10 साल बाद मेक इन इंडिया योजना फ्लॉप रहा या हिट?

चीन की मेड इन चाइना स्कीम को टक्कर देने, मेक इन इंडिया योजना (Make in india) भारत सरकार द्वारा 25 सितंबर 2014 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य देश में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना रहा आज जब योजना के 10 साल पूरे हो रहे है ऐसे में आइए जानते है इस योजना की मुख्य उपलब्धियां, कमियां और संभावनाएं।

किसी भी योजना का मूल्यांकन करने के लिए 10 वर्ष की अवधि पर्याप्त होती है। जानकारों की माने तो इस योजना ने 10 वर्षों में कई कमियों का शिकार रही है;

Make In India Yojana की कमियां;

1. अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: भारत में कई क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी है, जैसे सड़कों, रेल, बंदरगाहों और बिजली की आपूर्ति। यह मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापन और संचालन में बाधा उत्पन्न करता है।

2. जटिल श्रम कानून: भारत में श्रम कानून बहुत जटिल हैं और कई स्तरों पर भिन्नता होती है। इससे विदेशी और घरेलू निवेशकों को कठिनाई होती है, क्योंकि उन्हें इन कानूनों का पालन करना जटिल और महंगा (Make in india) लगता है।

3. धीमी कार्यान्वयन प्रक्रिया: कई क्षेत्रों में “मेक इन इंडिया” के तहत घोषित नीतियों का क्रियान्वयन धीमा रहा है। नीतियों और योजनाओं की गति से निवेशकों का भरोसा कम होता है।

4. वित्तीय चुनौतियां: छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को निवेश और क्रेडिट तक पहुंच में कठिनाई होती है। बैंकों द्वारा दी जाने वाली ऋण सुविधाएं और वित्तीय सहायता पर्याप्त नहीं रही है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र के विकास में रुकावट आई है।

5. तकनीकी और कौशल की कमी: भारत में उच्च तकनीकी विशेषज्ञता और कुशल श्रमिकों की कमी है। इससे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण और उत्पादन स्तर बढ़ाने में समस्या होती है।

6. अन्य एशियाई देशों से प्रतिस्पर्धा: चीन और अन्य एशियाई देशों जैसे वियतनाम और बांग्लादेश की तुलना में भारत का विनिर्माण क्षेत्र अभी भी प्रतिस्पर्धा में पीछे है, खासकर उत्पादन लागत (Make in india) और दक्षता के मामले में।

7. भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय बाधाएं: भारत में भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करना एक लंबी और कठिन प्रक्रिया है। इससे नए उद्योगों की स्थापना में विलंब होता है।

8. स्वदेशी उद्योगों पर दबाव: कई क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों के आगमन से स्वदेशी उद्योगों को प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी विकास दर धीमी हो सकती है।

इन कमियों के बावजूद, “मेक इन इंडिया” योजना (Make in india) को सफल बनाने के लिए सरकार ने विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी कई सुधारों की आवश्यकता है। हालांकि इस योजना ने महज 10 सालों में ही कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कर ली है जिसे हासिल करने में 70 से अधिक वर्ष भी गुजर गए। जैसे;

Make in india योजना की मुख्य उपलब्धियां;

1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि:

“मेक इन इंडिया” योजना के तहत विदेशी निवेशकों के लिए नीतियां उदार बनाई गईं। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई वर्ष 2020-21 में भारत ने $81.72 बिलियन का FDI आकर्षित किया, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक नया रिकॉर्ड था। यह FDI आकर्षित करने के लिहाज से शीर्ष वर्ष था। ज्ञात हो कि 2023 में FDI में गिरावट आई (Make in india) और $70.95bn डॉलर रहा।

2. रैंकिंग सुधार:

इस योजना के बाद भारत की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) रैंकिंग में सुधार हुआ। भारत 2014 में 142वें स्थान पर था, जबकि 2020 में यह 63वें स्थान पर आ गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में व्यापार करना आसान हो गया है।

3. स्वदेशी निर्माण में वृद्धि:

योजना के तहत, कई विदेशी कंपनियों ने भारत में अपने उत्पादन इकाइयां स्थापित की हैं। इससे विभिन्न क्षेत्रों में जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और रक्षा उपकरण निर्माण में वृद्धि देखी गई है।

उदाहरण के लिए, स्मार्टफोन निर्माण में भारत एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जहां Apple और Samsung जैसी कंपनियों ने अपनी उत्पादन इकाइयाँ स्थापित की हैं।

4. रोजगार सृजन:

मेक इन इंडिया योजना के अंतर्गत उद्योगों के विस्तार से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में वृद्धि से करोड़ों लोगों को रोजगार मिला है।

5. उद्योगों का विकास:

विभिन्न क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा, फार्मास्युटिकल्स, कपड़ा, और खाद्य प्रसंस्करण में निवेश और उत्पादन में वृद्धि हुई है।

ऑटोमोबाइल उद्योग में भारत अब दुनिया के प्रमुख निर्यातकों में से एक है। कई विदेशी और घरेलू कंपनियों ने उत्पादन और असेंबली इकाइयां स्थापित की हैं।

6. विनिर्माण और निर्यात में वृद्धि:

“मेक इन इंडिया” (Make in india) के तहत, भारत के विभिन्न उद्योगों ने अपने उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है। इसके परिणामस्वरूप, देश के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है, विशेष रूप से विनिर्माण वस्त्रों, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्युटिकल उत्पादों के क्षेत्र में।

7. इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार:

योजना के तहत सरकार ने उद्योगों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान दिया है। कई औद्योगिक गलियारे और स्मार्ट सिटी परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनसे देश में उद्योगों के विस्तार को समर्थन मिला है।

8. मध्यम और लघु उद्योगों (MSME) का विकास:

मेक इन इंडिया के तहत, छोटे और मध्यम उद्योगों को भी समर्थन मिला है। सरकार ने इन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है, जिससे उनका उत्पादन और निर्यात बढ़ा है।

9. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता:

रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से “मेक इन इंडिया” (Make in india) के तहत रक्षा उत्पादन में बड़े सुधार किए गए। भारत अब कई रक्षा उपकरण और हथियार प्रणाली स्वदेशी रूप से विकसित कर रहा है और उनका निर्यात भी कर रहा है।

10. नवाचार और स्टार्टअप्स का प्रोत्साहन:

“मेक इन इंडिया” ने देश में स्टार्टअप संस्कृति को भी बढ़ावा दिया है। नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन देकर देश में नए उत्पादों और सेवाओं के विकास को प्रेरित किया गया है।

“मेक इन इंडिया” योजना ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत किया है, विदेशी निवेश आकर्षित किया है, और देश को एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हालांकि अभी भी कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन योजना की उपलब्धियों ने भारत की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

Make in india की संभावनाएं;

लेकिन मेक इन इंडिया योजना (Make in india) की भविष्य की संभावनाएं काफी व्यापक और आशाजनक हैं। यह योजना भारत को एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने और देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने की दिशा में काम कर रही है। निम्नलिखित संभावनाएं “मेक इन इंडिया” योजना के तहत दिखाई देती हैं:

1. वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरना:

चीन में बढ़ती उत्पादन लागत और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्गठन के कारण, कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। “मेक इन इंडिया” के तहत भारत को एक मजबूत विनिर्माण विकल्प के रूप में स्थापित करने की क्षमता है।

भारत की जनसंख्या और सस्ते श्रम की उपलब्धता इसे मैन्युफैक्चरिंग का आदर्श गंतव्य बनाती है। इसका लाभ उठाकर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में अपना दबदबा बना सकता है।

2. आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) से तालमेल:

“मेक इन इंडिया” (Make in india) और “आत्मनिर्भर भारत” पहल आपस में जुड़े हुए हैं। आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते हुए, भारत अपने उत्पादों के निर्माण में वृद्धि कर सकता है और आयात पर निर्भरता कम कर सकता है।

इससे देश में रोजगार सृजन, तकनीकी उन्नति और आर्थिक स्थिरता को और बढ़ावा मिलेगा।

3. तकनीकी नवाचार और डिजिटलीकरण:

भारत के पास तकनीकी क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं। मेक इन इंडिया के अंतर्गत डिजिटलीकरण और उन्नत तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), और 5G टेक्नोलॉजी का उपयोग करके भारत अपने विनिर्माण क्षेत्र को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धात्मक बना सकता है।

इससे न केवल उत्पादन लागत में कमी आएगी, बल्कि वैश्विक बाजारों में भारत के उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी।

4. रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता:

भारत का लक्ष्य रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है। “मेक इन इंडिया” योजना (Make in india) के तहत, भारत रक्षा उपकरणों और हथियारों का स्वदेशी उत्पादन करने में सक्षम हो रहा है।

भविष्य में, भारत रक्षा उत्पादों का निर्यातक बन सकता है, जिससे न केवल आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी, बल्कि विदेशी मुद्रा अर्जित करने के भी अवसर बढ़ेंगे।

5. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास:

औद्योगिक गलियारे (Industrial Corridors) और स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के माध्यम से बुनियादी ढांचे के विकास को गति दी जा रही है। इससे विनिर्माण के लिए बेहतर परिवहन, ऊर्जा, और कनेक्टिविटी सुविधा मिलेगी, जो निवेशकों को आकर्षित करेगा।

आने वाले वर्षों में, बुनियादी ढांचे में निवेश से उद्योगों की दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि होगी।

6. रोजगार सृजन:

“मेक इन इंडिया” के तहत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और उद्योगों की स्थापना से रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी। इससे न केवल देश में बेरोजगारी कम होगी, बल्कि लाखों युवाओं को कुशलता के अनुसार रोजगार मिल सकेगा।

7. निर्यात क्षमता में वृद्धि:

“मेक इन इंडिया” (Make in india) से भारत की निर्यात क्षमता में वृद्धि की संभावनाएं हैं। स्वदेशी विनिर्माण से उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन होगा, जो वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक होंगे। इससे भारत के निर्यात में वृद्धि होगी और विदेशी मुद्रा भंडार में भी इजाफा होगा।

8. MSME और स्टार्टअप्स के लिए अवसर:

लघु और मध्यम उद्योग (MSME) और स्टार्टअप्स के लिए यह योजना नए अवसर प्रदान करती है। इन उद्योगों के विकास से न केवल आर्थिक विकास होगा, बल्कि नए विचारों और नवाचारों को भी बढ़ावा मिलेगा।

भविष्य में, स्टार्टअप्स और MSMEs भारत की आर्थिक धारा में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन सकते हैं।

9. उद्योगों का विविधीकरण:

“मेक इन इंडिया” योजना (Make in india) के तहत विभिन्न क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, और खाद्य प्रसंस्करण में काफी संभावनाएं हैं। इसका उद्देश्य उद्योगों का विविधीकरण करना है ताकि भारत केवल एक या दो क्षेत्रों पर निर्भर न रहे, बल्कि हर क्षेत्र में एक मजबूत स्थिति बना सके।

10. हरित (ग्रीन) विनिर्माण की संभावनाएं:

पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ, भारत में हरित विनिर्माण (Green Manufacturing) की संभावनाएं बढ़ रही हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके उद्योग अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम कर सकते हैं और भारत को एक स्थायी उत्पादन केंद्र बना सकते हैं।

“मेक इन इंडिया” योजना (Make in india) के तहत भविष्य में भारत के विनिर्माण क्षेत्र को व्यापक विकास के अवसर प्राप्त हो सकते हैं। तकनीकी नवाचार, आत्मनिर्भरता, बुनियादी ढांचे में सुधार, और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ, यह योजना न केवल देश के आर्थिक विकास में मददगार होगी बल्कि भारत को एक वैश्विक “मैन्युफैक्चरिंग हब” के रूप में स्थापित करने में भी सहायक सिद्ध हो सकती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या और समाधान

Please Share this

Related Posts

Paytm Crisis: क्या बंद हो जायेगा पेटीएम? Paytm Vs RBI

8 नवंबर 2021 को भारत के कॉरपोरेट हिस्ट्री में सबसे बड़ा IPO फंड जुटाने वाली Paytm और स्टार्टअप्स के पोस्टर ब्वॉय कहे जाने वाले विजय शंकर शर्मा…

भारतीय बजट की कुछ हैरान कर देने वाले फैक्ट्स

बजट किसी भी देश के धन का आय और व्यय का ब्यौरा होता है जिसे सरकार द्वारा एक साल के लिए जारी किया जाता है।भारत (India budget…

भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या और समाधान

भारत समेत दुनिया भर की छोटी बड़ी सभी अर्थव्यवस्था आज संकट के दौर से गुजर रही है। इसमें से कुछ संकट परंपरागत है तो कुछ नए प्रकार…

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट क्या है? कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉड!

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट क्या है? कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉड! What is Hindenburg Report? इंटरनेशनल बिजनेस और फाइनेंस पर रिपोर्ट जारी करने वाले एक कंपनी के रिपोर्ट…

5G launch in india: भारत में 5G सेवाएं प्रारंभ क्या है मुख्य चुनौती?

भारत में 5G सेवाएं प्रारंभ: जाने क्या है मुख्य चुनौती?

भारत के लिए 1 अक्टूबर का दिन बेहद ही खास इसलिए हो गया क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 5G इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत…

Rakesh jhunjhunvala : नहीं रहे भारत के वारेन बफेट

Rakesh jhunjhunvala : नहीं रहे भारत के वारेन बफेट शेयर बाजार और ट्रैडिंग करने को जानने वालों के लिए 14 अगस्त की सुबह एक बुरी खबर लेकर…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *