़े प्रकाशित होने तक भारत की आबादी 140 करोड़ के करीब होगी. कई लोगों द्वारा जनगणना 2021 के रद्द होने का भी दावा किया जाता है लेकिन जनगणना 2021 की के रद्द होने की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नही हुई है. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?
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भारत में मुस्लिम आबादी (muslim population in india)
भारत की जनसंख्या में मुस्लिमों की जनसंख्या राजनीतिक रूप से एक संवेदनशील मामला रहा है. दक्षिण पंथी राजनेता जहाँ इसे एक समस्या और चुनौती के रूप प्रचारित करते है वही वामपंथी और अल्पसंख्यक समर्थक दल इसे एक सामान्य रुझान मानते है. भारत में मुस्लिम आबादी या भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या (muslim population in india) को लेकर एक कोई भी विश्वसनीय आंकड़ा वर्तमान में नहीं है. लेकिन यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (डब्लूपीपी) 2022 के अनुसार इनकी संख्या भारत के कुल आबादी का लगभग 16% बताया गया है. जिसका अर्थ है 140 का 16%. संख्या के रूप में भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या (muslim population in india) 22 करोड़ के आस पास होगी? भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?
मुस्लिमों का प्रजनन दर
भारत में एक गुट यह दावा करता है कि मुस्लिम अपनी आबादी तेजी से बढ़ाकर हिन्दू बहुसंख्यको के लिए चुनौती और संसाधनों पर दबाव बढ़ाना चाहते है, जबकि आंकड़ें इस बात की पुष्टि नहीं करते. भारत में जनसंख्या स्थिरता के लिए अपेक्षित प्रजनन दर 2.1 माना गया है. वही मुस्लिमों में प्रजनन दर 2.3 होने की पुष्टि आंकड़ों द्वारा की गयी है. यह नवीनतम आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे और एन एस एस ओ द्वारा भी प्रमाणित किया गया है. यही नहीं भारत में मुस्लिम प्रजनन दर में घटता हुआ रुझान दर्ज किया गया है क्योंकि 1990 के दशक में इनके बीच प्रजनन दर 4.4 दर्ज किया गया था. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?
जनसंख्या वृद्धि के कारण
भारत में जनसंख्या वृध्दि स्वतंत्रता के बाद से ही देश की सबसे बड़ी चुनौती में से एक रहा है. ऐसा इसलिए क्योकि भारत के पास पूरी दुनिया का महज 2.4 प्रतिशत ही भू-भाग है जबकि विश्व की जनसंख्या (world population) का 18% यहाँ निवास करती है. भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारणों में पहला, अत्याधिक शिशु मृत्यु दर का होना है. 1990 के दशक तक भारत में स्वास्थ्य की स्थिति बेहद ही ख़राब थी इसलिए लोग अधिक बच्चे पैदा करते थे ताकि
जीवित बच्चों की संख्या ज्यादा बच सके परिवार में. दूसरा प्रमुख कारण सांकृतिक और आर्थिक है, कृषि संबंधी जरूरतों और परिवार की नामक संस्था के सुदृढ़ संचालन के लिए भी लोग अधिक संताने पैदा करते है, तीसरा बड़ा कारण निरोध सुविधाओं के बारे में जानकारी का अभाव है.
चौथा मुख्य कारण अशिक्षा है इस बात की पुष्टि इस आंकड़े से होती है कि भारत के जिन राज्यों में साक्षरता दर निम्न है वहां जनसंख्या प्रजनन दर भी अधिक है जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश. मुस्लिमों के बीच भी प्रजनन दर के अधिक होने का मुख्य कारण उनकी संस्कृति और साक्षरता का स्तर ही माना जाता है.
जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव
भारत में कुल विश्व का पांचवा हिस्सा निवास करता है. आसान भाषा में दुनिया का हर पांचवा आदमी भारत में रहता है. इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए संसाधन जैसे भोजन, जल, भूमि और उर्जा संसाधन जैसे बिजली, इंधन आदि पर अत्यधिक दबाव पड़ता है.
वहीं ऐसे बेतहासा जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप स्थाई रूप से निम्न गुणवता के मानव संसाधन पैदा होते है वही अशिक्षत, कुपोषित आबादी स्वास्थ्य और शिक्षा का ढांचा पर्याप्त नहीं होने का परिणाम माना जाता है. पर्यावरण पर बढ़ता दबाव मानव-प्रकृति संघर्ष में वृद्धि आदि जनसंख्या वृद्धि का ही परिणाम है. निम्न मानव विकास सूचकांक प्रदर्शन इस बात की पुष्टि करते है, जिसमे भारत का स्थान 130 से ऊपर ही रहता है.
भारत की जनसंख्या स्थिर कब होगी?
भारत की जनसंख्या 2022 में 140 करोड़ दर्ज की गयी है जिसके 2050 में स्थिर होने की सम्भावना है. संयुक्त राज्य के रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत की जनसंख्या 2050 में 166 करोड़ होगी इसके बाद से इसमें स्थिरता आयेगी और फिर जनसंख्या का में घटने के रुझान भी देखने मिल सकता है. यही नहीं 20223 के बाद से करीब दो दशकों तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश रहेगा.
भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत
भारत की जनसंख्या भारत के लिए एक ताकत
भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत को निर्धारित करते है भारत की युवा आबादी. भारत की आबादी का 65% हिस्सा युवा है जिनकी आबादी 18-35 वर्ष के बीच है. जन सांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) की स्थिति में होना कहते है. किसी देश में जन सांख्यिकीय लाभांश demographic dividend की स्थिति है इसका अर्थ है उस देश में दूसरों पर आश्रित लोगों की संख्या बहुत ही कम होती है.
अतः इन्हें अच्छा कौशल, ट्रेनिग और शिक्षा देकर इन्हें भारत की ताकत बनाया जा सकता है. दुनिया का हर पांचवा आदमी भारतीय है तो अपनी मेहनत और कौशल से जिस दिन GDP में योगदान करने लग गया उस दिन भारत प्राचीन गौरव और विश्व गुरु की पदवी प्राप्त कर लेगा. आवश्यकता है भारत के युवाओं को उद्यमी बनकर आगे की, नए स्टार्टअप में ध्यान देने की और इनके विकास के लिए पर्याप्त धन सरकार खर्च करे.
भारत की जनसंख्या भारत के लिए एक चुनौती
भारत की जनसंख्या 2022 लम्बे समय से लाभदायक कम और चुनौती का सबब ज्यादा बनी हुई है. कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद अल्पपोषित युवा मानसिक और शरीरिक रूप से तेज नहीं हो सकते ग्रामीण भारत में यही एक कारण है कि युवा अपना मनचाहा योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में नहीं कर पाते.
भारत की जनसंख्या population of india जिस तेजी से बढ़ रही है कि जरूरत को पूरा करने के लिए भारत में पर्याप्त भू-क्षेत्र नहीं है. कृषि कार्य के लिए जमीन नहीं बचा है. रहने के लिए लोगो पास घर नहीं है. गरीबी बढ़ रही क्योकि ज्यादा लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी खजाना कम है. पर्याप्त कौशल नहीं मिल प् रहा इसलिए लोग बेरोजगार है, आपराधिक गतिविधियाँ बढ़ रही है. कुल मिलाकर यह कह सकते है कि जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) डेमोग्राफिक डिजास्टर बन सकता है.
भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?
भारत की जनसंख्या वृद्धि अब उतनी बड़ी चुनौती नहीं है जितनी बड़ी चुनौती जनसंख्या में मौजूद युवा आबादी को कौशल, गुणवत्ता युक्त शिक्षा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है. इसके साथ ही भारत देश की सबसे बड़ी जनसांख्यिकीय समस्या आधी आबादी पर पर्याप्त ध्यान न देना है. भारत की कुल जनसँख्या में महिलाओं की आबादी लगभग आधा है, लेकिन सार्वजनिक जीवन उनकी भागीदारी महज 15-20% के बीच है.
श्रम बल में भागीदारी ( labour force participation) बढ़ने की बजाये घट रही है. महिलाएं सदैव ही जनसँख्या नियंत्रण (population control) के केंद्र में रही है. इसलिए जब तक जनन की शक्ति रखने वाली महिलायें जागरूक नहीं होंगी, शिक्षित नहीं होंगी तब तक जनसँख्या का सर्वोत्तम प्रबंधन किसी भी देश के लिए असंभव होगा. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?
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भारत में जनसँख्या का लाभ उठाने हेतु प्रयास
भारत में साक्षरता दर बढाने के लिए “सर्व शिक्षा अभियान” चलाया गया. “कौशल विकास योजना” से नव युवकों को बाजार की मांग के अनुरूप कौशल और प्रशिक्षण देने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की गयी है. बेटियों की शिक्षा और उनके लिंगानुपात में सुधार के लिए बेटी बचाओ “बेटी पढ़ाओ योजना” की शुरुआत की गयी है.
युवा शक्ति को व्यापार और उद्यम में लगाने के लिए स्टार्टअप योजना, स्टैंडअप इंडिया योजनाओ की शुरुआत की गयी है. नए भारत की रीढ़ नई पीढ़ी ही साबित होने वाली है इसलिए गुणवत्ता पूर्ण मानव संसाधन का निर्माण करने के लिए “नई शिक्षा नीति 2020” को जारी किया गया है. ऐसे ही कई सरकारी प्रयास किये जा रहे है, जो जन भागीदारी से ही सफल हो सकते है.
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लेख के विश्लेषण के बाद अंत में यही कहा जा सकता है कि भारत जैसे देश के लिए युवा आबादी एक अवसर अतीत के गौरव (super power status) को वापस पाने का. भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, युवा शक्ति दुनिया की दशा और दिशा निर्धारित कर सकती है, आवश्यकता है देश की समस्त नीतियाँ देश की युवाओं जिसमे विशेषकर महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाया जाए. तभी भारत अपनी जनसँख्या का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त कर सकता है. अन्यथा बढ़ती जनसँख्या कई अन्य मूलभूत समस्याओं का कारण भी बन सकती है.
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