Economy Articles Archives - NITIN BHARAT https://nitinbharat.com/category/economy-articles/ India's Fastest Growing Educational Website Sat, 10 Feb 2024 11:09:40 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5 210562443 Paytm Crisis: क्या बंद हो जायेगा पेटीएम? Paytm Vs RBI https://nitinbharat.com/paytm-crisis-why-rbi-ban-paytm/ https://nitinbharat.com/paytm-crisis-why-rbi-ban-paytm/#respond Sat, 10 Feb 2024 10:50:53 +0000 https://nitinbharat.com/?p=748 8 नवंबर 2021 को भारत के कॉरपोरेट हिस्ट्री में सबसे बड़ा IPO फंड जुटाने वाली Paytm और स्टार्टअप्स के पोस्टर ब्वॉय कहे जाने वाले विजय शंकर शर्मा...

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8 नवंबर 2021 को भारत के कॉरपोरेट हिस्ट्री में सबसे बड़ा IPO फंड जुटाने वाली Paytm और स्टार्टअप्स के पोस्टर ब्वॉय कहे जाने वाले विजय शंकर शर्मा दोनो ही संकट में है। महज एक हफ्ते में पेटीएम (RBI Paytm Ban) के शेयर धड़ाम से गिरकर 50% पर आ गए है। पेटीएम यूजर सक्ते में है आखिर उनके रुपए का क्या होगा? क्या पेटीएम बंद हो जायेगा? क्या है पेटीएम क्राइसिस और आखिर क्यों RBI को चलाना पड़ा पेटीएम पर हथौड़ा जानने के लिए पूरा जरूर पढ़ें।

CNBC न्यूज के अनुसार 35 करोड़ पेटीएम वॉलेट में से 31 करोड़ paytm वॉलेट inoperative है।

एक ही PAN Card को 100 से लेकर 1000 account से लिंक किया गया है।

KYC के बेसिक Norms और प्रोसीजर को भी फॉलो नहीं किया गया है।

KYC Anti Money laundering Rule का भी वॉयलेशन हुआ है।

और तो और खबर ये भी है कि गलती होने के बाद भरे जाने वाले कंप्लायंस रिपोर्ट झूठ लिखा है।

यहां यह भी जानना जरूरी है कि यह एक्सन कोई एक रात की बात नहीं है बल्कि 2017 से ही Paytm पर वॉयलेशन, डाटा ब्रीच, रिस्क ऑफ फ्रॉड, लेक ऑफ ट्रांसपेरेंसी जैसे आरोप लगते रहे है। (RBI Paytm Ban)

आपके paytm वॉलेट और पेमेंट बैंक पर पड़े रुपयों क्या होगा? ये जानने से पहले आइए जानते है

आखिर पेमेंट बैंक और साधारण बैंक में क्या बेसिक फर्क है?

पेमेंट बैंक और कमर्शियल बैंक में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कमर्शियल बैंक; लोगों से कितनी भी राशि को जमा के रूप में स्वीकार कर सकते हैं लेकिन पेमेंट बैंक एक ग्राहक से अधिकतम 1 लाख रुपए तक का जमा स्वीकार कर सकते हैं.

पेमेंट बैंक, बैंक ATM कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट-बैंकिंग और मोबाइल-बैंकिंग जैसी सेवाएं प्रदान करते हैं जबकि क्रेडिट कार्ड जारी नही कर सकते।

पेमेंट बैंक, लोगों को ऋण या उधार नहीं दे सकते हैं ।

क्या आप जानते है? भारत में बैंकिंग प्रणाली की शुरुआत 1786 में बैंक ऑफ कलकत्ता की स्थापना के साथ मानी जाती है।

जबकि पेमेंट बैंक की शुरुआत 2017 में रिज़र्व बैंक द्वारा 11 कंपनियों को पेमेंट बैंक खोलने की अनुमति देने के साथ हुई है. इनका रेगुलेशन आरबीआई ही करता है। (RBI Paytm Ban)

क्या आप जानते है? वर्तमान में केवल 7 पेमेंट बैंक काम कर रहे हैं। यदि पेटीएम का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है तो ये 6 ही रह जायेंगी।

आइए एक नजर डालते है पेटीएम के खिलाफ RBI के आदेश की खास बातों पर:

29 फरवरी के बाद पेटीएम पेमेंट बैंक के अकाउंट में पैसा जमा नहीं किया जा सकेगा। इस बैंक के जरिए वॉलेट, प्रीपेड सर्विसेज, फास्टैग और दूसरी सर्विसेज में पैसा नहीं डाला जा सकेगा। हालांकि इंटरेस्ट, कैशबैक और रिफंड कभी भी अकाउंट में क्रेडिट हो सकेगा। (RBI Paytm Ban)

इस बैंक के ग्राहकों के सेविंग अकाउंट, करंट अकाउंट, प्रीपेड उपकरण, फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड आदि में मौजूद पैसों के विड्रॉल या उपयोग पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। बैलेंस अवेलेबल होने तक इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

दूसरे नंबर के पॉइंट में बताई गई सर्विसेज के अलावा 29 फरवरी 2024 के बाद कोई भी बैंकिंग सर्विस प्रोवाइड करने की अनुमति पेटीएम पेमेंट बैंक (RBI Paytm Ban) के पास नहीं होगी। UPI सुविधा भी 29 फरवरी के बाद नहीं दी जा सकेगी।

वन97 कम्युनिकेशंस और पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज के नोडल अकाउंट 29 फरवरी 2024 तक बंद होंगे। पाइपलाइन में मौजूद ट्रांजैक्शन और नोडल अकाउंट का सेटलमेंट 15 मार्च 2024 तक पूरा किया जाएगा। उसके बाद कोई और ट्रांजैक्शन की अनुमति नहीं होगी।

आइए अब जानते है आपके सेविंग अकाउंट, वॉलेट, फास्टैग और NCMC अकाउंट का क्या होगा?

फाइनेंशियल एक्सपर्ट: सेविंग अकाउंट, करंट अकाउंट, प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट, फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड आदि में मौजूद पैसों के विड्रॉल या उपयोग पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। बैलेंस अवेलेबल होने तक इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा। (RBI Paytm Ban)

क्या पेटीएम म्यूचुअल फंड और पेटीएम मनी स्टॉक अकाउंट सुरक्षित हैं?

फाइनेंशियल एक्सपर्ट: पेटीएम अपनी स्टॉक ब्रोकिंग और म्यूचुअल फंड सर्विसेज पेटीएम मनी के जरिए देता है। पेटीएम मनी एक सेबी रजिस्टर्ड स्टॉक ब्रोकर और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट है। इसलिए सर्विसेज पूरी तरह से प्रभावित नहीं होंगी। अगर आप पैसों के क्रेडिट और डेबिट के लिए पेटीएम पेमेंट बैंक (RBI Paytm Ban) के अकाउंट का इस्तेमाल करते हैं तो फिर आपकी सर्विसेज प्रभावित होंगी।

आपको बता दें RBI ने जो रोक लगाई है वो पेटीएम पेमेंट बैंक (RBI Paytm Ban) पर लगाई है। पेटीएम अपनी कई सारी सर्विस इस बैंक के जरिए ही देता है। ऐसे में जो सर्विसेज पेटीएम पेमेंट्स बैंक के जरिए मिलती है वो 29 फरवरी 2024 के बाद बंद हो जाएंगी, जबकि अन्य सर्विसेज पहले की तरह चलती रहेंगी।

पेटीएम अपनी UPI सर्विस पेटीएम पेमेंट बैंक के जरिए ही देता है। इसलिए दूसरे बैंकों के साथ टाई-अप नहीं होने की स्थिति में 29 फरवरी के बाद UPI सर्विस भी बंद हो जाएगी। पेटीएम ने बताया है कि उसकी NPCI और RBI दोनों के साथ इसे लेकर चर्चा चल रही है।

Expert बताते है HDFC और Jio Financial Services ने पेटीएम को खरीदने की कवायद भी तेज कर दी है।

इस बीच सरकार और RBI यह लगातार प्रयास कर रही है कि ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रहे।

भारतीय बजट की कुछ हैरान कर देने वाले फैक्ट्स

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भारतीय बजट की कुछ हैरान कर देने वाले फैक्ट्स https://nitinbharat.com/interesting-facts-about-indian-budget/ https://nitinbharat.com/interesting-facts-about-indian-budget/#respond Wed, 31 Jan 2024 17:06:39 +0000 https://nitinbharat.com/?p=743 बजट किसी भी देश के धन का आय और व्यय का ब्यौरा होता है जिसे सरकार द्वारा एक साल के लिए जारी किया जाता है।भारत (India budget...

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बजट किसी भी देश के धन का आय और व्यय का ब्यौरा होता है जिसे सरकार द्वारा एक साल के लिए जारी किया जाता है।भारत (India budget facts) में यूनियन बजट 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के खर्चे का हिसाब किताब होता है। जिसे वित्तमंत्री द्वारा जारी किया जाता है।

देश का पहला बजट (India budget facts) आज से 164 साल पहले 1860 में जारी किया था तब वित्तमंत्री जेम्स विलियमसन थे। जबकि आजाद भारत का पहला बजट वित्तमंत्री आर के शनमुकम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था।

आपको यह जानकर हैरानी होगी बजट (India budget facts) प्रिंट करते तक अधिकारियों और सपोर्ट स्टाफ को मंत्रालय के अंदर ही बंद कर दिया जाता है। उन्हे अपने रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति नहीं होती और तो और उन्हें टेलीफोन या मोबाइल फोन भी उपयोग करने की अनुमति नहीं होती।

उन्हे मंत्रालय में बंद करने से पहले बकायदा हलवा खिलाया जाता है। जिसे तैयार करते वित्त मंत्री को अक्सर अपने टीवी पर देखा होगा। इसे हलवा सेरेमनी कहते है।

क्या आप जानते है यदि पेश होने से पहले ही बजट (India budget facts) लीक हो गया तो वित्त मंत्री को इस्तीफा भी देना पड़ सकता है ऐसा ही हुआ था 1950 में वित्त मंत्री जॉन मथाई के साथ जिनके बजट को संसद में पेश होने से पहले ही लीक कर दिया गया था। जिसके चलते उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा था।

देश का सबसे लंबा बजट (India budget facts) भाषण वर्तमान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने दिया था। 2020-2021 के इस बजट की लंबाई 2 घंटे 42 मिनट तक की थी। उन्होंने ऐसा करके 1991 में प्रस्तुत किए गए डॉ. मनमोहन सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा था।

क्या आप जानते है देश की पहली महिला वित्त मंत्री कौन बनी यदि हां तो कमेंट बॉक्स पर कमेंट जरुर करें।

जब बजट इतना संवेदनशील दस्तावेज है तो इसकी छपाई कहां होती है यह भी आपके दिमाग में प्रश्न आया होगा? दरअसल इसकी छपाई का भी एक इतिहास है। पहला बजट लीक होने तक यानी 1950 तक इसकी छपाई राष्ट्रपति भवन में ही होती थी। लेकिन उसके बाद इसे मिंटो रोड में शिफ्ट कर दिया फिर 1980 में फिर से छपाई की जगह बदलकर नॉर्थ ब्लॉक किया गया।

क्या आप जानते है 1955 तक बजट केवल अंग्रेजी में छपता था। पहली बार हिंदी में बजट 1956 से छपने लगा।

1999 के पहले आम बजट शाम बजे पेश होता था 1999 से सुबह 11 बजे पेश होना प्रारंभ हुआ जो अभी तक जारी है।

2016 तक बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश होता था। 2017 से बजट 1 फरवरी को जारी होने लगे और तो और यही वो साल था जब रेल बजट और आम बजट (India budget facts) को एक साथ मर्ज कर दिया गया।

डिजिटल इंडिया के लक्ष्य में एक और मील का पत्थर तब जुड़ गया जब पहली बार 2021 को पेपरलेस बजट जारी किया गया। यह वही साल था जब बजट (India budget facts) की पहचान बनी कैरी बैग को भी बाए बाए कर दिया गया। अब डिजिटल टैब से पढ़कर बजट पेश किया जाता है।

क्या आप जानते है सबसे अधिक 10 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड वित्तमंत्री मोरारजी देसाई के नाम दर्ज है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 9 बार बजट पेश करने के साथ दूसरे पायदान पर है।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश की पहली महिला थी जिन्हे देश का आम बजट प्रस्तुत करने का गौरव प्राप्त हुआ।

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भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या और समाधान https://nitinbharat.com/chanlleges-of-indian-economy-and-way-forward/ https://nitinbharat.com/chanlleges-of-indian-economy-and-way-forward/#respond Wed, 05 Apr 2023 17:24:17 +0000 https://nitinbharat.com/?p=659 भारत समेत दुनिया भर की छोटी बड़ी सभी अर्थव्यवस्था आज संकट के दौर से गुजर रही है। इसमें से कुछ संकट परंपरागत है तो कुछ नए प्रकार...

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भारत समेत दुनिया भर की छोटी बड़ी सभी अर्थव्यवस्था आज संकट के दौर से गुजर रही है। इसमें से कुछ संकट परंपरागत है तो कुछ नए प्रकार के हैं। कुछ कोरोना महामारी के बाद उपजें हैं तो कुछ संरचनात्मक है। आईये समझते हैं कि भारत इन दिनों कौन से आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है। Article on Indian economy

 

भारत निम्न प्रकार के आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है:

1. परंपरागत (traditional)

मुद्रास्फीति को नियंत्रण करने की जिम्मेदारी आरबीआई की है जो अधिकतम 6% और न्यूनतम 2% तक होनी चाहिए। लेकिन कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए दिए गए ढील के चलते मुद्रास्फीति बढ़ गई है। सामान्य बोलचाल में इसे महंगाई भी कहा जाता है। Article on Indian economy

अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के दाम और गैस के दाम बढ़ने रूस यूक्रेन संघर्ष से पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतें आसमान छू रही है।

बढ़ती ब्याज दर भी भारत के नागरिकों के लिए चुनौती का सबब बना हुआ है इससे लोन महंगा हो जाता है और आर्थिक गतिविधियों में निवेश घट जाता है जिसका असर रोजगार पर पड़ता है।

रुपए की गिरती कीमत भी वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है ।भारतीय रुपए कई सालों के न्यूनतम स्तर पर है इसके पीछे डॉलर का मजबूत होना एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डॉलर की मांग बढ़ना है।

2.बहुपक्षीय व्यापार समझौते

भारत को अपना व्यापार बढ़ाने के लिए बहु पक्षी व्यापार समझौते करने होंगे लेकिन इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती भारतीयों के खासकर किसान और कमजोर वर्ग के हित हैं जो विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने से प्रभावित हो सकते हैं।

3. रोजगार और आय सुनिश्चित करना

भारत के लिए यह तीसरी और सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार के लिए पर्याप्त कौशल की आवश्यकता होती है। कौशल होने से उद्योगों में रोजगार मिलते हैं। इससे आय में बढ़ोतरी होती है। परंतु भारत में रोजगार के लिए अपेक्षित स्किल युवाओं के पास नहीं है और उद्यमशीलता का माहौल भी भारत में देखने नहीं मिलता।

 

अर्थशास्त्र के द्वारा भारत की इकोनामी को सुदृढ़ करने के लिए निम्न सुझाव दिए जा रहे हैं

1. केंद्रीय बैंक को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना

हालिया दिनों में पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों के वित्तीय दिवालियापन के बाद भारत में भी अर्थशास्त्रियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार से कितनी न्यूनतम दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इसकी चर्चा की जा रही है क्योंकि पाकिस्तान और श्रीलंका में केंद्रीय बैंक को सरकार द्वारा अपनी जरूरत अनुसार उपयोग किया गया जिसका खामियाजा वहां की अर्थव्यवस्था को दिवालिया होकर चुकाना पड़ा।

हालांकि हालांकि भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दोनों का उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती और विकास प्रदान करना है। अर्थव्यवस्था में रिजर्व बैंक जहां मौद्रिक नीतियों के माध्यम से विकास सुनिश्चित करती है। वही भारत सरकार वित्तीय नीतियों नीतियों के माध्यम से विकास सुनिश्चित करने का प्रयास करती है इसलिए दोनों का उद्देश्य यदि एक है तो दोनों के बीच कितनी न्यूनतम दूरी होनी चाहिए इसका भी एक सटीक सिद्धांत होना चाहिए।

2. रोजगार और मुद्रास्फीति के लिए प्रयास

रोजगार और मुद्रा स्थिति में व्युत्क्रम संबंध होता है। फिलिप वक्र के अनुसार जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती जाती है रोजगार में कमी होती जाती है। अतः इसके लिए सरकार को ठोस उपाय करना चाहिए महंगाई को अतिशीघ्र नियंत्रित करना चाहिए।

3. आयात राहत और रुपए की मजबूती

आयात अधिक से अधिक की जाने की बात कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं। जबकि इसके भी अपने नुकसान हैं रुपए की मजबूती से कुछ लोगों को लाभ तो कुछ लोगों को हानि होती है। जैसे रुपए यदि मजबूत होता है तो वस्तुओं की कीमतें घटती है वहीं यदि रुपए कमजोर होता है तो वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती है। हालांकि रूप रुपयों के कमजोर होने से विदेशों में भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है लेकिन विदेशों में पढ़ाई कर रहे यात्रा के लिए जाने वाले और निवेश के लिए जाने वाले धन का मूल्य घट जाता है और पहले की तुलना में अधिक रुपए उन्हें चुकाना पड़ता है।

चीन से तुलना

भारत 1950 में आजादी के समय एक ही स्तर पर थे। आर्थिक रूप से दोनों एक लकीर पर खड़े थे लेकिन 50 सालों में अर्थात 2000 आते आते चीन भारत से आगे निकल गया और 2020 आते आते वह अमेरिका को भी पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी इकोनामी बनने के करीब आ गया। दुनिया भर के अर्थशास्त्री चीन के आर्थिक मॉडल को अपनाने की बात कर रहे हैं। आइए जानते चीन के आर्थिक मॉडल में ऐसी क्या खास बात थी जो उनकी अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से आगे बढ़ी? Article on Indian economy

चीन की अर्थव्यवस्था में सन 1978 में वैश्वीकरण, निजीकरण और उदारीकरण को अपनाया गया जिसके परिणाम स्वरूप दुनिया भर की कंपनियां वहां पहुंचने लगी। इससे पूर्व चीन ने अपने नागरिकों को मजबूत मानव संसाधन के रूप में परिवर्तित कर दिया था और 1978 के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य में पर्याप्त मात्रा में खर्च किया गया हालांकि चीन में संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता भौगोलिक वातावरण कानून व्यवस्था व्यापार नीति आदि का भी बड़ा योगदान रहा जिसके चलते वहां विकास इतना फल फूल सका।

मिल रही चुनौती

वर्तमान में भारत को वियतनाम जैसे तृतीय विश्व के देशों से मजबूत व्यापारिक चुनौती मिल रही है। दुनिया आज भारत की जगह वियतनाम की ओर रुख कर रही है। इसका एक कारण वियतनाम की मजबूत मानव संसाधन और उस पर किए जाने वाला खर्च है।

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क्या है समाधान

भारत में 1990 के दशक में अर्थशास्त्री जगदीश भगवती और अमर्त्य सेन के विचार प्रचलित होने लगे। जगदीश भगवती का मानना था कि भारत को विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। विकास होगा मानव संसाधन का विकास स्वता ही हो जाएगा जबकि अमर्त्य सेन का मानना था कि स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक से अधिक खर्च करना चाहिए इससे आर्थिक विकास स्वत: ही संभव हो जाएगा। भारत सरकार ने जगदीश भगवती के सिद्धांत के अनुसार आर्थिक नीति का अनुसरण किया और विकास पर ध्यान केंद्रित किया परंतु यह मॉडल आज असफल प्रतीत हो रहा है। अब अमर्त्य सेन के मॉडल पर कुछ दशक चलकर देखना चाहिए।

 

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हिंडेनबर्ग रिपोर्ट क्या है? कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉड! https://nitinbharat.com/what-is-hindenburg-report-know-all-about/ https://nitinbharat.com/what-is-hindenburg-report-know-all-about/#respond Fri, 27 Jan 2023 17:33:00 +0000 https://nitinbharat.com/?p=490 हिंडेनबर्ग रिपोर्ट क्या है? कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉड! What is Hindenburg Report? इंटरनेशनल बिजनेस और फाइनेंस पर रिपोर्ट जारी करने वाले एक कंपनी के रिपोर्ट...

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हिंडेनबर्ग रिपोर्ट क्या है? कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉड!

What is Hindenburg Report? इंटरनेशनल बिजनेस और फाइनेंस पर रिपोर्ट जारी करने वाले एक कंपनी के रिपोर्ट ने भारतीय शेयर बाजार में भूचाल ला दिया। यह रिपोर्ट अदानी ग्रुप की बर्बादी की खबर बनकर आया। आइए जानते है इस रिपोर्ट में आखिर क्या है?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट कहती है (What is Hindenburg Report) कि अडानी ग्रुप में टॉप रैंक्स के 22 लोगों में अडानी के ही परिवार के 8 लोग हैं. परिवारीजनों ने टैक्स हेवन कंट्रीज में फर्जी शेल कंपनियां खोली हुईं हैं. इनका पैसा भारत की अडानी कंपनियों में मूव किया जाता है।

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हिंडनबर्ग रिपोर्ट की मुख्य बातें?

  • Hindenburg के अनुसार, अडानी के परिवार के सदस्य इन शेल कंपनियों के माध्यम से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट के फर्जी documentat बनाते हैं, ताकि फेक turnover दिखाया जा सके, इनका संबंध होता है भारत के शेयर मार्किट में लिस्टेड अडानी की कंपनियों से; ताकि अडानी की बैलेंस शीट की हेल्थ सही दिखे। (What is Hindenburg Report)

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने ADANI के छोटे भाई राजेश अडानी के एक पुराने केस के बारे में भी जिक्र किया है कि कैसे साल 2004-05 की सरकार की डायमंड ट्रेडिंग स्कीम के फ्रॉड में वे आरोपी थे. (What is Hindenburg Report) इस फ्रॉड में भी अडानी की कंपनियों का बाहर की शेल कंपनियों के माध्यम से फेक टर्नओवर दिखाया जाता था।

शेल कंपनियों का कारोबार?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट कहती है- हमने मारीशस की कॉर्पोरेट रजिस्ट्री के कागजातों को तलाशा, जिससे पता चला कि अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी अपने कुछ विश्वसनीय लोगों की मदद से मारीशस में चलाई जा रहीं फ्रॉड कंपनियों एक बड़े नेटवर्क को मैनेज कर रहे हैं. हमने ऐसी 38 शेल कंपनियों को खोजा है। What is Hindenburg Report

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गजब बात ये है कि इन कंपनियों में कोई ऑपरेशन भी नहीं हो रहा, इनमें कोई काम नहीं है, न इनमें कर्मचारी हैं, न इनके इंडिपेंडेंट एड्रेस हैं, न फोन नंबर हैं. न ही meaningful online presence है. इसके बावजूद इन शेल कंपनियों ने भारत की अडानी की कंपनियों में बिलियंस डॉलर लगाए हुए हैं.

शेयर बाजार को किया जाता है मैनिपुलेट

शेल कंपनियों के माध्यम से अडानी के शेयरों की कीमतों को MANIPULATE किया जाता है. शेयरों की इन बढ़ी हुई कीमतों पर जोकि रियल वैल्यूज से बहुत ज्यादा हैं, उनपर अडानी ग्रुप द्वारा बैंकों से बड़ा कर्ज लिया गया है. जिस दिन ये गुब्बारा फूटेगा, उस दिन स्टॉक मार्केट, बैंक दोनों दिवालिया।

अर्थशास्त्री कहते है यह अडानी ग्रुप के निवेक्षकों, बैकों के लिए ये चेतावनी है, आगे कुछ भी हो सकता है। यह घोटालो का गुब्बारा जिस दिन फूटेगा देश को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा और यह दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला होगा।

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भारत में 5G सेवाएं प्रारंभ: जाने क्या है मुख्य चुनौती? https://nitinbharat.com/5g-launch-in-india-what-is-the-major-challenge/ https://nitinbharat.com/5g-launch-in-india-what-is-the-major-challenge/#comments Sat, 01 Oct 2022 12:03:23 +0000 https://nitinbharat.com/?p=362 भारत के लिए 1 अक्टूबर का दिन बेहद ही खास इसलिए हो गया क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 5G इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत...

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भारत के लिए 1 अक्टूबर का दिन बेहद ही खास इसलिए हो गया क्योंकि इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में 5G इंटरनेट सेवाओं की शुरुआत की। भारत के सूचना और संचार क्रांति के इतिहास में यह लंबे समय तक याद रखा जाएगा। आइए 5G इंटरनेट से जुड़े उन पहलुओं के बारे में जानने की कोशिश करते है जो जानना बेहद जरूरी है लेकिन कोई भी आपको नही बताएगा। 5G launch in india

भारत में 5G सेवाएं प्रारंभ: जाने क्या है मुख्य चुनौती?

क्या आप जानते है? भारत में 1 अक्टूबर से 5G की शुरुआत मुकेश अंबानी के जियो और सुनील भारती मित्तल के द्वारा ही शुरू किया जा रहा है। यानी सिर्फ 2 कंपनी। ग्राहकों के पास विकल्प सिर्फ दो विकल्प होंगे। ऐसे कयास लगाए जा रहे कि एयरटेल(Airtel) जो कि जियो (Jio) के मुकाबले आधे से भी कम स्पेक्ट्रम खरीद सकी है कुछ दिन में कॉम्पिटिशन से बाहर हो जायेगी। 5G launch in india

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सरकारी कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) का हाल आप जानते ही होंगे। इसपर अक्सर यह आरोप लगता है कि घूस लेकर वह अपनी सेवाएं जानबूझकर बाधित करती है। जिससे जनता के सामने बुरा इमेज बने और संबंधित निजी कंपनी को फायदा हो। ऊपर से मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार निजीकरण के कट्टर समर्थक है। BSNL को आबंटित की ने वाली धनराशि में लगातार गिरावट हो रही है। 5G launch in india

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 4G सेवाओं के पांच साल बाद BSNL के लिए फंडिंग जारी की गई ताकि वह 4G स्पेक्ट्रम खरीद सके। 5G स्पेक्ट्रम खरीदी के लिए इसे कब और कितना पैसा दिया जाता है। देखने वाला विषय है। 5G launch in india

कुल मिलाकर आने वाले समय में जियो का 5G पर एकाधिकार होने वाला है इस बात से इंकार नही किया जा सकता भविष्य में लोग 5G को Jio नाम से ही जानने लगेंगे। ठीक उसी प्रकार जैसे एक समय तक लोग पेस्ट को पेस्ट नही “कोलगेट” कहकर बुलाते थे।

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5G पर एकाधिकार के क्या परिणाम होंगे?

मोनोपॉली या एकाधिकार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की एक बुराई है। जो कि सरकार और पूंजीपति के लिए तो लाभदायक होता है परंतु जनता और ग्राहक के लिए नुकसानदायक।

सरकार को:

जितना अधिक कोई कंपनी कमाई करती है उतना ही अधिक सरकार को टैक्स मिलता है। एक कंपनी से टैक्स लेने और नियमों के अनुपालन कराने में भी सरकार को सुहलियत होती है। 5G launch in india


कंपनी को:

  1. कंपनी के लिए कॉम्पिटिशन समाप्त हो जाता है। प्रचार और शिकायत निवारण पर करोड़ों का खर्च बच जाता है।
  2. कंपनी अपने मर्जी अनुसार कीमतें तय कर सकती है।
  3. कंपनी का लाभ कई गुणा बढ़ जाता है।

 

जनता को:

 

  1. कीमतें आसमान छूने लगती है, इससे नए लोग नवाचार करने से हतोत्साहित होते है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में jio free data के समय सेवा क्षेत्र में सर्वाधिक नवाचार को बढ़ावा मिला
  2. कॉम्पिटिशन के चलते ग्राहकों को मिलने वाले एक से बढ़कर एक ऑफर नहीं मिलते।

क्या आप जानते है?

1) ट्राई के अनुसार, भारत में अभी भी 2.563 करोड़ (जुलाई 2022 तक) वायरलाइन या लैंड लाइन कनेक्शन है। जिसमे 27-27% कनेक्शन के साथ BSNL और JIO क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर हैं।

2) भारत में मोबाइल उपयोगकर्ताओं की संख्या 114.8 करोड़ मोबाइल यूजर है। जिसमें सर्वाधिक ग्राहक 36.23% जियो के है। (TRAI, जुलाई 2022 तक)

3) भारत में केवल चार ही टेलीकॉम सर्विसेज प्रोवाइडिंग कंपनी है। BSNL, Airtel, VI और जियो।

4) टेल्स्ट्रा भारत में पहली टेलीकॉम उपलब्ध कराने वाली कंपनी थी। यह एक ऑस्ट्रेलियन कंपनी थी जो 2000 में बंद हो गई।

5) भारत में टेलीकॉम क्षेत्र में शुरुआत से अब तक 14 कंपनियों ने अभी तक हाथ आजमाए है जिसमे से केवल 4 बच गए है।

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Rakesh jhunjhunvala : नहीं रहे भारत के वारेन बफेट

शेयर बाजार और ट्रैडिंग करने को जानने वालों के लिए 14 अगस्त की सुबह एक बुरी खबर लेकर आई। यह खबर थी शेयर मार्केट के जादूगर राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala की मौत की। राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala भारतीय शेयर बाजार में इतनी बड़ी हस्ती थे इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि इनके मृत्य पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जाहिर करते हुए इसे एक अपूर्णीय क्षति माना। rakesh jhunjhunvala waren buffet

राकेश झुनझुनवाला कौन थे?

Who was Rakesh jhunjhunvala?

हैदराबाद में जन्मे राकेश झुनझुनवाला पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे। झुनझुनवाला ने भारत में शेयर मार्केट की शुरुआत से ही इसमें हाथ आजमाना शुरू कर दिया। राकेश झुनझुवाला ने साल 1985 में महज 5000 रुपये की पूंजी के साथ शेयर बाजार में अपने सफर की शुरूआत की। कई रिपोर्ट्स में उनकी मृत्यु के समय उनका नेटवर्थ 40 हज़ार करोड़ आंकी गई है। फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार उस समय संपत्ति के मामले में वे भारत के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में 48वें नंबर पर थे। जुलाई 2022 में उनका नेटवर्थ करीब 550 बिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपयों में करीब 55000 करोड़ रुपये है। वे देश के अमीरों की सूची में 36 वें नंबर पर थे।

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राकेश झुनझुनवाला की मौत कैसे हुई?

How Rakesh jhunjhunvala died?

इतने बड़े शख्स की अचानक मृत्यु अच्छे अच्छों की सोच में डाल सकती है, खासकर तब जब विज्ञान ने कई लाईलाज बीमारियों का उपचार खोज लिया है। फिर ऐसा क्या हुआ कि ऐसी कौन सी बीमारी थी जिसकी जंग झुनझुनवाला हार गए । बताया जाता है कि राकेश झुनझुनवाला की 50% किडनी फेल हो चुकी थी इसके साथ ही वे डायबिटीज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के शिकार थे। जो कि मुख्यतः पाचन तंत्र से जुड़ी हुई समस्याएं है। वे रूटीन चेकअप के लिए डॉक्टरों से मिलते रहते थे। लेकिन इस बार लगातार दो हफ्ते तक तबियत ऐसी बिगड़ी की उनके सेहत का इंडेक्स लगातार गिरता गया और जिंदगी की ट्रेडिंग झुनझुनवाला हार गए। rakesh jhunjhunvala waren buffet

Rakesh jhunjhunvala : नहीं रहे भारत के वारेन बफेट

राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala की मौत के बाद हेल्थ एक्सपर्ट ने इस बात को प्रमुखता से उजागर किया है कि दिनभर टेबल पर टिक कर बैठना, खाने को पचाने के लिए पर्याप्त शारीरिक गतिविधि न करना एक खराब लाइफस्टाइल है। जिसका हमें त्याग करना चाहिए। राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala की मौत इस बात को भी सिद्ध करती है कि सब कुछ पैसे से नही खरीदा जा सकता। अगर खरीदा जा सकता तो भारत के इतने बड़े अरबपति अपने लिए उपयुक्त मानव अंग और अच्छा स्वास्थ्य खरीद लेते।

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राकेश झुनझुनवाला और भारतीय शेयर बाजार

Rakesh jhunjhunvala and indian share market

राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala को भारतीय शेयर बाजार का जादूगर, किंग, चिराग और वारेन बफेट जैसे नामों से जाना जाता है। शेयर मार्केट की भाषा में इन्हे तेजडिया नाम से जाना जाता था। दरअसल राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala उस वक्त भी बाजार से पैसे कमा लेते थे जिस वक्त पूरा मार्केट तेजी से गिर रहा होता। भारत की कई बड़ी बड़ी कंपनियां उनसे सलाह लेने के लिए तरसती थी कि कब उनके शेयरों की दशा और कीमत क्या होगी? राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala वो शख्स थे जो किसी कंपनी की शेयर की तारीफ कर देते तो उनकी किस्मत रातों रात चमक जाती।

राकेश झुनझुनवाला से जुड़े विवाद

Rakesh jhunjhunvala and disputes

राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala शेयर मार्केट के सबसे बड़े दिग्गज थे इसलिए शेयर मार्केट में जरा सी गड़बड़ी नजर आने पर SEBI जैसे रेगुलेटर उनपर अपनी पैनी निगाह डालते थे। अक्सर उनके ऊपर इनसाइडर ट्रेडिंग और स्पॉन्सर्ड ट्रेडिंग का आरोप लगता था। उनके ऊपर यह भी आरोप लगता था कि बड़े उद्योगपतियों से मिलीभगत कर उनके शेयरों में तेजी का अनुमान लगा देते थे। इससे शेयर बाजार की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का ह्रास होता था। ऐसा ही एक ताजा विवाद 2021 सितंबर में चर्चा में था। rakesh jhunjhunvala waren buffet

राकेश झुनझुनवाला का मुख्य व्यवसाय

Business of Rakesh jhunjhunvala?

राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala पेशे से एक चार्टर्ड एकाउंटेंट थे। कॉलेज के दिनों से ही वे ट्रेडिंग में अपने हाथ आजमाने शुरू किए। और देखते ही देखते भारत के सबसे बड़े ट्रेडर बन गए। ट्रेडिंग के अलावा उनका मुख्य व्यवसाय निवेशक का था जो किसी भी कंपनी की वित्तीय जरूरतों को पूरा करते। हालिया दिनों में उन्होंने एयरलाइंस कंपनी की भी शुरुआत की थी। जिसकी लॉन्चिग के पहले ही उनका देहांत हो गया।

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Rakesh Jhunjhunvala : नहीं रहे भारत के वारेन बफेट 

जीवन में अकूत पैसा कमाया, रातों रात कई कंपनियों के किस्मत बदली, भारतीय शेयर मार्केट के किंग बने, भारत का ‘वारेन बैफेट’ कहा जाने लगा। 5 हजार से शुरुआत कर, 40 हजार करोड़ की संपत्ति बनाई और महज 62 साल की उम्र में ही दम तोड़ दिया।

राकेश झुनझुनवाला Rakesh jhunjhunvala का नाम शेयर मार्केट के गलियारों में बेशक अमर रहेगा लेकिन इनकी मौत दबी आवाज में यह भी कह गई कि केवल पैसे के पीछे मत भागिए, अच्छी सेहत के लिए भी निवेश कीजिए और पूंजीवाद की अंधी दौड़ में के बीच धर्म और अध्यात्म दूर मत हो जाइए।भगवान इनकी आत्मा को शांति दे

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