इसलिए अमेरिका नही कर रहा यूक्रेन की मदद?

वर्तमान लोकतांत्रिक स्वरूपों में अमेरिका दुनिया का पहला लोकतांत्रिक राष्ट्र माना जाता है। इसलिए वह स्वयं को लोकतंत्र का जनक मानता है। इसलिए दुनिया में कही भी लोकतंत्र पर हमला होने पर वह हस्तक्षेप करके वहां लोकतंत्र की बहाली करता है। जैसे की विगत कई दशकों में देखा गया। चाहे वह इराक हो या लीबिया या सीरिया। यहां तक के अफगानिस्तान-तालिबान संघर्ष में भी अमेरिका ने मानवता की रक्षा के नाते दखल दिया था।
लेकिन यूक्रेन पर जब रूस एक के बाद एक कर रहा है और जब यूक्रेन की हालत इतनी नाजुक हो गई है तब हमले के जवाब में सीधा प्रतिक्रिया देने के बदले वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय में समर्थन और निंदा अभियान में क्यों जुट गया है? क्यों वह यूक्रेन के निर्दोष लोगो की रक्षा के लिए सामने आने से बच रहा? क्या अमेरिका अब विश्व की महाशक्ति नहीं रहा? आइए इन्ही सवालों का जवाब संक्षेप में जानते है।

इसलिए अमेरिका नही कर रहा यूक्रेन की मदद?

अमेरिका के बारे में थोड़ी भी जानकारी रखने वाले लोग यह जानते है कि वह अपने ‘राष्ट्रहित’ को सबसे ऊपर रखता है। इसलिए प्रारंभ से वह केवल उन्हीं देशों की रक्षा में सामने आता है जहां उसके सीधे व्यापारिक और कूटनीतिक हित जुड़े होते है।
जैसे कि अफगानिस्तान के माध्यम से वह मध्य एशिया में अपना ‘व्यापारिक और सैन्य  दबदबा’ कायम करना चाहता था। लेकिन अमेरिका का यूक्रेन में कोई सीधा राष्ट्रीय हित नहीं जुड़ा है। जहां तक रूस को प्रतिसंतुलित करने का सवाल है तो अमेरिका रूस से सटे देशों जैसे एस्टोनिया, लाटिविया, लिथुवानिया को नाटो का सदस्य बनाकर पहले ही अपने हित साध चुका है।

अमेरिकी दखल का मतलब सीधा तीसरे विश्व युद्ध

वही रूस एक परमाणु संपन्न और दुनिया की एक सैन्य महाशक्ति है। कोई मामूली देश नही जिसे छोटे मोटे हमले से डराकर शांत किया जा सके। अमेरिकी दखल का मतलब सीधा तीसरे विश्व युद्ध में कूदना होगा। एक सवाल यहां ये भी उठता है कि अप्रत्यक्ष मदद से भी अमेरिका क्यों अपना हाथ पीछे खींचा हुआ है?
विदेश मामलों के जानकारों के अनुसार इसका जवाब वैश्विक महामारी के चलते क्षीण होती अमेरिकी आर्थिक शक्ति है। अमेरिका अप्रत्यक्ष रुप से मदद करता भी है तो वह महाशक्ति के रूप में अपनी वर्तमान स्थिति को गवां देगा। क्योंकि चीन उसे विस्थापित करने के लिए तेजी से आगे बड़ रहा है।

शायद अमेरिका को यूक्रेन में अपना हित न दिख रहा हो

रूस-यूक्रेन संघर्ष से अमेरिका असली चेहरा एकबार फिर पूरी दुनिया के सामने उजागर हुआ कि वह लोकतंत्र और मानवता को महज एक बहाने के तौर पर उपयोग करता है। जहां उसका सीधा हित दिखा वह वहां कूद जाता है और जहां उसका हित नहीं दिखता वह लोगों को उनके किस्मत के भरोसे छोड़ आता है।
जैसे पिछले दिनों सूडान और अफगानिस्तान में दिखा और आज पूरी दुनिया यूक्रेन में देख रही है। आने वाले समय में क्या घटित होने वाला है यह तो समय के गर्त में है लेकिन अभी तक तो यही विश्लेषण ही उचित प्रतीत हो रहा है।

Please Share this

Related Posts

When will American overreach stop??

The last week global media have been full of stories about indictment against the Adani Group by an American Prosecutor. (Stop American Overreach) It is time the…

Don’t Underestimate Elon Musk! Why? क्यों एलन मस्क को हल्के में न लें?

ब्राजील में एक महीने तक चले लंबे तनातनी के बाद सुप्रीम कोर्ट को देश में तख्ता पलट का भय सताने लगा। अंततः चीफ जस्टिस अलेक्जेंडर डी मॉरिस…

ब्राज़ील में क्यों बैन हुआ X ट्वीटर?

ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अलेक्जेंडर डी मोरिस ने ब्राजील से तत्काल, पूर्ण रुप से और व्यापक तरीके से ट्विटर के ऑपरेशन पर सस्पेंशन (why…

भारतीय संसद के बारे में ये तथ्य आप शायद ही जानते होंगे

भारतीय संसद में चोल काल के राजसत्ता के प्रतीक सेंगोल को स्थापित किया जाएगा। अधिकतम 1272 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था, 30% तक बिजली की बचत, कांस्टीट्यूशनल…

भारत में बाघों की संख्या कितनी है? जाने ख़ास बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल 2023 को पांचवी बाघ जनगणना जारी की जिसके अनुसार भारत में बाघों की संख्या बढ़कर अब 3167 हो गई है. जनगणना…

क्या मोदी सरकार इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है?

“गूगल के दौर में ‘मुग़ल का चैप्टर’ हटा देने से इतिहास नहीं बदल जाता है।” यह कहना है भारत के मशहूर पत्रकार रविश कुमार का। वहीं कुछ…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *