Economy Article Archives - NITIN BHARAT https://nitinbharat.com/category/economy-article/ India's Fastest Growing Educational Website Wed, 05 Apr 2023 17:26:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 210562443 भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या और समाधान https://nitinbharat.com/chanlleges-of-indian-economy-and-way-forward/ https://nitinbharat.com/chanlleges-of-indian-economy-and-way-forward/#respond Wed, 05 Apr 2023 17:24:17 +0000 https://nitinbharat.com/?p=659 भारत समेत दुनिया भर की छोटी बड़ी सभी अर्थव्यवस्था आज संकट के दौर से गुजर रही है। इसमें से कुछ संकट परंपरागत है तो कुछ नए प्रकार...

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भारत समेत दुनिया भर की छोटी बड़ी सभी अर्थव्यवस्था आज संकट के दौर से गुजर रही है। इसमें से कुछ संकट परंपरागत है तो कुछ नए प्रकार के हैं। कुछ कोरोना महामारी के बाद उपजें हैं तो कुछ संरचनात्मक है। आईये समझते हैं कि भारत इन दिनों कौन से आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है। Article on Indian economy

 

भारत निम्न प्रकार के आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है:

1. परंपरागत (traditional)

मुद्रास्फीति को नियंत्रण करने की जिम्मेदारी आरबीआई की है जो अधिकतम 6% और न्यूनतम 2% तक होनी चाहिए। लेकिन कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए दिए गए ढील के चलते मुद्रास्फीति बढ़ गई है। सामान्य बोलचाल में इसे महंगाई भी कहा जाता है। Article on Indian economy

अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के दाम और गैस के दाम बढ़ने रूस यूक्रेन संघर्ष से पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतें आसमान छू रही है।

बढ़ती ब्याज दर भी भारत के नागरिकों के लिए चुनौती का सबब बना हुआ है इससे लोन महंगा हो जाता है और आर्थिक गतिविधियों में निवेश घट जाता है जिसका असर रोजगार पर पड़ता है।

रुपए की गिरती कीमत भी वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ है ।भारतीय रुपए कई सालों के न्यूनतम स्तर पर है इसके पीछे डॉलर का मजबूत होना एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डॉलर की मांग बढ़ना है।

2.बहुपक्षीय व्यापार समझौते

भारत को अपना व्यापार बढ़ाने के लिए बहु पक्षी व्यापार समझौते करने होंगे लेकिन इसके लिए सबसे बड़ी चुनौती भारतीयों के खासकर किसान और कमजोर वर्ग के हित हैं जो विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने से प्रभावित हो सकते हैं।

3. रोजगार और आय सुनिश्चित करना

भारत के लिए यह तीसरी और सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार के लिए पर्याप्त कौशल की आवश्यकता होती है। कौशल होने से उद्योगों में रोजगार मिलते हैं। इससे आय में बढ़ोतरी होती है। परंतु भारत में रोजगार के लिए अपेक्षित स्किल युवाओं के पास नहीं है और उद्यमशीलता का माहौल भी भारत में देखने नहीं मिलता।

 

अर्थशास्त्र के द्वारा भारत की इकोनामी को सुदृढ़ करने के लिए निम्न सुझाव दिए जा रहे हैं

1. केंद्रीय बैंक को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना

हालिया दिनों में पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों के वित्तीय दिवालियापन के बाद भारत में भी अर्थशास्त्रियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को केंद्र सरकार से कितनी न्यूनतम दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इसकी चर्चा की जा रही है क्योंकि पाकिस्तान और श्रीलंका में केंद्रीय बैंक को सरकार द्वारा अपनी जरूरत अनुसार उपयोग किया गया जिसका खामियाजा वहां की अर्थव्यवस्था को दिवालिया होकर चुकाना पड़ा।

हालांकि हालांकि भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दोनों का उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती और विकास प्रदान करना है। अर्थव्यवस्था में रिजर्व बैंक जहां मौद्रिक नीतियों के माध्यम से विकास सुनिश्चित करती है। वही भारत सरकार वित्तीय नीतियों नीतियों के माध्यम से विकास सुनिश्चित करने का प्रयास करती है इसलिए दोनों का उद्देश्य यदि एक है तो दोनों के बीच कितनी न्यूनतम दूरी होनी चाहिए इसका भी एक सटीक सिद्धांत होना चाहिए।

2. रोजगार और मुद्रास्फीति के लिए प्रयास

रोजगार और मुद्रा स्थिति में व्युत्क्रम संबंध होता है। फिलिप वक्र के अनुसार जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती जाती है रोजगार में कमी होती जाती है। अतः इसके लिए सरकार को ठोस उपाय करना चाहिए महंगाई को अतिशीघ्र नियंत्रित करना चाहिए।

3. आयात राहत और रुपए की मजबूती

आयात अधिक से अधिक की जाने की बात कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं। जबकि इसके भी अपने नुकसान हैं रुपए की मजबूती से कुछ लोगों को लाभ तो कुछ लोगों को हानि होती है। जैसे रुपए यदि मजबूत होता है तो वस्तुओं की कीमतें घटती है वहीं यदि रुपए कमजोर होता है तो वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती है। हालांकि रूप रुपयों के कमजोर होने से विदेशों में भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है लेकिन विदेशों में पढ़ाई कर रहे यात्रा के लिए जाने वाले और निवेश के लिए जाने वाले धन का मूल्य घट जाता है और पहले की तुलना में अधिक रुपए उन्हें चुकाना पड़ता है।

चीन से तुलना

भारत 1950 में आजादी के समय एक ही स्तर पर थे। आर्थिक रूप से दोनों एक लकीर पर खड़े थे लेकिन 50 सालों में अर्थात 2000 आते आते चीन भारत से आगे निकल गया और 2020 आते आते वह अमेरिका को भी पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी इकोनामी बनने के करीब आ गया। दुनिया भर के अर्थशास्त्री चीन के आर्थिक मॉडल को अपनाने की बात कर रहे हैं। आइए जानते चीन के आर्थिक मॉडल में ऐसी क्या खास बात थी जो उनकी अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से आगे बढ़ी? Article on Indian economy

चीन की अर्थव्यवस्था में सन 1978 में वैश्वीकरण, निजीकरण और उदारीकरण को अपनाया गया जिसके परिणाम स्वरूप दुनिया भर की कंपनियां वहां पहुंचने लगी। इससे पूर्व चीन ने अपने नागरिकों को मजबूत मानव संसाधन के रूप में परिवर्तित कर दिया था और 1978 के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य में पर्याप्त मात्रा में खर्च किया गया हालांकि चीन में संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता भौगोलिक वातावरण कानून व्यवस्था व्यापार नीति आदि का भी बड़ा योगदान रहा जिसके चलते वहां विकास इतना फल फूल सका।

मिल रही चुनौती

वर्तमान में भारत को वियतनाम जैसे तृतीय विश्व के देशों से मजबूत व्यापारिक चुनौती मिल रही है। दुनिया आज भारत की जगह वियतनाम की ओर रुख कर रही है। इसका एक कारण वियतनाम की मजबूत मानव संसाधन और उस पर किए जाने वाला खर्च है।

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क्या है समाधान

भारत में 1990 के दशक में अर्थशास्त्री जगदीश भगवती और अमर्त्य सेन के विचार प्रचलित होने लगे। जगदीश भगवती का मानना था कि भारत को विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। विकास होगा मानव संसाधन का विकास स्वता ही हो जाएगा जबकि अमर्त्य सेन का मानना था कि स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक से अधिक खर्च करना चाहिए इससे आर्थिक विकास स्वत: ही संभव हो जाएगा। भारत सरकार ने जगदीश भगवती के सिद्धांत के अनुसार आर्थिक नीति का अनुसरण किया और विकास पर ध्यान केंद्रित किया परंतु यह मॉडल आज असफल प्रतीत हो रहा है। अब अमर्त्य सेन के मॉडल पर कुछ दशक चलकर देखना चाहिए।

 

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भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ? https://nitinbharat.com/bharat-ki-jansankhya-2022-chaunauti-ya-takat/ https://nitinbharat.com/bharat-ki-jansankhya-2022-chaunauti-ya-takat/#comments Sun, 17 Jul 2022 06:00:00 +0000 भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत विश्व जनसँख्या दिवस के अवसर पर यानी 11 जुलाई को यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (डब्लूपीपी) 2022 में कई चौकाने...

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भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत

विश्व जनसँख्या दिवस के अवसर पर यानी 11 जुलाई को यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (डब्लूपीपी) 2022 में कई चौकाने वाली बातें जाहिर की गई है. इसमें एक अध्याय भारत की जनसँख्या 2022 को लेकर भी है. भारत की जनसंख्या 2022 को लेकर इसमें यह अनुमान लगाया गया है, कि अगले ही वर्ष यानी 2023 में ही भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या को पीछे पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जायेगा.

भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत

इस रिपोर्ट पर भारत में तरह-तरह की टिप्पणियां और विमर्श का दौर जारी है. इस आर्टिकल में हम इन्ही जनसंख्या विमर्श निचोड़ जानने की कोशिश करेंगे और जानने की कोशिश करेंगे कई बहुचर्चित सवालों के जवाब जो रोचक के साथ-साथ बेहद जरुरी भी है. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ? 

2022 में भारत की जनसंख्या कितनी है ?

भारत की जनसंख्या 2022 को लेकर इतनी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि भारतीय जनगणना 2021 (population of india 2022) के आंकड़े जो कि 2021 में जारी होने वाले थे अभी तक जारी नहीं किये जा सके है. इसीलिए 2022 में भारत की जनसंख्या कितनी है? इस प्रश्न का आधिकारिक उत्तर तो 121 करोड़ ही है, जो कि भारतीय जनगणना 2011 के आंकड़ों पर आधारित है, लेकिन यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (डब्लूपीपी) 2022 के अनुसार भारत की जनसंख्या (population of india) 141 करोड़ हो गयी है. जो कि चीन की जनसंख्या 2022 से महज 1 करोड़ कम है. गौरतलब है कि इसी रिपोर्ट में चीन की जनसंख्या 142 करोड़ बताई गयी है. इस रिपोर्ट की बात को यदि सच माने तो भारत अगले ही वर्ष चीन की जनसँख्या (population of china) को पीछे कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा.

जनगणना 2021 (Census 2021)

भारतीय जनगणना इतिहास में विरले ही ऐसा हुआ है जब नियमित जनसंख्या के आंकड़ो के प्रकाशन में विलम्ब हुआ हो. लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी के चलते जनगणना 2021 (census 2021) के आंकड़े प्रकाशित नही हुए. सरकार ने स्पष्ट किया है जनगणना 2021 (census 2021) पिछली जनगणनाओं की तुलना में अलग होगा क्योंकि इसमें गणना डिजिटल तकनीको का उपयोग करके प्रकाशित किया जाएगा.

 

भारत की जनसंख्या को लेकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह जनगणना 2021 (census 2021) तक 135 करोड़ को पार कर चुकी होगी. भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने कई भाषणों में सवा सौ करोड़ भारतवासी और 130 करोड़ भारतीय जैसे संबोधन जारी कर चुके है, वह भी आज से करीब पांच वर्ष पहले. इस हिसाब से अनुमान लगाया जा सकता है कि जनगणना 2021 (census 2021) के आंकड़े प्रकाशित होने तक भारत की आबादी 140 करोड़ के करीब होगी. कई लोगों द्वारा जनगणना 2021 के रद्द होने का भी दावा किया जाता है लेकिन जनगणना 2021 की के रद्द होने की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नही हुई है. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

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भारत में मुस्लिम आबादी (muslim population in india)

भारत की जनसंख्या में मुस्लिमों की जनसंख्या राजनीतिक रूप से एक संवेदनशील मामला रहा है. दक्षिण पंथी राजनेता जहाँ इसे एक समस्या और चुनौती के रूप प्रचारित करते है वही वामपंथी और अल्पसंख्यक समर्थक दल इसे एक सामान्य रुझान मानते है. भारत में मुस्लिम आबादी या भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या (muslim population in india) को लेकर एक कोई भी विश्वसनीय आंकड़ा वर्तमान में नहीं है. लेकिन यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड पापुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स (डब्लूपीपी) 2022 के अनुसार इनकी संख्या भारत के कुल आबादी का लगभग 16% बताया गया है. जिसका अर्थ है 140 का 16%. संख्या के रूप में भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या (muslim population in india) 22 करोड़ के आस पास होगी? भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

मुस्लिमों का प्रजनन दर

भारत में एक गुट यह दावा करता है कि मुस्लिम अपनी आबादी तेजी से बढ़ाकर हिन्दू बहुसंख्यको के लिए चुनौती और संसाधनों पर दबाव बढ़ाना चाहते है, जबकि आंकड़ें इस बात की पुष्टि नहीं करते. भारत में जनसंख्या स्थिरता के लिए अपेक्षित प्रजनन दर 2.1 माना गया है. वही मुस्लिमों में प्रजनन दर 2.3 होने की पुष्टि आंकड़ों द्वारा की गयी है. यह नवीनतम आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे और एन एस एस ओ द्वारा भी प्रमाणित किया गया है. यही नहीं भारत में मुस्लिम प्रजनन दर में घटता हुआ रुझान दर्ज किया गया है क्योंकि 1990 के दशक में इनके बीच प्रजनन दर 4.4 दर्ज किया गया था. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

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भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

 

जनसंख्या वृद्धि के कारण

भारत में जनसंख्या वृध्दि स्वतंत्रता के बाद से ही देश की सबसे बड़ी चुनौती में से एक रहा है. ऐसा इसलिए क्योकि भारत के पास पूरी दुनिया का महज 2.4 प्रतिशत ही भू-भाग है जबकि विश्व की जनसंख्या (world population) का 18% यहाँ निवास करती है. भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारणों में पहला, अत्याधिक शिशु मृत्यु दर का होना है. 1990 के दशक तक भारत में स्वास्थ्य की स्थिति बेहद ही ख़राब थी इसलिए लोग अधिक बच्चे पैदा करते थे ताकि

भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

जीवित बच्चों की संख्या ज्यादा बच सके परिवार में. दूसरा प्रमुख कारण सांकृतिक और आर्थिक है, कृषि संबंधी जरूरतों और परिवार की नामक संस्था के सुदृढ़ संचालन के लिए भी लोग अधिक संताने पैदा करते है, तीसरा बड़ा कारण निरोध सुविधाओं के बारे में जानकारी का अभाव है.

चौथा मुख्य कारण अशिक्षा है इस बात की पुष्टि इस आंकड़े से होती है कि भारत के जिन राज्यों में साक्षरता दर निम्न है वहां जनसंख्या प्रजनन दर भी अधिक है जैसे बिहार और उत्तर प्रदेश. मुस्लिमों के बीच भी प्रजनन दर के अधिक होने का मुख्य कारण उनकी संस्कृति और साक्षरता का स्तर ही माना जाता है.

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव

भारत में कुल विश्व का पांचवा हिस्सा निवास करता है. आसान भाषा में दुनिया का हर पांचवा आदमी भारत में रहता है. इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए संसाधन जैसे भोजन, जल, भूमि और उर्जा संसाधन जैसे बिजली, इंधन आदि पर अत्यधिक दबाव पड़ता है.

वहीं ऐसे बेतहासा जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप स्थाई रूप से निम्न गुणवता के मानव संसाधन पैदा होते है वही अशिक्षत, कुपोषित आबादी स्वास्थ्य और शिक्षा का ढांचा पर्याप्त नहीं होने का परिणाम माना जाता है. पर्यावरण पर बढ़ता दबाव मानव-प्रकृति संघर्ष में वृद्धि आदि जनसंख्या वृद्धि का ही परिणाम है. निम्न मानव विकास सूचकांक प्रदर्शन इस बात की पुष्टि करते है, जिसमे भारत का स्थान 130 से ऊपर ही रहता है.

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भारत की जनसंख्या स्थिर कब होगी?

भारत की जनसंख्या 2022 में 140 करोड़ दर्ज की गयी है जिसके 2050 में स्थिर होने की सम्भावना है. संयुक्त राज्य के रिपोर्ट में यह कहा गया है कि भारत की जनसंख्या 2050 में 166 करोड़ होगी इसके बाद से इसमें स्थिरता आयेगी और फिर जनसंख्या का में घटने के रुझान भी देखने मिल सकता है. यही नहीं 20223 के बाद से करीब दो दशकों तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश रहेगा.

भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत

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भारत की जनसंख्या भारत के लिए एक ताकत

भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत को निर्धारित करते है भारत की युवा आबादी. भारत की आबादी का 65% हिस्सा युवा है जिनकी आबादी 18-35 वर्ष के बीच है. जन सांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) की स्थिति में होना कहते है. किसी देश में जन सांख्यिकीय लाभांश demographic dividend की स्थिति है इसका अर्थ है उस देश में दूसरों पर आश्रित लोगों की संख्या बहुत ही कम होती है.

 

अतः इन्हें अच्छा कौशल, ट्रेनिग और शिक्षा देकर इन्हें भारत की ताकत बनाया जा सकता है. दुनिया का हर पांचवा आदमी भारतीय है तो अपनी मेहनत और कौशल से जिस दिन GDP में योगदान करने लग गया उस दिन भारत प्राचीन गौरव और विश्व गुरु की पदवी प्राप्त कर लेगा. आवश्यकता है भारत के युवाओं को उद्यमी बनकर आगे की, नए स्टार्टअप में ध्यान देने की और इनके विकास के लिए पर्याप्त धन सरकार खर्च करे.

भारत की जनसंख्या भारत के लिए एक चुनौती

भारत की जनसंख्या 2022 लम्बे समय से लाभदायक कम और चुनौती का सबब ज्यादा बनी हुई है. कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद अल्पपोषित युवा मानसिक और शरीरिक रूप से तेज नहीं हो सकते ग्रामीण भारत में यही एक कारण है कि युवा अपना मनचाहा योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में नहीं कर पाते.

 

भारत की जनसंख्या population of india जिस तेजी से बढ़ रही है कि जरूरत को पूरा करने के लिए भारत में पर्याप्त भू-क्षेत्र नहीं है. कृषि कार्य के लिए जमीन नहीं बचा है. रहने के लिए लोगो पास घर नहीं है. गरीबी बढ़ रही क्योकि ज्यादा लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी खजाना कम है. पर्याप्त कौशल नहीं मिल प् रहा इसलिए लोग बेरोजगार है, आपराधिक गतिविधियाँ बढ़ रही है. कुल मिलाकर यह कह सकते है कि जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) डेमोग्राफिक डिजास्टर बन सकता है.

भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

भारत की जनसंख्या वृद्धि अब उतनी बड़ी चुनौती नहीं है जितनी बड़ी चुनौती जनसंख्या में मौजूद युवा आबादी को कौशल, गुणवत्ता युक्त शिक्षा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है. इसके साथ ही भारत देश की सबसे बड़ी जनसांख्यिकीय समस्या आधी आबादी पर पर्याप्त ध्यान न देना है. भारत की कुल जनसँख्या में महिलाओं की आबादी लगभग आधा है, लेकिन सार्वजनिक जीवन उनकी भागीदारी महज 15-20% के बीच है.

श्रम बल में भागीदारी ( labour force participation) बढ़ने की बजाये घट रही है. महिलाएं सदैव ही जनसँख्या नियंत्रण (population control) के केंद्र में रही है. इसलिए जब तक जनन की शक्ति रखने वाली महिलायें जागरूक नहीं होंगी, शिक्षित नहीं होंगी तब तक जनसँख्या का सर्वोत्तम प्रबंधन किसी भी देश के लिए असंभव होगा. भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

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भारत में जनसँख्या का लाभ उठाने हेतु प्रयास

 

भारत में साक्षरता दर बढाने के लिए “सर्व शिक्षा अभियान” चलाया गया. “कौशल विकास योजना” से नव युवकों को बाजार की मांग के अनुरूप कौशल और प्रशिक्षण देने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की गयी है. बेटियों की शिक्षा और उनके लिंगानुपात में सुधार के लिए बेटी बचाओ “बेटी पढ़ाओ योजना” की शुरुआत की गयी है.

युवा शक्ति को व्यापार और उद्यम में लगाने के लिए स्टार्टअप योजना, स्टैंडअप इंडिया योजनाओ की शुरुआत की गयी है. नए भारत की रीढ़ नई पीढ़ी ही साबित होने वाली है इसलिए गुणवत्ता पूर्ण मानव संसाधन का निर्माण करने के लिए “नई शिक्षा नीति 2020” को जारी किया गया है. ऐसे ही कई सरकारी प्रयास किये जा रहे है, जो जन भागीदारी से ही सफल हो सकते है.

भारत की जनसंख्या 2022 चुनौती या ताकत ?

आखिर क्यों गायब हो रहे है भारत से 2000 के नोट क्या है पीछे की वजह?

लेख के विश्लेषण के बाद अंत में यही कहा जा सकता है कि भारत जैसे देश के लिए युवा आबादी एक अवसर अतीत के गौरव (super power status) को वापस पाने का. भारत दुनिया का सबसे युवा देश है, युवा शक्ति दुनिया की दशा और दिशा निर्धारित कर सकती है, आवश्यकता है देश की समस्त नीतियाँ देश की युवाओं जिसमे विशेषकर महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाया जाए. तभी भारत अपनी जनसँख्या का सर्वोत्तम लाभ प्राप्त कर सकता है. अन्यथा बढ़ती जनसँख्या कई अन्य मूलभूत समस्याओं का कारण भी बन सकती है.

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क्यों गायब हो रहे 2000 के नोट ?

2000 के नोट भारत में बड़े नोटों को जारी करने का एक नवीनतम प्रयोग था, जो कि जिसे  नवंबर 2016 के नोटबंदी के बाद से जारी किया गया था। लेकिन 2022 आते-आते इन नोटों की संख्या इतनी घट गई कि हाथ में आना तो दूर इन्हे देखना भी नसीब नही होता। आखिर 2000 के नोट कहां गए? क्या 2000 के नोट बंद होने वाले है? 2000 रुपए के नोट के साथ क्या हो रहा है आइए जानते है।

क्यों गायब हो रहे 2000 के नोट ?

2000 के नोट भारत के केंद्रीय बैंक ‘भारतीय रिज़र्व बैंक‘ के द्वारा छापे और जारी किए जाने वाले सबसे बड़े नोट है। लेकिन इसकी मात्रा इरादतन धीरे धीरे कम किया जा रहा है जिसकी प्रमुख वजह क्या है आइए समझते है?

कोरोना वैश्विक महामारी के समय 2019 में जब बैंक के कई दिनों तक बंद होने का डर रहता था, लोग अपने पास ज्यादा से ज्यादा कैश रखना पसंद करते थे। इस समय ऐसा समझा गया कि लोग बड़े नोटों को भविष्य की अनिश्चितता को ध्यान में रखकर अपने तिजोरियों में भर लिया है। इसीलिए 2000 के नोट दिखते नही है। लेकिन 2020 में जब स्थिति बाजार और बैंक की स्थिति सामान्य होने लगी तब भी 2000 के नोट दिखने दुर्लभ हो गए। सोसल मीडिया में 2000 के नोटों को लेकर कई मीम बनने लगे। और कई कयास लगाए जाने लगे जैसे कही इन नोटों को चरणबद्ध रूप से हटाया तो नही जा रहा ? कही ये नोट बंद तो नही होने वाले ? वहीं कई लोग इस सोच में डूबे थे कि आखिर क्यों गायब हो रहे 2000 के नोट ?

कई रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि 2000 के नए नोट छापना आरबीआई ने बंद कर दिया है। 2017-18 के बाद से केवल 11.15 करोड़ रुपए ही छापे गए है।

इससे पहले RBI ने मार्च 2020 में यह घोषित कर दिया था कि “ग्राहकों की सुविधा (customer preferences)” को ध्यान रखते हुए ATM मशीनों से 2000 के नोट उपलब्ध नहीं कराएगी। मार्च 2022 में कुल नोटो का महज 1.6% ही बाजार में सर्कुलेशन में था, जबकि मूल्य के लिहाज से केवल ₹216 करोड़ नोट (₹2000 के) बाजार में उपलब्ध थे।

आरबीआई ने नए नोट न छापने के की एक मजबूत वजह बाजार में मौजूद हु ब हू नकली नोटों के प्रचलन को भी माना जिन्हे पहचान पाना ग्राहकों के लिए बेहद ही मुश्किल है।

एक अन्य कारण, एटीएम मशीन में 2000 के गिनती और जारी करने के लिए सुधार करने की जरूरत को माना गया था क्योंकि 2000 के नोट के आकार पहले के नोटों की तुलना में अधिक लंबे और भिन्न है। इसीलिए RBI ने अपने किसी भी बैंक से 2000 के नोट जारी करना बंद कर दिया है।

क्यों गायब हो रहे 2000 के नोट?

बैंक का पक्ष:

वही बैंक, लेनदेन में कठिनाई और चिल्लहर (चेंज) संबंधी समस्याओं के चलते 2000 के नोटो को ग्राहकों को देने के बजाए रिजर्व बैंक के पास एसएलआर और सीआरआर रिजर्व के रूप में रखना पसंद करते है। इसी कारण जब भी उनके पास 2000 के नोट आते है बैंक उन्हे ग्राहकों को न देकर आरबीआई (RBI) में दे देते है इसीलिए बाजार में 2000 नोटों की कमी होती जा रही है।

क्यों गायब हो रहे 2000 के नोट?

सरकार का पक्ष:

2021 में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में लिखित रूप से कहा था कि 2019 के बाद से 2000 के नोट छापने बंद कर दिए गए है। इसके पीछे की वजह पूछने पर मंत्री ने RBI की मौद्रिक नीति का हवाला दिया।

हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि यह केवल अफवाह है कि 2000 के नोट बंद या फेस आउट हो रहे है।

भारत में सबसे ज्यादा कौन से नोट चलन में है?

RBI के अनुसार, भारत में वर्तमान में 31 मार्च 2022 तक सबसे ज्यादा 500 रुपए के नोट प्रचलन में है। जो कि प्रचलित मुद्रा का 34.9% है। इसके बाद 10 रुपए के बाजार में सबसे ज्यादा है जो कि कुल बैंक नोटों का 21.3% है।

अंत में पूरे आलेख का सार कि क्यों गायब हो रहे 2000 के नोट ? का उत्तर बैंक लेन देने में होने वाली असुविधा, चेंज करने में होने वाली दिक्कत, नकली नोट का जारी होना और ATM मशीनों में अपेक्षित बदलाव का न हो पाना माना जायेगा। भविष्य में इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि 2000 के नोट प्रचलन से बाहर हो जायेंगे। इसके बाउजूद की ये नोट गवर्मेंट के एक लीगल टेंडर है।

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भारत में कोयला संकट : कारण, प्रभाव और समाधान https://nitinbharat.com/bharat-me-koyala-sankat/ https://nitinbharat.com/bharat-me-koyala-sankat/#respond Fri, 06 May 2022 14:49:00 +0000 https://nitinbharat.com/2022/05/06/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%af%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%82%e0%a4%95%e0%a4%9f-%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a3-%e0%a4%aa/ भारत दशक के सबसे बड़े कोयले के संकट से गुजर रहा है।  उत्तर भारतीय राज्यों में 6 से लेकर 12 घंटे तक की बिजली कटौती ने लोगों...

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भारत दशक के सबसे बड़े कोयले के संकट से गुजर रहा है।  उत्तर भारतीय राज्यों में 6 से लेकर 12 घंटे तक की बिजली कटौती ने लोगों का जीना दुभर कर दिया है। सरकारें और बिजली कंपनी लाचार हो गई है। ट्रेन की पटरियों पर सवारी गाड़ी से ज्यादा कोयले से भरी माल गाडियां दौड़ रही है। कोयले की इस अप्रत्याशित कमी से देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ने वाला है?  भारत जैसे भरपूर कोयले वाले देश में, भारत में कोयला संकट कैसे पैदा हुआ? और क्या है इसका समाधान आइए समझते है।

भारत में कोयला संकट : कारण, प्रभाव और समाधान

भारत में 2022 की गर्मी उत्तर भारतीय लोगों के लिए अभिशाप बनकर आया। अन्य वर्षों की तुलना में इस वर्ष हिट वेव अधिक विकराल था। लोगों के पास अपनी जान बचाने का एक मात्र सहारा पंखे, कूलर, एसी और रेफ्रिजरेटर जैसे साधन ही बचे थे लेकिन दुर्भाग्य वश इसी समय भारत में उत्पन्न हुई बिजली संकट ने इन मशीनों को बेकार बना दिया। लोगों का गर्मी से बुरा हाल है। तमाम प्रयासों के बौजूद सरकार बिजली संकट से निबटने में असहाय दिखे।

भारत में कोयला संकट कैसे उत्पन्न हुआ?

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी उत्तर भारत भीषण गर्मी की चपेट में आया। लेकिन गर्मी के साथ साथ हीट वेव का प्रकोप अप्रैल के शुरुआती महीनों में ही देखने मिला जिसके चलते राज्यों की ऊर्जा मांगे अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई। बिजली कंपनियों के पास पर्याप्त कोयला स्टॉक नही होने के कारण बिजली की आपूर्ति ठप हो गई परिणाम स्वरूप भारत में बिजली संकट पैदा हो गया।

भारत में कोयला संकट का क्या कारण है?

भारत में कोयला संकट और बिजली संकट के एक नही कई कारण है। पहला, भारत में उच्च कार्बन मात्रा वाली कोयले की कमी के कारण विदेशों से आयात किया जाता है लेकिन रूस-युक्रेन युद्ध के चलते कोयले की कीमतों में 35 से 40% की बढ़ोतरी देखी गई। बिजली कंपनिया अपना घाटा बढ़ जाने के डर से कोयला का आयात नही कर रही। वहीं केंद्र लगातार राज्यों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है कि कोयले की खरीद राज्य करें। ताकि बढ़ी हुई कीमतों का बोझ केंद्र के राजकोष पर न पड़े।
दूसरा, भारत में डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के चलते ऊर्जा उत्पादन के लिए इनके स्थान पर कोयले से ही ऊर्जा उत्पादन किया जा रहा है, इससे कोयला संकट और बढ़ा।
तीसरा, राज्य सरकारें कोयले की मांग सालाना आधार पर करती है, जबकि प्रत्येक माह इसकी स्थिति और मांग आपूर्ति में विचलन देखने को मिलता रहता है।
चौथा, बिजली वितरण कंपनियों का घाटे में होना, जिसके चलते उनके पास बढ़ी हुई कीमतों पर कोयला भंडारण करने के लिए पर्याप्त धन नहीं बचा है।

भारत किन देशों से कोयले का आयात करता है ?

भारत में उच्च गुणवत्ता के कोयले के अभाव के कारण विभिन्न देशों से कोयले का आयात किया जाता है। कुल आयात का लगभग 50 प्रतिशत इंडोनेशिया से, 20 प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया, 16% दक्षिण अफ्रीका और 5 प्रतिशत आयात संयुक्त राज्य से करता है।

भारत में सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने वाला राज्य

ऐसा नहीं है कि भारत में कोयले का उत्पादन नहीं होता लेकिन भारत में पाया जाने वाला कोयला निम्नतम गुणवत्ता का होता है। छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्यप्रदेश भारत के शीर्ष कोयला उत्पादक राज्य है जबकि झारखंड ओडिशा और छत्तीसगढ़ भंडारण के मामले में शीर्ष पर है।

कोयले के प्रकार

भारत में सर्वाधिक मात्रा में बिट्यूमिनस प्रकार का कोयला पाया जाता है। जम्मू कश्मीर एकमात्र राज्य है जहां एंथ्रासाइट प्रकार का कोयला पाया जाता है। जबकि राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिसा आदि में बिट्यूमिनस प्रकार का कोयला पाया जाता है। लिमोनाइट और साईडेराइट अन्य दो कोयले के प्रकार है जो भारत में प्रमुखता से मिलती है।

कोयले का सबसे बड़ा आयातक कौन है? Who are the major importers of coal?

भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक देश है। 2019 के आंकड़े के अनुसार भारत 249 मिट्रिक टन कोयले का आयात करता है। जबकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा कोयला आयातक देश है यह अपनी जरूरत का 308 मिट्रिक टन कोयला आयात करता है।

दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक कौन है? Who are the major exporter of coal?

ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक देश है। दूसरे नंबर पर इंडोनेशिया, तीसरे और चौथे पायदान पर क्रमश रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका है। चूंकि रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कोयला निर्यातक देश हैै इसलिए कोयला आपूर्ति रूस से बाधित होने पूरी दुनिया में कोयले की कमी और कीमतों में वृद्धि हो गई।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोयला संकट का प्रभाव

भारत के कुल ऊर्जा उत्पादन का लगभग 55% भाग कोयले से होता है। कोयले की कमी से औद्योगिक उत्पादन दर घटेगा, महंगाई बढ़ेगी, बिजली कंपनियों की आमदनी घटेगी तथा उनका राजस्व घाटा बढ़ेगा। इस प्रकार बिजली की कमी से देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

भारत में कोयला या बिजली संकट का क्या है समाधान

कोयले की खरीद और मांग राज्य केंद्र से प्रत्येक तीन माह के अंतराल में करें ताकि राज्य में कोयले की यथास्थिति का ज्ञान हो सके। GST परिषद जैसे एक ऐसे मंच का निर्माण करना जहां पर आकर राज्य एक दूसरे को सीधे कोयले की खरीद बिक्री कर सके। बिजली कंपनियों की भुगतान समस्या का निदान करने के लिए सहयोग तेज करना। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाना।
भारत में कोयला संकट से उत्पन्न बिजली संकट निश्चित रूप से एक गंभीर विषय है। इसका सीधा संबंध देश की अर्थव्यवस्था और लोगो के जीवन जीने में सहजता से है। अतः केंद्र और राज्य को साथ मिलकर इसका दीर्घकालिक और स्थायी समाधान ढूंढना चाहिए।

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PM किसान सम्मान निधि योजना क्या है? PM Kisan योजना की पूरी जानकारी https://nitinbharat.com/pm-kisan-samman-nidhi-yojana-kya-hai/ https://nitinbharat.com/pm-kisan-samman-nidhi-yojana-kya-hai/#comments Thu, 28 Apr 2022 10:30:00 +0000 https://nitinbharat.com/2022/04/28/pm-%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b8%e0%a4%ae%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%bf-%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%95/ PM किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) को लेकर किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। यह खबर दिल्ली से कृषि और किसान कल्याण...

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PM किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojana) को लेकर किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। यह खबर दिल्ली से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से आई है कि जल्द ही देशभर के किसानों के खाते में 2,000 रुपए की किसान सम्मान निधि हस्तांतरित होने वाली।
इस योजना के शुरुआत के बाद से यह 11वीं किस्त होगी। गौरतलब है PM किसान सम्मान निधि की 10वीं किस्त 1 से 10 जनवरी 2022 को किसानों के खाते में डाले गए थे।

PM किसान सम्मान निधि योजना की ताजा जानकारी

PM किसान सम्मान निधि योजना के बारे में पूरी जानकारी  के लिए नीचे दिए लेख का अवलोकन करें.

पीएम किसान सम्मान निधि क्या है? What Is PM Kisan Samman Nidhi ?

पीएम किसान सम्मान निधि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत देश के लगभग 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों के खाते में एक वर्ष में 6,000 रुपए का प्रत्यक्ष अंतरण किया जाता है। यह साल में तीन किस्तों में अंतरारित किया जाता है।

पीएम किसान योजना कब शुरू की गयी थी? When PM Kisan Scheme was started ?

वर्ष 2019 के बजटीय भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री स्व श्री अरूण जेटली ने इस ऐतिहासिक योजना की शुरुआत की थी। किसी भी सरकार द्वारा प्रत्यक्ष हस्तांतरित की जाने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। अभी तक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 10 किस्तें किसानों के खाते में जारी की जा चुकी है।

11वीं पीएम किसान निधि के अंतरण में देरी क्यों ?

प्रत्येक चार माह के अंतराल में किसान सम्मान निधि की राशि किसानों के खाते में डाली जाती है । गत 1 अप्रैल को इसे किसानों के खाते में डाला जाना था लेकिन इस योजना में किए गए कई बदलाव के चलते 11वीं किस्त के अंतरण में देरी हो रही है।
दरअसल, मोदी सरकार इस योजना के अंतर्गत किए जाने वाले कई धोखाधड़ी से बचने और उचित लाभार्थियों को इसका लाभ पहुंचाने के लिए ई केवाईसी (E- KYC) आधार कार्ड से मोबाइल नंबर का लिंक अनिवार्य कर दिया है। इस प्रक्रिया में विलम्ब के चलते ही राशि अंतरित करने में देरी हो रही है।

कब तक आयेगी पीएम किसान की 11वीं किस्त ?

मंत्रालय के आला अधिकारी ने एक समाचार चैनल को दिए बयान में कहा है कि आगामी 10 मई को पीएम किसान निधि की 11वीं किस्त डाली जाएगी, इसमें विलम्ब के पीछे कारण बताते हुए उन्होंने कहा कई किसान अभी तक बैंक खाते और आधार का ई-केवाईसी (E- KYC) नहीं कराया है, जिन्हे पर्याप्त समय दिया जा रहा है।

इनके खाते में नही आयेगी इस बार पीएम किसान सम्मान निधि ?

जिन किसानों ने ई-केवाईसी (e-KYC) नही कराया है उन्हे इस बार पीएम किसान निधि से वंचित होना पड़ेगा। इससे बोगस, दोहरे और फर्जी किसानों की छटनी में मदद मिलेगी।
PM किसान सम्मान निधि योजना के लिए पात्र किसान अगर अभी तक e-KYC नहीं कराये हैं तो वह अपने नजदीक के लोक सेवा केंद्र या CSC सेंटर में जाकर यह कार्य कर लेवें ताकि अगले प्रीमियम से वंचित न हो.

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भारत से निर्यात की जाने वाली कृषि फसलें? https://nitinbharat.com/bharat-se-niryat-krishi-fasal/ https://nitinbharat.com/bharat-se-niryat-krishi-fasal/#respond Wed, 20 Apr 2022 13:19:00 +0000 https://nitinbharat.com/2022/04/20/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%be/ भारतीय कृषि का पूरी दुनिया में विशिष्ट स्थान है। भारत के पास दुनिया का महज 2.4% हिस्सा भूमि है। लेकिन यहां के मेहनतकश किसान इतनी ही जमीन...

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भारतीय कृषि का पूरी दुनिया में विशिष्ट स्थान है। भारत के पास दुनिया का महज 2.4% हिस्सा भूमि है। लेकिन यहां के मेहनतकश किसान इतनी ही जमीन में पूरी दुनिया का लगभग 20% खाद्यान्न का उत्पादन कर देते है। कृषि उत्पादों के मामले में भारत पूरी दुनिया में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
भारतीय से निर्यात की जाने वाली कृषि फसलें?

भारतीय कृषि का महत्व?

भारत के 51% भूमि पर खेती की जाती है। यह भारत के GDP में 17-18% का योगदान करती है। जबकि सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने वाले क्षेत्रों के मामले में यह क्षेत्र पहले स्थान पर आता है। कई उत्पादों का निर्यात करके विदेशी मुद्रा भी आकर्षित करती है जबकि विनिर्मित वस्तुओं का सबसे ज्यादा मांग करके यह भारतीय अर्थव्यवथा को गति भी देती है। यह तथ्य है कि जिस वर्ष भी भारत में अकाल पड़ता है, भारत की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा जाती है।

किन कृषि उत्पादों का भारत शीर्ष उत्पादक है?

भारत कई उत्पादों के उत्पादन के मामले में पूरी दुनिया में प्रथम स्थान पर है जैसे दलहन, जूट और दूध। वहीं कई उत्पादों के मामले में द्वितीय स्थान पर है जैसे चावल, गेंहू, गन्ना, कपास, मूंगफली, फल और सब्जियां। जबकि मसाले, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन और पशुपालन के मामले में पूरी दुनिया में तीसरे स्थान पर है।

भारत से निर्यात होने वाले मुख्य कृषि उत्पाद?

भारत अपने कृषि उत्पादों से स्वयं का पेट भरने के साथ-साथ  दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न का निर्यात करके दुनिया का पेट भी पालता है, भारत कौन-कौन सी प्रमुख खाद्य फसलों का निर्यात करता है आइए देखते है.

भारत यूरोपीय देशों को कौन से खाद्य फसल निर्यात करता है?

भारत से निर्यात की जाने वाली मुख्य कृषि फसलें –
  • चावल (21.1%)
  • समुद्री उत्पाद (14.3%)
  • मसाले (9.5%)
  • भैंस का मांस (7.6%)
  • चीनी (6.7%)
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (4.7%)
  • कच्चा कपास (4.5%)
  • तिलहन फसलें (3.8%)
  • फल और सब्जियां (3.5%)
  • चाय और कॉफी (3.5%)

भारत में आयात किए जाने वाले मुख्य कृषि फसलें?

भारतीय जलवायु और मृदा कई फसलों के पर्याप्त उत्पादन के लिए अनुकूल नहीं है। इसीलिए भारत को कई फसलों का भरी मात्रा में आयात भी करना पड़ता है। जैसे खाने का तेल, भारत के कुल आयात में खाद्य तेलों का हिस्सा 54% है। अर्थात कृषि आयातों में आधे से अधिक हिस्सा खाद्य तेलों का ही है। इसके अलावा भारत दुनिया के 17% दालों का भी आयात करता है, वही ताजे फल, मसाले और काजू का भी भारत बड़ी मात्रा में आयात करता है।
उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि भारतीय कृषि का न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक विशिष्ट स्थान है।

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Petrol-diesel price: 25 रुपए तक सस्ता हो सकता है पेट्रोल और डीजल? https://nitinbharat.com/petrol-diesel-price-25-sasta/ https://nitinbharat.com/petrol-diesel-price-25-sasta/#respond Wed, 20 Apr 2022 12:06:00 +0000 https://nitinbharat.com/2022/04/20/petrol-diesel-price-25-%e0%a4%b0%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a4%8f-%e0%a4%a4%e0%a4%95-%e0%a4%b8%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%8b-%e0%a4%b8%e0%a4%95%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88/ बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों (petrol-diesel price) ने लोगों के जेब पर आग लगा दी है। महज एक महीने में ही देश के कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल दाम...

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बढ़ते पेट्रोल-डीजल के दामों (petrol-diesel price) ने लोगों के जेब पर आग लगा दी है। महज एक महीने में ही देश के कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल दाम 25% तक बढ़ चूके है। लेकिन सुकून भरी खबर आई है पेट्रोलियम मंत्रालय से कि सरकार बढ़ती कीमत से लड़ने के लिए तात्कालिक प्रयास पर ध्यान केंद्रित नहीं करके, दीर्घ कालिक प्रयासों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
इससे आने वाले समय में पेट्रोल डीजल की कीमतों (petrol-diesel price) में 25-30 रुपए तक की गिरावट आ सकती है। इन्ही प्रयासों की चर्चा करेंगे लेकिन इससे पहले पेट्रोल डीजल के वर्तमान परिदृश्य पर नज़र डालते है।

भारत के पेट्रोलियम कीमत का वर्तमान परिदृश्य?

भारत कच्चे तेल की अपने जरूरत का लगभग 85% हिस्सा आयात करता है। पहले मध्य पूर्व देशों से सर्वाधिक (लगभग 60%) आयात किया जाता था लेकिन इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता एवं अशांति अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था की बजट बिगाड़ देता था। इसलिए भारत ने अपने आयातों का विविधिकरण किया। आज अपनी कुल जरूरत का लगभग 52% मध्य एशिया से, 15% आफ्रीका से और 14% संयुक्त राज्य से करता है। लेकिन इन सब के बावजूद कीमतें बढ़ी और इसका बड़ा कारण कोरोना महामारी के बाद OPEC (Organization of petroleum exporting countries) देशों द्वारा पेट्रोल की कीमत बढ़ाया जाना था।
इसके साथ ही भारत में इसपर लगने वाले टैक्स, एक्साइज ड्यूटी (केंद्र द्वारा) और वैट (राज्य सरकार) भी कहीं ज्यादा है। सरकार की मजबूरी मुख्य रूप से यह रही की कोराेना की मार से अन्य से सेक्टर जहां राजस्व की आवश्यकता पूरा नहीं कर पा रहे थे वहीं पेट्रोल,डीजल,एलपीजी गैस, मादक द्रव्य और लक्सरी वस्तुएं (जैसे कार, एसी) राजस्व के स्त्रोत के रूप में दिखे।

भारत में पेट्रोल डीजल के दाम क्यों बढ़ रहे है?

पेट्रोल डीजल की कीमतों (petrol-diesel price) में आग लगी ही थी कि इस आग में घी डालने का काम किया रूस-यूक्रेन युद्ध ने। ज्ञात हो कि नीदरलैंड्स के बाद रूस दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइंड पेट्रोल निर्यातक देश है वही कच्चे तेल के निर्यात के मामले में सउदी अरब के बाद दूसरे नंबर पर आता है। अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिबंधों के चलते रूस से दुनिया को आपूर्ति श्रंखला (Supply Chain) बाधित हो गई है और महंगाई आसमान छू रही है।
इस समस्या से निपटने के लिए सरकार कदम उठाने के लिए तत्पर है। सरकार निकट भविष्य में निम्न कदम उठाने जा रही है, इससे पेट्रोल डीजल के दामों (petrol-diesel price) में दीर्घकाल में 25-30 रुपए तक की गिरावट देखने मिल सकता है।

भारत में पेट्रोल डीजल की कीमतें कैसे कम होगा?

1. भारत ऐसे देशों से तेल आयात के लिए समझौते कर रही है जो OPEC के सदस्य नही है। जैसे- अमेरिका, रूस, कनाडा। इससे पेट्रोल डीजल के दामों (petrol-diesel prices) पर OPEC देशों की नीति का प्रभाव कम होगा।
2. भारत UAE जैसे देशों की मदद से पेट्रोलियम बफर बनाने के लिए समझौते कर रहा ताकि संकट के समय में कीमतें बढ़ने पर इसका उपयोग किया जा सके। भारत के पास वर्तमान में महज 12 दिन का ही बफर स्टॉक है जबकि अमेरिका और चीन के पास क्रमशः तीन और दो महीने का बफर स्टॉक है।
3. भारत ने पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता कम करने के लिए EBP (इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल) इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। 2030 तक इसे 20% करने का निर्णय लिया गया है। जबकि वर्तमान में यह 10% तक की अनुमति है।
4. देश के अलग-अलग राज्यों द्वारा थोपे जाने वाले भारी भरकम वैट के बोझ से जनता को मुक्त करने के लिए, पेट्रोल और डीजल के दाम को GST के दायरे में लाने के प्रयास चल रहे है, जिसका कि राज्य विरोध करते है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल डीजल के दाम (petrol-diesel price) (20 अप्रैल 2022)
Petrol-diesel price: 25 रुपए तक सस्ता हो सकता है पेट्रोल और डीजल?
5. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्रोत्साहित कर रही है, सरकार का लक्ष्य है की 2030 तक पूर्ण रूप से सड़को पर इलेक्ट्रिक गाडियां दौड़े। इसके लिए फेम योजना, सब्सिडी और चार्जिंग स्टेशन बनाने पर जोर दे रही है।

पेट्रोल डीजल के दाम (petrol-diesel price) से शीघ्र राहत के लिए सरकार क्या कर रही है?

रूस से सस्ती कीमत तेल आयात का समझौता किया गया है, अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए यह फैसला उठाया गया है। इससे जल्द ही पेट्रोल डीजल के दाम (petrol-diesel price) कम होने का अनुमान है।

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क्या क्रिप्टो करंसी इकोफ्रेंडली है? https://nitinbharat.com/kya-crypto-currency-eco-friendly/ https://nitinbharat.com/kya-crypto-currency-eco-friendly/#respond Sun, 17 Apr 2022 03:17:00 +0000 https://nitinbharat.com/2022/04/17/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%8b-%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a4%82%e0%a4%b8%e0%a5%80-%e0%a4%87%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%ab/ दुनिया में क्रिप्टो करंसी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल 2022 में इसका कुल मार्केट कैप 2 मार्च 2022 को $2 ट्रिलियन के पार हो...

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दुनिया में क्रिप्टो करंसी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। अप्रैल 2022 में इसका कुल मार्केट कैप 2 मार्च 2022 को $2 ट्रिलियन के पार हो गया। इससे लेनदेन में कई सुविधाएं तो मिलती है लेकिन इसका पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में जानकर आप भी चौक जायेंगे।

क्या क्रिप्टो करंसी इकोफ्रेंडली है?

क्रिप्टो करंसी (crypto currency) का पर्यावरण पर प्रभाव तब ज्यादा चर्चा में आया था जब टेस्ला (Tesla) कंपनी के सीईओ (CEO) एलन मस्क ने ट्वीट कर इसपर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा था  “क्रिप्टोकरेंसी एक अच्छा आइडिया है और हम मानते हैं कि इसका भविष्य भी काफी अच्छा है। इसके लिए पर्यावरण को बड़ी कीमत नहीं चुकानी पड़नी चाहिए।” इसके साथ उन्होंने एक ग्राफ भी शेयर किया था।

क्रिप्टो करंसी माइनिंग के लिए कितनी ऊर्जा खपत करनी पड़ती है?

इसका सीधा असर न होकर अप्रयक्ष असर देखने मिलता है, ‘कैंब्रिज बिटकॉइन इलेक्ट्रिसिटी कंजप्शन इंडेक्स’ के अनुसार एक साल में बिटकॉइन (एक प्रकार का क्रिप्टो करंसी) नेटवर्क तकरीबन 136.38 टेरावाट प्रति घंटे के हिसाब से बिजली लेती है। जो कि नीदरलैंड्स, अर्जेंटीना और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों की कुल ऊर्जा खपत से भी ज्यादा है।
केवल बिटकॉइन ही नहीं बल्कि सभी बड़ी क्रिप्टो करंसी इतनी ही ऊर्जा की खपत करती है। दरअसल क्रिप्टो करंसी के माइनिंग के लिए एक अल्गोरिदम को हल करना होता है, जिसके लिए कई भारी कंप्यूटरर्स को उपयोग में लिया जाता है, और ये बहुत ज्यादा बिजली खपत करती है।

क्या आप जानते है?

‘दुनिया में तकरीबन 15,000 प्रकार की क्रिप्टो करंसी मौजूद है, बिटकॉइन, डॉगकोइन उन्हीं में से एक है, जबकि 400 प्रकार की एक्सचेज (लेनदेन की युक्ति) मौजूद है।’

क्या इको फ्रेंडली क्रिप्टो करंसी भी होते है?

दुनिया में कई इको फ्रेंडली क्रिप्टो करंसी मौजूद है। इसमें चिया नेटवर्क सबसे मशहूर है, चिया नेटवर्क को बिटटॉरेंट के ब्रैम कोहेन ने बनाया है। कंपनी के मुताबिक चिया प्रूफ ऑफ स्पेस एंड टाइम (POST) का इस्तेमाल करता है, जिससे यूजर हार्ड डिस्क की बाकी जगह को ट्रांजेक्शन के वेरिफिकेशन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे कम कम्प्यूटिंग पावर की जरूरत होगी और बिजली खपत कम होगी। इसलिए चिया को सबसे चर्चित इको फ्रेंडली क्रिप्टो करंसी माना जा रहा है।
कुछ अन्य इको फ्रेंडली क्रिप्टो करंसी जो चर्चित है, जिनमे स्टेलर, ट्रॉन, अवलांची, तेजोस का नाम शामिल है।

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पेट्रोल-डीजल कितना महंगा होने वाला है? https://nitinbharat.com/petrol-diesel-mahanga/ https://nitinbharat.com/petrol-diesel-mahanga/#respond Sun, 06 Mar 2022 07:05:00 +0000 https://nitinbharat.com/2022/03/06/%e0%a4%aa%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%b2-%e0%a4%a1%e0%a5%80%e0%a4%9c%e0%a4%b2-%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%82%e0%a4%97%e0%a4%be/ अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ रहे कच्चे तेल के दाम ने आम नागरिकों को चिंता में डाल दिया है। आने वाले समय में डीजल पेट्रोल दामों...

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अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ रहे कच्चे तेल के दाम ने आम नागरिकों को चिंता में डाल दिया है। आने वाले समय में डीजल पेट्रोल दामों में बढ़ोतरी की पूरी-पूरी संभावना है।

पेट्रोल-डीजल के दाम पर विश्लेषण

भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत आने वाली संस्था ‘पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल’ (PPAC) के अनुसार नवंबर 2021 में जहां कच्चे तेल के दाम 81.5 डॉलर प्रति बैरल था वही आज इसकी कीमत बढ़कर 120 डॉलर प्रति बैरल के पास पहुंच गई है। आने वाले समय में यह कितना बढ़ेगा इसका कोई अनुमान नहीं है। यह कीमत 2012 के बाद से सर्वोच्च है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम

एक ओर जहां सरकारें कोरोना महामारी के बाद से सरकारी राजस्व के लिए पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली टैक्स पर निर्भर हो गई थी वही अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी आसमान छूती कीमत ने सरकार की नींद उड़ा दी है।
भारत में, भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव चल रहे है। यही कारण है कि सरकारें चाहकर भी कीमत नहीं बढ़ा पा रही है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI securities) ने अनुमान लगाया है कि चुनाव खत्म होने के बाद क्रमबद्ध रूप से पेट्रोल और डीजल के दाम 12 से 20 रुपए तक महंगे हो सकते है।

रूस-यूक्रेन संकट का पेट्रोल-डीजल पर प्रभाव

यदि रूस-यूक्रेन संकट शीघ्र ही शांत नहीं हुआ और तेहरान के साथ पश्चिमी देशों का परमाणु समझौता कोई मजबूत रूप नही लेता है तो आने वाला समय बहुत ही कठिन हो सकते है। जब इतनी कीमतों में आग लगी हुई है और कीमतें वही की वही स्थिर है ऐसी स्थिति में प्रश्न ये उठता है कि इतना बढ़ता बोझ कौन उठा रहा है?
इसका उत्तर है ऑयल मार्केटिंग कंपनीज़ (OMCs) जैसे इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम। इन कंपनियों अपने स्टेटमेंट कहा है कि इस नुकसान की भरपाई के लिए एक लीटर में 12 से 16 रुपए प्रति लीटर बढ़ाना होगा। ताकि कम से कम 2.5 रुपए प्रति लीटर कमाई हो सके।

पेट्रोल-डीजल के दाम का चुनाव से जुड़ाव

मुख्य विपक्षी दल के नेता ने ट्वीटर पर सरकार तंज कसा है। उन्होंने लिखा है “सरकार का चुनावी ऑफर ख़त्म होने वाला है, जल्दी से अपने टैंक फुल करवा लीजिए।” यहां चुनावी ऑफर से उनका तात्पर्य वर्तमान में चल रहे पांच राज्यों के चुनावों से है जिसके चलते डीजल और पेट्रोल के दाम अभी तक स्थिर रखे गए है।

निष्कर्ष

भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए यह चुनौती भरा पल है क्योंकि डीजल पेट्रोल के दामों में बढ़ोत्तरी महंगाई को बढ़ा देगी। इसके चलते परिवहन, माल धुलाई का खर्च बढेगा वही किसानों के ट्रैक्टर और अन्य कृषि मशीन का परिचालन महंगा हो जायेगा। जो कि आने वाले खरीफ सीजन में किसानों का लागत बढ़ा देगा।

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