किताबो में अक्सर आपने पढ़ा होगा कि भारत राष्ट्र का प्रमुख राष्ट्रपति (President) होता है, फिर क्यों लालकिले से भाषण प्रधानमंत्री ही देता है? देश के तीनो सेना का सर्वोच्च सेनापति राष्ट्रपति को कहा जाता है, फिर क्यों सर्जिकल स्ट्राइक या परमाणु विष्फोट भारत का प्रधानमंत्री ही करवाता है? क्या भारतीय प्रधानमत्री भारत का कोई भाग दुसरे देश बेच को सकता है? क्या भारतीय प्रधानमंत्री के पास इतनी भी ताकत होती है कि वह अम्बानी और टाटा से उनकी पूरी संपत्ति छीन ले? क्या भारत का प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट को बंद करवा सकता है? क्या भारतीय प्रधानमंत्री चाहे तो रूस के ब्लादिमीर पुतीन और चाइना के शी जिनपिंग की तरह मनचाहे समय तक देश का प्रधानमंत्री (prime Minister) बनकर रह सकते है? कैसे भारत के प्रधानमंत्री नार्थ कोरिया (North Korea) के तानाशाह से भी ज्यादा खतरनाक तानाशाह बन सकते है?
भारत के प्रधानमंत्री की शक्ति (power) से संबंधित ऐसी ही अनोखी बाते जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें।
किताबो में भारत का राष्ट्र प्रमुख राष्ट्रपति को ही कहा जाता है, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 52 स्पष्ट शब्दों में ये कहता है कि “भारत राज्य का प्रमुख राष्ट्रपति होगा” लेकिन भारतीय संविधान का आर्टिकल 74 (1) साफ-साफ ये कहता है कि “राष्ट्रपति को कोई भी काम अपनी मर्जी से नहीं बल्कि मंत्रियो के एक समूह के सलाह पर करेगा जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होगा” यही एक मात्र आर्टिकल है जो प्रधानमत्री को देश का सर्वोच्च और सबसे शक्तिशाली नेता ( Most Powerfull) बनाने के लिए काफी है। इसी लिए कोई भी निर्णय राष्ट्रपति अपने मर्जी से नहीं ले सकते।
1971 में इंदिरा गांधी ने पकिस्तान से युध्द का फैसला किया और भारतीय सैनिको ने इंदिरा गांधी के कहने पर ही धुल चटा दिया था। न कि तात्कालीन प्रेसिडेंट वी.वी. गिरी (V.V. Giri) के कहने पर। हाल ही में पकिस्तान पर किया गया सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आदेश पर हुआ ना कि प्रेसिडेंट प्रणव मुख़र्जी के कहने पर।
इसे भी पढ़े: भारत में कोयला संकट : कारण, प्रभाव और समाधान
ध्यान देने वाली बात है कि है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रपति को यह पॉवर इसलिए नहीं दिया गया है क्योंकि वह सीधे जनता द्वारा नहीं चुना जाता। जबकि प्रधानमंत्री का चुनाव सीधे जनता द्वारा होता है और लोकतंत्र में सर्वोच्च जनता और जनता द्वारा चुना गया व्यक्ति ही होता है। इसी लिए वह प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से देश की जनता को संबोधित करता है।
इतने बड़े नेता की सुरक्षा की जिम्मेदारी के लिए संसद ने 1988 में SPG यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का निर्माण किया, इसलिए प्रधानमंत्री को 24 घंटे चाकचौबंध सुरक्षा में SPG कमांडो तैनात रहते है. इनकी निगरानी में परिंदा भी पर नहीं मार सकता। प्रधानमन्त्री की सुरक्षा कौन करता है? प्रधानमंत्री की सुरक्षा के पांच घेरे होते है। जैसे सबसे पहला घेरा SPG कमांडो का, दूसरा घेरा पर्सनल सिक्यूरिटी गार्ड्स का, तीसरा घेरा NSG के जवानों का, चौथा घेरा पैरामिलिट्री फ़ोर्स का जबकि पांचवा राज्य पुलिस बल का।
इनके सुरक्षा में 3,000 एसपीजी के जवान लगे होते है और आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की प्रधानमंत्री सुरक्षा में एक दिन में 1 करोड़ 70 लाख रूपये खर्च होते है। इनकी भारी भरकम सिक्यूरिटी लश्कर को देखकर आपको प्राइम मिनिस्टर की पॉवर का अंदाजा हो ही गया होगा।
भारत के प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर जैसी शक्तिया रखते है। भारतीय शासन प्रणाली में प्रधानमंत्री एक सूरज के समान ही है जिसके आसपास ग्रह रुपी मंत्रीगण घुमते रहते है। किन्हें कौन सा मंत्री बनाना है और कब अपने मर्जी से किसे इस्तीफा मांगना है सब प्रधानमत्री ही तय करते है, इसीलिये सभी मंत्रीगन प्रधानमंत्री को खुश करने की कोशिश में लगे रहते हैै, किसी भी मंत्री की पर सरकार नहीं बिखरती लेकिन अगर प्रधानमंत्री की मौत हो जाए तो पूरा मंत्रीमंडल भंग हो जाता है।
भारतीय संविधान की तारीफ पूरी पूरी दुनिया में होती है, लेकिन इसमें एक ऐसा प्रावधान है भी जो आपके गले नहीं उतरेगा, यह प्रावधान अनुच्छेद 123 में किया गया हैै। इसके अनुसार संसद के सत्र में न होने पर राष्ट्रपति बिना संसद के स्वीकृति के ही क़ानून बना सकता है, पूरे सविधान में यही एक ऐसा विवादित कानून है जो भारतीय प्रधानमंत्री को कुछ भी नियम लेके आने की अनुमति दे देता है, इस नियम का दुरुपयोग ज्यादातर प्रधानमंत्रियो ने अपनी पॉवर बढाने के लिए किया है, जैसे 1975 इमरजेंसी के समय लाये गए कई क़ानून और 2014 में लाया गया भूमी अधिग्रहण क़ानून (Land Aquision Act)।
कई संविधान विशेषज्ञ ये मानते है कि आर्टिकल 123 का उपयोग करके भारतीय प्रधानमंत्री उत्तरी कोरिया के तानाशाह जैसे तानाशाही भी कर सकता है। इसी आर्टिकल का उपयोग करके भारतीय प्रधानमंत्री रूस और चीन की नेताओ की तरह अपना कार्यकाल बढाने का क़ानून भी ला सकता है। भले ही बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट खारिज कर दे।
इसके अलावा एक और प्रावधान है जो भारतीय प्रधानमंत्री को जीता जागता तानाशाह बना देता है, ये है इमरजेंसी से सम्बंधित आर्टिकल, अनुच्छेद 352 का उपयोग करके ही इंदिरा गांधी ने अपना विरोध कर रहे सभी नेताओ को जेल में डाल दिया था। इंदिरा गांधी ने कोर्ट, मीडिया और NGO सभी पर लगाम लगा लिया थाा। इस प्रावधान में बाद में कई सुधार कर दिया गया है, लेकिन आज भी आर्टिकल 352 के कई सारे प्रावधान भारतीय प्रधानमंत्री को तानाशाह बनने का अवसर जरुर देता है।
भारतीय प्रधानमंत्री परमाणु कमांड (Nuclear Command) का हेड होता है, यानी किसी दुश्मन देश पर परमाणु हमला करना हो या परमाणु हथियार का परीक्षण सब प्रधानमंत्री ही करता है, इसी शक्ति का उपयोग करते हुए इंदिरा गांधी ने 1974 में और अटल बिहारी वाजपेयी ने महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मिलकर 1999 में परमाणु विष्फोट किया, देश के किसी भी जगह पर परमाणु उर्जा संयंत्र (Nuclear Power Plant) लगना हो या किसी भी देश कोई परमाणु समझौता, इसकी शक्ति प्रधानमंत्री के पास ही होता है।
देश में बनने वाला कोई भी मेगा प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री की अनुमति के बिना नहीं बनता, वह चाहे देश में बनने वाला सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) हो चाहे बड़ा बड़ा डैम। हर एक फाइल को प्रधानमंत्री के Table से गुजरना ही पड़ता है।
भारत के पैसो के खर्च पर वैसे संसद का कण्ट्रोल होता है लेकिन आप ये शायद नहीं जानते कि CRF (Contingency Reserve Fund) से कभी भी कितना भी खर्च करने का अधिकार प्रधानमंत्री के पास होता है, इसके अलावा किसी भी भीषण आपदा जैसे बाढ़, भूकंप और सूखे में प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष से खर्च करने पर भी कोई रोक नहीं हैै। इसके अलावा देश की सरकारी संपत्ति को बेचने अधिकार भी प्रधानमंत्री के पास ही होता है, जैसे PSU, इंडियन रेलवेज और इंडियन एयरलाइन. तकनीकी भाषा में इसे विनिवेश कहा जाता है। इसके अलावा वे चाहे तो देश की बड़ी कंपनियों और बैंको का रातों रात राष्ट्रीकरण भी कर सकते है, चाहे वह कंपनी अंबानी की हो या टाटा की।
भारतीय शासन की फेडेरल यानी संघीय प्रणाली में प्रधानमत्री राज्यपालों के माध्यम से राज्यों पर सीधा ही अपना कण्ट्रोल रखता है, इसका मतलब ये हुआ कि कोई भी राज्य ऐसा काम नहीं कर सकता जो प्रधानमंत्री के अनुकूल ना हो। राज्यपाल को नियुक्त यानी (Appointment) करना हो चाहे किसी भी पल उन्हें बर्खास्त कर देना सब प्रधानमत्री हाथ में होता हैै।
राज्यपाल के अलावा केंद्रीय स्तर के सभी आला अधिकारी जैसे CAG (Comptroller and Auditor General), CBI (सेंट्रल ब्यूरो आफ़ इन्वेस्टीगेशन) प्रमुख, केंद्रीय सूचना आयुक्त (CIC), केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC), लोकपाल (lokpal), और जजों की नियुक्ति में प्रधानमंत्री की ही मुख्य भूमिका होती हैै।
प्रधानमंत्री के पास कितना ताकत होता है? इसका अंदाजा तो आपको वर्तमान भारत के 15वें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लिए गए कड़े फैसलों से पता चल ही गया होगा। प्रधानमंत्री चाहे तो पूरी देश की करेंसी को एक आदेश से ही रद्दी बना सकता है, जैसे नोट बंदी के दौरान किया गया था। प्रधानमंत्री के एक आदेश से पूरे देश में लॉकडाउन (Lockdown) लग सकता है, यानी पूरे देश में तालाबंदी और अगर प्रधानमंत्री चाहे तो रातों रात नया टैक्स सिस्टम भी ला सकते है, जैसे GST।
भारतीय प्रधानमंत्री भारतीय सत्ता का केंद्र होता है, उसका एक एक फैसला देश को बदलने की हिम्मत रखता है, हालाकि सुप्रीम कोर्ट और संसद दो सबसे कारगर यन्त्र है जो प्रधानमंत्री को तानाशाह नहीं होने देंगेे। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा अपने सुझाव हमें कमेंट में जरुर लिखें