पंचप्रयाग: याद रखने की आसान ट्रिक

भारत के पंच  प्रयागों के बारे में अपने कई बार सुना होगा. भारत के भौगोलिक, धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक महत्व पूर्ण है. इसीलिये किसी न किसी सन्दर्भ को लिए यह सालभर चर्चा में बना रहता है. पंचप्रयाग क्या है, इसमें किन-किन नदियों का संगम शामिल है. और कहाँ पर ये एक दुसरे से मिलती है? पंच प्रयागों (Panch Prayag ) को  याद रखने की आसान ट्रिक क्या है आइये जानते है. Panchprayag yad rakhne trick

पंचप्रयाग:  याद रखने की आसान ट्रिक

 

पंचप्रयाग (Panch Prayag )  पांच नदियों का संगम नही है बल्कि पांच संगमो का नाम है. ये पांच नदी संगम अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नदियों के जल के मिलने पर बनता है. कई कारणों से ये चर्चा में बने रहते है. इसीलिये कई परीक्षाओ में यहाँ से प्रश्न पूछे जाते है.

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प्रयाग का अर्थ ? Meaning of Prayag

 

प्रयाग का अर्थ मिलन स्थल होता है, पौराणिक हिन्दू मान्यता के अनुसार प्रयाग ऐसा स्थल है जहाँ उत्तर भारत की तीन सबसे पवित्र नदियां आकर मिलती है, इन नदियों में गंगा, यमुना और सरस्वती को गिना जाता था. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसीआधार पर इलाहाबाद (Allahabad) का नाम बदलकर प्रयागराज (Prayagraj) कर दिया. हालांकि प्रयागराज में वर्तमान में केवल गंगा और यमुना नदी ही आकर मिलती है. जबकि ऐसी मान्यता है कि पौराणिक नदी सरस्वती भूमिगत होकर प्रयागराज में मिलती है. Panchprayag yad rakhne trick

 

उत्तरखण्ड के प्रयाग; पंचप्रयाग कहाँ है?

 

पंचप्रयाग उत्तरी भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है, उत्तराखंड में ऋषिकेश से उत्तरकाशी की ओर जाते हुए मध्य और वृहत हिमालय को काटते हुए जो नदियाँ निकलती है उन्ही से पांच प्रयागों (Panch Prayag ) का निर्माण होता है. समग्र भारत के भूगोल में देखें तो ये उत्तरी हिमालय पर्वतों के बीच पड़ता है. Panchprayag yad rakhne  trick

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पंचप्रयाग (Panch Prayag )

 

नदी की बहाव की दिशा में ऊपर से नीचे अथवा उत्तर से दक्षिण की ओर विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग को संयुक्त रूप से पंचप्रयाग के रूप में जाना जाता है.  पंचप्रयागों के बारे में ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहाँ स्नान मात्र से मानसिक शांति और आत्मिक शुद्धि की प्राप्ति होती है. इसी लिए पंचप्रयागों का धार्मिक (Religious) और अध्यात्मिक (Spiritual) महत्व है.

 

पंचप्रयाग का निर्माण करने वाली नदियां

 

मूल नदी अलखनंदा या अलकनंदा के ऊपर से नीचे की ओर जाने पर धौलीगंगा, नंदाकिनी,  पिंडर,  मंदाकिनी और भागीरथी मिलते हुए क्रमशः  विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग का निर्माण करती है. अलकनंदा और धौलीगंगा के मिलने से विष्णु प्रयाग का निर्माण होता है. अलकनंदा और नंदाकिनी नदी के  मिलने से नंदप्रयाग का निर्माण होता है. अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम पर कर्णप्रयाग का निर्माण होता है और अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के संगम पर रुद्राप्राग का निर्माण होता है. भागीरथी और अलकनंदा के संगम पर देवप्रयाग का निर्माण होता है. इन नदियों के अलकनंदा नदी में मिलने के क्रम को याद रखने के लिए आप एक बेहद ही आसान ट्रिक को याद रख सकते है.

DN PMB

असल में ये कोई ट्रिक नहीं बल्कि सभी नदियों के अंगरेजी के प्रारम्भिक अक्षरों को मिलकर बनाया गया है. “DN PMB”  यह बाजार में मिलने वाले किसी रसायनिक खाद के फोर्मुले के समान प्रतीत होता है. इसे याद रखकर आप इस टॉपिक से पूछे गए किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए सक्षम हो जायेंगे.

 

पंचप्रयाग:  याद रखने की आसान ट्रिक

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“विनकरु देव” पड़ने और सुनने में किसी पौराणिक हिन्दू देवता के नाम के समान प्रतीत हो रहा है, जिसे विस्तार करने पर आप पंचप्रयागों का नाम देख पाएंगे,  ये ट्रिक ऊपर से नीचे अथवा उत्तर से दक्षिण की ओर जाने पर आपको क्रमवार प्राप्त होगा. पंचप्रयाग:  याद रखने की आसान ट्रिक

 

“विनकरु देव”

 

वि –  विष्णुप्रयाग

न  –  नंदप्रयाग

क़  – कर्णप्रयाग

रू  – रुद्रप्रयाग

देव –  देवप्रयाग

पंचप्रयाग, विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग,

 

पंचप्रयागों  का महत्व (Importance of Panch Prayag)

 

सांस्कृतिक महत्व (Cultural Importance)

भारतीय पौराणिक ग्रंथो में ऐसी मान्यता है कि इन प्रयागों के दर्शन और स्नान से मानसिक और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है. इसीलिए यहाँ पूरे देश से लोग दर्शन करने आते है. उत्तराखंड की पर्यटन के दृष्टिकोण से ये प्रयाग बेहद ही महत्वपूर्ण स्थल है. देश ही नहीं पूरे दुनिया से श्रद्धालु यहाँ आस्था के समंदर डुबकी लगाने आते है. पंचप्रयाग: याद रखने की आसान ट्रिक

 

भौगिलिक महत्व (Geographical Importance)

ये नदियां महत्वपूर्ण ग्लाशियारों के से निकलती है, तथा तेज ढलानों वाली है जिसमे बाढ़ और प्राकृतिक त्रासदियों की संभावना बहुत अधिक बनी रहती है. पर्यटन की दृष्टिकोण से महत्व रखने वाले ये स्थल विशाल मानवीय आपदा का कारण बन जाते है इसीलिए इनका नियमित निगरानी करना मानचित्रण करना अत्यधिक आवश्यक होता है. इन नदियों में प्रवाहित जल इनसे संबंधित ग्लेशियरों के स्वास्थ्य का द्योतक है.

 

आर्थिक महत्त्व (Economic Importance)

इन प्रयागों से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलता है, पनबिजली परियोजनाओं (Hydropower Project) के लिए जल और कई प्राथमिक कार्यों में उपयोग के द्वारा यह क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है.

 

तो ये थी पंच प्रयागों (Panch Prayag) के बारे में समग्र जानकारी जो बेहद ही कम से कम शब्दों में बताने का प्रयास किया गया. इसमें  पंचप्रयाग:  याद रखने की आसान ट्रिक एक नवाचारी तरीका उपलब्ध कराता है कि किस प्रकार कठिन और जटिल नामों की सूची को आसान ट्रिक द्वारा याद किया जा सकता है. अगर यह आर्टिकल आपको उपयोगी लगा हो तो हमें comment box में जरुर लिखे.

 

 

 

 

 

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