नागपुर भारत की राजधानी के रूप में: एक समग्र विश्लेषण!

दुनिया में कई देश समय और जरुरत के हिसाब से अपनी राजधानियां स्थानांतरित करती रही है, भारत में भी यह मांग समय-समय पर उठती रहती है, इसका सबसे उत्तम विकल्प नागपूर को माना जा रहा है.

नागपूर कैसे दिल्ली से बेहतर राजधानी हो सकती है? एक राजधानी के रूप में दिल्ली आज किन-किन मुश्किलों का सामना कर रही है? नागपूर के नई राजधानी बनने से देश को होने वाले नफे नुकसान जैसी कई रोचक पहलुओं से परिचित होने के लिए इस आलेख को पूरा पढ़े.

नागपूर भारत की राजधानी के रूप में? एक समग्र विश्लेषण!

नागपूर भारत की राजधानी के रूप में एक समग्र विश्लेषण नागपूर की खासियत, नागपूर का इतिहास, दिल्ली और नागपूर की तुलना, दिल्ली की समस्या, दिल्ली भारत की राजधानी, जैसे कई पहलुओं को जानने के लिए इस आलेख का अवलोकन करें।

दिल्ली भारत की राजधानी कब बनी? When was Delhi become capital of India?

दिल्ली भारत की कैपिटल वर्ष 1911 में घोषित हुई, ये वो समय था जब अंगरेजी हुकूमत का देश में डंका बजता था. आज का पूरा पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का हुआ करते थे, इतने विशाल देश पर अपना नियंत्रण और अधिक मजबूत करने के लिए अंग्रेजो ने कोलकाता की जगह दिल्ली को अपनी राजधानी घोषित करना सबसे मुनासिफ समझा.

दिल्ली को भारत की राजधानी क्यों बनाया गया?

दिल्ली के अवस्थिति के साथ दो और ख़ास बात थी जो दिल्ली के अलावा कोई और शहर के पास नहीं थे पहला, यहाँ से पूरे देश के लिए रेल, सड़क और रिवर  कनेक्टिविटी था. दूसरा, मुगलों और सल्तनत शासकों की यह लगभग 700 सालो तक राजधानी थी.

अंग्रेजो ने तो इन्ही सारे कारणों से दिल्ली को भारत की राजधानी बनाई क्योंकि यहाँ से वो पूरे भारत को अच्छे से कण्ट्रोल और कंगाल बना सकते थे, लेकिन जब 15 अगस्त 1947 को  हिंदुस्तान अंग्रेजो के गुलामी से पूरी तरह आजाद हो गया, भारत से बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे हिस्से अलग हो चुके थे, फिर ऐसी कौन सी मजबूरी केे चलते हमारे नेताओं ने दिल्ली को ही देश की राजधानी के रूप में जारी रखा? इसके एक नहीं कई कारण थे.

पहला कारण तो दिल्ली पर अंग्रेजो द्वारा की गयी भारी भरकम निवेश थी. अंग्रेजो ने यहाँ राजधानी के रूप आवश्यक सभी अवसंरचनाओं का निर्माण कर दिया था जैसे संसद भवन, सचिवालय, और रहने के लिए पूरी लुटियंस दिल्ली. दुसरी वजह भारत की ख़राब आर्थिक स्थिति थी जिसकी वजह से कोई भी नए शहर को राजधानी के रूप में विकसित करने के हालत में भारत नहीं था.

तीसरा और सबसे प्रमुख कारण था तब के समय देश की राजनीति में उत्तर भारत के नेताओं का दबदबा था जिन्हें दिल्ली के अलावा कोई राजधानी कभी मंजूर नहीं होता.

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एक राजधानी के रूप में दिल्ली की समस्याएं?

लेकिन आज दिल्ली आज एक राजधानी के रूप में कई गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है. जैसे वायु प्रदूषण, बढ़ता जनघनत्व, ग्लोबल वार्मिंग, पानी की समस्या और जमीन की कमी की समस्या होने की समस्या. हर साल ठण्ड के महीनो में यहाँ वायु गुणवत्ता जानलेवा स्तर तक पहुँच जाती है. जनसँख्या घनत्व के मामले में यह भारत का शीर्ष राज्य बन चुका है.

गर्मियों में यहाँ हीट वेव का प्रकोप आम हो गया है. नए निर्माण करने के यहाँ जगह भी नहीं बची है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट है, जिसे बनाने के लिए गणतन्त्र दिवस परेड स्थल के पेड़ो और मैदानों को साफ करके किया जा रहा है. ये ऐसी समस्यायें है जिनका समाधान आसन नहीं दिखता. इसलिए देश में यह विमर्श जन्म ले रही है कि क्यों ना दिल्ली के अलावा किसी और शहर को नयी राजधानी घोषित कर दी जाये. इसका सबसे अच्छा विकल्प नागपूर को माना जा रहा है.

नागपूर भारत की राजधानी के रूप में?

नागपूर की भारत की राष्ट्रीय राजधानी के रूप में खासियतों के बारे में विस्तार से जानेंगे लेकिन उससे पहले आइए जान लेते है नागपूर के बारे में.

नागपूर का इतिहास?

जानने से पहले आइये जानते है नागपूर के बारे में  नागपूर शहर का इतिहास 3000 साल पुराना है. प्राचीन भारतीय ग्रंथो में इसका नाम “फनिपुर” या “फणीन्द्रपुर” नाम से मिलता है. इसका नागपूर नाम यहाँ बहने वाली नाग नदी के ऊपर पड़ा है. वर्तमान में यह शहर महाराष्ट्र की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है, नागपूर महाराष्ट्र की शीतकालीन राजधानी भी है, पूरे महाराष्ट्र से अलग यह भाग हिन्दी भाषा से गहराई से जुडाव रखता है.

आजादी के बाद से ही इस क्षेत्र के लोगो द्वारा लगातार इसे नये “विदर्भ” राज्य के रूप में विकसित करने की मांग की जा रही है. नागपूर को संतरे की टोकरी भी कहते है क्योकि यहाँ देश में सबसे ज्यादा संतरे का प्रोडक्शन होता है. नागपूर को टाइगर कैपिटल (Capital) ऑफ़ इंडिया भी कहा जाता है क्योंकि देश के सबसे ज्यादा टाइगर रिज़र्व नागपूर के आस-पास के इलाके में ही मौजूद है.

इसके अलावा नागपूर में ही दुनिया की सबसे बड़ी स्वयम सेवको की संस्था RSS का मुख्यालय भी है, यही नहीं बाबा साहब ने यहीं  नवबौद्ध धर्म की नीव रखी थी. और एक तथ्य जो बहुत कम लोग जानते है कि रिज़र्व बैंक की नागपूर शाखा में RBI देश कुल सोने का 75% रखता है. इसलिए नागपूर “गोल्ड कैपिटल ऑफ़ इंडिया” भी बन जाता है.

नागपूर भारत की राजधानी के रूप में सबसे उपयुक्त कैसे?

नागपूर के बारे में ये कमाल के तथ्य काफी नहीं है इसे राजधानी घोषित करने के लिए. आइये जानते है कि ऐसी कौन-कौन सी खासियतें है जिसकी वजह से नागपूर भारत की राजधानी के रूप में सबसे पहले नंबर पर काबिज होती है.

नागपूर की भौगोलिक अवस्थिति (Geographical Location of nagpur)

दिल्ली भौगोलिक रूप से भारत के उत्तर में पड़ता है, यहाँ तक पहुँचने के लिए नागालैंड के किसी आदमी को 2270 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है, वही कन्याकुमारी के किसी आदमी को दिल्ली तक पहुँचने के लिए 2800 किलोमीटर की दूरी तय करनी  पड़ती है, लेकिन अगर नागपूर देश की राजधानी बनता है तो यह यह लगभग आधा हो जायेगा.

नागपूर भारत के सेंटर में अवस्थित है. इसे भारत का ह्रदय  भी कहते है. राजधानी के रूप में यह पूरे देश के लिए बीच में पड़ेगा. भारत की जीरो माईल लाइन(zero mile line) नागपूर से ही  होकर गुजरती है. यही नहीं आजादी के पहले देश के सबसे बड़े राज्य “सेट्रल प्रोविंस एंड बरार” की राजधानी नागपूर ही थी.

यही नहीं नागपूर से  देश के कोने-कोने लिए रेल और सड़क कनेक्टिविटी है. इसलिए  नागपूर भारत की राजधानी के रूप में सबसे पहला विकल्प बनकर आता है.

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नागपूर की जलवायुवीय अवस्थिति  (Climatic Condition of Nagpur)

कई रिपोर्ट्स और सर्वे में दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया जाता है, ठण्ड के मौसम में इसकी हवा इतनी जानलेवा हो जाती है कि स्कूल और कॉलेज भी बंद करना पड़ता है. वही नागपूर में ऐसी कोई समस्या नहीं देखने मिलती, दिल्ली के पश्चिम में मौजूद थार का रेगिस्तान अब अरावली पर्वत को पार करके दिल्ली तक पहुँच गया है.

वैज्ञानिको का अनुमान है कि आने वाले सालो में दिल्ली बंजर हो जायेगा और रेगिस्तान में बदल जायेगा, जबकि नागपूर को अभी भी भारत के शीर्ष 5 ग्रीन सिटीज में काउंट किया जाता है.

प्राकृतिक आपदाएं और नागपूर (Natural Disaster and Nagpur)

दोस्तों भूकंप जोन 4 में पड़ता है और हिमालय जैसे खतरनाक भूकंप प्रभावित क्षेत्र के करीब स्थित है जहाँ खतरनाक भूकंप कभी भी तबाही मजा सकते है, वही नागपूर  भूकंप जोन 2 में पड़ता है जहाँ भूकम्प आने की संभावना ना के बराबर होती है.

दिल्ली पीने के पानी और भूमिगत जल की समस्या से अक्सर जूझता है, जबकी नागपूर में पानी की कोई भी समस्या नहीं है. दिल्ली ठण्ड के दिनों में खून जमा देने वाली ठंडी जबकी गर्मियों में हड्डी गला देने वाली गर्मी के लिए जाना जाता है. जबकि नागपूर में हालत इतने नहीं बिगड़तेे.

नागपूर में खतरें और अपराध (Threats And Crime in Nagpur )

दिल्ली, चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशो के बहुत ही करीब मौजूद है. इसलिए किसी भी युद्ध के दौरान दिल्ली पर हमला होने का खतरा मंडराते रहता है, और दोस्तों किसी देश की राजधानी पर हमला उस देश के नागरिको के मनोबल को तोड़ देती है, लेकिन नागपूर भारत के ठीक बीच में मौजूद है.

इतने दूर तक किसी भी मिसाइल को पहुँचने से पहले ही ध्वस्त किया जा सकता है. यही नही नागपूर में सीमापार से आने वाले नशीले और मादक पदार्थो की तस्करी भी नहीं होती क्योंकि इंटरनेशनल बाउंड्री यहाँ से कोशों दूर है. अतः नागपूर भारत की राजधानी के रूप में सबसे उपयुक्त नजर आता है.

खनिज सम्पदा संपन्न नागपूर (Mineral in Nagpur)

दिल्ली के आसपास ना कोयले की खदाने है, ना लोहा, ना स्टील इसे हरेक चीज को दूर दराज के राज्यों से मांगना पड़ता है, इसलिए यहाँ बिजली संकट और ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी जैसी खबरें आम है. जबकी नागपूर के आसपास भारत की सबसे बड़ी मिनरल खदाने मौजूद है, भविष्य में कभी भी इसे बिजली, लोहा और स्टील जैसी समस्याओ से जूझना नही पड़ेगा.

नागपूर की विकास सामर्थ्य और अवसंरचना  (Growth Potential And Infra)

नागपूर में राजधानी बनने के लिए पहले से ही सभी अवसंरचना मौजूद है, क्योंकि यह महाराष्ट्र की दुसरी  राजधानी है, जबकि ग्रोथ पोटेंशियल की बात करे तो ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स के अनुसार  यह दुनिया का 5वां सबसे तेजी से बढता हुआ शहर है. इसलिए किसी भी अन्य शहर की तुलना में नए राजधानी की स्थापना नागपूर में करने में खर्च बहुत ही कम आयेगा.

क्षेत्रीय विकास (Regional Development)

दिल्ली की वजह से उसके आसपास के इलाके तो विकसित हो गए लेकिन सेंट्रल इंडिया में बहुत ज्यादा पोटेंशियल होने के बावजूद देश के सबसे पिछडे इलाको में गिना जाता है. नागपूर के राष्ट्रीय राजधानी बनने के बाद  सेट्रल इंडिया में भी डेवलपमेंट आ सकता है, यहाँ की अशिक्षा, गरीबी और और जीवन स्तर में भी सुधार हो सकता है.

दुनिया भर में ऐसे कई उदहारण है जिसमे कि देशों ने अपने क्षेत्रीय, जलवायुवीय और जनसँख्या समीकरणों को संतुलित करने के लिए अपनी राजधानियां बदलती रही है. भारत में भी ऐसी मांग अनुचित नहीं. हालाँकि सरकार पर वित्तीय बोझ और राजनीतिक दबाव निकट भविष्य में इस विमर्श के सत्य होने की सम्भावना कम ही नजर आती है.

सेंट्रल विस्टा परियोजना के द्वारा राजधानी के सरकारी ऑफिसों का नवीनीकरण इस बात का प्रमाण है कि नागपूर भारत की राजधानी के रूप में केवल एक विमर्श मात्र ही है. आपकी राय क्या है हमें जरुर लिखें.

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